अब प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन पूरी तरह होगा ऑनलाइन, 117 साल पुराने कानून को बदलने जा रही सरकार!

केंद्र सरकार ने प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के लिए एक नया बिल तैयार किया है, जिसका मकसद ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को आसान बनाना है. इस नए बिल में कुछ जरूरी दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा. इससे सरकार सारा डिजिटल रिकॉर्ड रख पाएगी.

अब संपत्ति का होगा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन Image Credit: Money9live/Canva

Online Registration of Property: केंद्र सरकार ने एक नया बिल तैयार किया है जिसका मकसद प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को ऑनलाइन बनाना है. अभी जो रजिस्ट्रेशन एक्ट है वो 117 साल पुराना है. इस पुराने कानून को हटाकर एक नया कानून लाने की तैयारी हो रही है. इसके बाद सारी प्रॉपर्टी का ऑनलाइन हिसाब-किताब रहेगा. चलिए जानते हैं इस नए ड्राफ्ट बिल में और क्या है?

ToI की रिपोर्ट के मुताबिक, इस नए ड्राफ्ट बिल में अब कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट्स का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य होगा. इनमें शामिल हैं:

  • एग्रीमेंट टू सेल यानी जब आप किसी से प्रॉपर्टी खरीदने या बेचने का समझौता करते हैं
  • पॉवर ऑफ अटॉर्नी यानी जब आप किसी और को कानूनी अधिकार देते हैं कि वो आपकी ओर से कोई काम करे या घर का कब्जा ले सके
  • सेल सर्टिफिकेट यानी बिक्री का प्रमाण पत्र
  • Equitable Mortgage Arrangements यानी जब प्रॉपर्टी गिरवी रखकर लोन लिया जाता है, लेकिन रजिस्ट्रेशन नहीं होता, उसे अब दर्ज किया जाएगा

ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत आने वाला लैंड रिसोर्सेज विभाग इस बिल का ड्राफ्ट लेकर आया है और उन्होंने इसे जनता से सुझाव लेने के लिए सार्वजनिक कर दिया है. इसकी एक वजह ये है कि कई राज्यों ने पहले ही इस कानून में संशोधन करने की कोशिश की है ताकि ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा दी जा सके. हालांकि यह कानून पूरे देश पर लागू होता है, पर राज्य सरकारें इसमें बदलाव कर सकती हैं. लेकिन इसके लिए उन्हें केंद्र सरकार से सलाह-मशविरा करना होता है.

अब रखा जाएगा डिजिटल रिकॉर्ड

सरकार की योजना है कि दस्तावेजों का ई-रजिस्ट्रेशन हो और रिकार्ड भी डिजिटल तरीके से रखे जाएं. इसका मतलब है कि अब आपको पेपर लेकर ऑफिस जाने की जरूरत नहीं होगी, सब कुछ ऑनलाइन किया जा सकेगा.

इसमें एक और बड़ा बदलाव ये है कि दस्तावेजों को ऑनलाइन पेश करने और उन्हें स्वीकार करने की प्रक्रिया भी डिजिटल होगी. पहचान को वेरिफाय करने के लिए आधार कार्ड का उपयोग किया जाएगा लेकिन ये आपकी सहमति के साथ होगा. अगर कोई व्यक्ति आधार साझा नहीं करना चाहता तो उसके लिए और भी तरीके रखे गए हैं ताकि पहचान वेरिफाय की जा सके.

इस नए सिस्टम का एक और फायदा ये होगा कि इसे दूसरे सरकारी रिकॉर्ड रखने वाले विभागों से जोड़ा जाएगा, जैसे कि भूमि रिकॉर्ड, नगरपालिका का डेटा आदि. इससे जानकारी का आदान-प्रदान तेज और सटीक हो सकेगा.

रिपोर्ट के अनुसार, लैंड रिसोर्सेज विभाग का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में टेक्नोलॉजी के बढ़ते इस्तेमाल, सामाजिक-आर्थिक बदलाव और रजिस्टर्ड डॉक्युमेंट्स की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए अब एक ऐसा सिस्टम बनाने की जरूरत है जो भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखे.