क्या है ECS/NACH रिटर्न चार्ज? जानें इससे बचने के तरीके, नहीं तो देनी पड़ेगी भारी पेनाल्टी
भारत में ऑनलाइन ऑटो‑डेबिट यानी ECS/NACH माध्यम से नियमित भुगतानों के बाद अब जुर्माने का खतरा भी है. जब आपके खाते में पर्याप्त बैलेंस नहीं होता, विवरण गलत होता है या तकनीकी समस्या आती है, तो ट्रांजैक्शन फेल हो सकता है. इससे बैंक हर बार एक फिक्स्ड अमाउंट जो, बैंक और ट्रांजैक्शन फेल होने की फ्रीक्वेंसी के अनुसार बदलता है, वसूलते हैं. आइए जानते हैं कि सही जानकारी से कैसे इससे बचा जा सकता है.

भारत में पिछले एक दशक में ऑनलाइन ट्रांजैक्शन में जबरदस्त तेजी है. इसमें रेकरिंग पेमेंट में इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सर्विस (ECS) और नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस (NACH) जैसी ऑटोमेटेड पेमेंट सिस्टम की भूमिका अहम है. लेकिन रेकरिंग पेमेंट के फेल होने से ग्राहकों को जुर्माने भी भरने पड़ते हैं. इसलिए, ऐसी स्थिति में आपको ECS/NACH रिटर्न चार्ज को बेहतर ढंग से समझने और जानने के लिए हमेशा इन पांच बातों को ध्यान में रखना जरूरी है.
ECS/NACH रिटर्न चार्ज है क्या?
ईसीएस/एनएसीएच, बैंकों और वित्तीय संस्थानों को नियमित भुगतानों जैसे पर्सनल लोन पर EMI, यूटिलिटी बिल, म्यूचुअल फंड SIP के साथ-साथ अन्य लेनदेन के लिए आपके खाते से ऑटोमेटिक पैसे डेबिट की अनुमति देता है. अगर भुगतान की अवधि के दौरान आपके खाते से किसी भी कारण से पैसे डेबिट नहीं हो पाता है, तो इसके लिए आपको पेनाल्टी देना होता है. इसी चार्ज को ईसीएस/एनएसीएच रिटर्न चार्ज कहते हैं.
कितनी लगती है पेनाल्टी
ईसीएस/एनएसीएच के फेल होने के बाद अलग-अलग बैंकों के द्वारा अलग-अलग राशि की पेनाल्टी लगाई जाती है. पेनाल्टी इस बात पर भी निर्भर करती है कि आपके खाते से कितनी बार ट्रांजैक्शन फेल हुआ है. पहली बार ट्रांजैक्शन फेल होने पर कम पेनाल्टी लगाई जाती है.
Axis Bank के खाताधारकों के मामले में पहली बार ट्रांजैक्शन फेल होने पर 500 रुपये का जुर्माना लगता है. दूसरी बार यह राशि बढ़कर 550 रुपये हो जाती है. फेडरल बैंक के सेविंग अकाउंट में पहली बार रिटर्न के लिए 250 रुपये और उसके बाद के रिटर्न के लिए 500 रुपये का शुल्क लगाया जाता है. जबकि ओवरड्राफ्ट (OD) और कैश क्रेडिट (CC) खातों के लिए पहली बार 350 रुपये और उसके बाद के रिटर्न के लिए 750 रुपये का शुल्क लगता है.
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ इंडिया दोनों ही हर रिटर्न पर 250 रुपये लेते हैं. इसमें GST भी शामिल है. अब अगर एक ही महीने में कई ट्रांजेक्शन फेल हो जाते हैं, तो ये शुल्क तेजी से बढ़ सकते हैं.
कब लगता ECS/NACH रिटर्न चार्ज?
ग्राहकों को तब ECS/NACH रिटर्न चार्ज करता पड़ता है, जब बैंक खाते में अपर्याप्त अमाउंट, गलत अकाउंट डिटेल्स या कुछ तकनीकि खामियों की वजह से ECS/NACH ट्रांजैक्शन फेल होता है. ये राशि खाताधारकों के बैंक अकाउंट से कटती है और इसके रिटर्न होने की कोई गुंजाइश नहीं है.
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बार-बार ECS/NACH ट्रांजैक्शन फेल होने से बढ़ेगा जुर्माना
अगर आपका ECS/NACH ट्रांजैक्शन बार-बार फेल होता है, तो ये आपके लिए परेशानी का कारण बन सकता है. पहली या दूसरी बार में यह रकम छोटी होती है. लेकिन धीरे-धीरे ये बढ़ती ही जाती है. उदाहरण के लिए 500 रुपये के चार SIP, अपर्याप्त राशि के कारण फेल होता है तो टैक्स के बाद कुल रिटर्न अमाउंट 2,360 रुपये तक पहुंच सकता है.
ECS/NACH रिटर्न चार्ज से कैसे बचें?
- ट्रांजैक्शन को फेल होने से रोकने के लिए पैसे डेबिट होने के निर्धारित समय से कम से कम एक दिन पहले अपने खाते में पर्याप्त अमाउंट बनाए रखें.
- अपने ट्रांजैक्शन शेड्यूल को नियमित रूप से ट्रैक करें ताकि आप अगले ECS/NACH डेबिट के बारे में जान सकें.
- यदि आप अपना बैंक खाता, कॉन्टैक्ट डिटेल्स या किसी और जानकारी में कोई बदलाव करते हैं तो उसे तुरंत अपडेट करें.
- एसएमएस और नोटिफिकेशन ऑन करें जिससे आपको ये पता चले कि ट्रांजैक्शन शेड्यूल कब का है.
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