भले ही इनकम हो 2.5 लाख से कम, लेकिन इन 8 तरह ट्रांजैक्शन पर ITR फाइल करना जरूरी

इस साल इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ITR फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर कर दी है. आमतौर पर 2.5 लाख (पुराना रिजीम) और 3 लाख (नया रिजीम) से कम इनकम वालों को ITR फाइल करने की जरूरत नहीं होती. लेकिन नियमों के तहत 8 खास परिस्थितियों आईटीआर फाइल करना अनिवार्य है.

देर से या बिलेटेड और रिवाइज्ड रिटर्न के लिए यही अंतिम तारीख होती है.   Image Credit: Getty Images Creative

इस साल इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ITR फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर कर दी है. ऐसे में डेडलाइन खत्म होने में अब सिर्फ एक हफ्ते का समय बचा है. इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति की आय पुराने टैक्स रिजीम में 2.5 लाख रुपये और नए टैक्स रिजीम में 3 लाख रुपये की बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट से कम है तो ITR फाइल करना जरूरी नहीं है. लेकिन टैक्स नियम यह भी कहता हैं कि अगर किसी टैक्सपेयर का बेसिक एग्जेम्पशन लिमिट कम है, फिर भी कुछ खास स्थितियों में ITR फाइल करना अनिवार्य है. फिलहाल ऐसी 8 स्थितियां तय की गई हैं.

कौन-कौन सी स्थितियों में ITR फाइल करना जरूरी है

विदेशी संपत्ति और आय होने पर भी जरूरी ITR

कई भारतीय लोग विदेशी कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं और उन पर डिविडेंड प्राप्त करते हैं. इनकम टैक्स क्ट की धारा 139(1) के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति के पास विदेशी संपत्ति जैसे शेयर, बांड, मकान हैं या फिर विदेश से आय आती है (डिविडेंड, ब्याज या किराया), तो ITR फाइल करना अनिवार्य है. यहां तक कि अगर किसी ने अपने माता-पिता के नाम पर विदेशी संपत्ति में निवेश किया है और उनकी आय बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट से कम भी है, तब भी उन्हें ITR फाइल करना जरूरी है.

समय पर ITR न भरने पर लगेगा जुर्माना

अगर जरूरी होने के बावजूद आईटीआर समय पर फाइल नहीं किया गया तो धारा 234F के तहत लेट फीस लगेगी. अगर इनकम बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट से कम है और ITR फाइल करना जरूरी है, नहीं तो 1,000 रुपये का जुर्माना भरना होगा. वहीं अगर आय 5 लाख रुपये से ज्यादा है तो पेनल्टी इससे ज्यादा हो सकती है.

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