न कोई चर्चा, न कोई हाइप… इन 4 माइनिंग कंपनियों ने कमाए जबरदस्त मुनाफे, क्या आपके पोर्टफोलियों में हैं शामिल
जब सारी सुर्खियां AI, EV और चिप्स की होड़ पर केंद्रित हैं, एक खास सेक्टर में कुछ कंपनियां बिना शोर-शराबे के अपनी जमीन मजबूत कर रही हैं. इन कंपनियों के आंकड़े और रणनीति देखकर आपको हैरानी होगी. पर कौन हैं ये और क्या है इनकी असली ताकत, पढ़ें रिपोर्ट में पूरी खबर.
Best Mining Stocks: जब निवेशक एआई, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और सेमीकंडक्टर्स जैसी ग्लैमरस कहानियों में उलझे रहते हैं, तब उनके लिए मूल जरूरी एलिमेंट्स को पुरा करने के लिए कई कंपनियां बड़े पैमाने पर और भारी रकम चुका कर खनिज को जमीन के नीचे से निकालती हैं. भारत की माइनिंग इंडस्ट्री, आमतौर पर Coal India और NMDC के आगे चर्चा में नहीं आती, लेकिन इसी अंधेरे में कुछ कंपनियां दुनिया की रणनीतिक जरूरतें पूरी करने में जुटी हैं- चाहे वह कॉपर हो, गोल्ड, मैंगनीज या फिर हाई-ग्रेड मार्बल. इन कंपनियों के नाम भले ही आम निवेशकों को न मालूम हों, लेकिन ये भारत की मिनरल बेस्ड ग्रोथ के असली प्लेयर हैं. आइए जानते हैं ऐसी ही चार ‘अंडर द रडार’ माइनिंग कंपनियों के बारे में जो आने वाले समय में बड़ी भूमिका निभा सकती हैं.
- Tega Industries
1976 में स्थापित टेगा इंडस्ट्रीज, खनिजों की प्रोसेसिंग और हैंडलिंग के लिए विशेष प्रकार के कंज्यूमर प्रोडक्ट बनाती है. यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी पॉलीमर-आधारित मिल लाइनर निर्माता कंपनी है, जो 70 से अधिक देशों में सक्रिय है. FY25 में कंपनी का रेवेन्यू 16.8 अरब रुपये रहा, जो पिछले साल की तुलना में 11% अधिक था. EBITDA मार्जिन 23% और Q4 में रिकॉर्ड 29% तक पहुंच गया.
टेगा की 85-90% कमाई अंतरराष्ट्रीय बाजारों से होती है और कंपनी चिली में अपना प्रोडक्शन विस्तार कर रही है. गोल्ड और कॉपर की बढ़ती डिमांड, घटते ओरे ग्रेड्स और भू-राजनीतिक संकटों के चलते इसकी ग्रोथ को मजबूती मिल रही है.
- Sandur Manganese and Iron Ores
1954 में शुरू हुई यह कंपनी कर्नाटक के होस्पेट-बैलारी बेल्ट में लो-फॉस्फोरस मैंगनीज और आयरन ओर का खनन करती है. इसके पास कोक और फरोअलॉय प्लांट भी हैं. FY25 में कंपनी की आमदनी 19.39 अरब रुपये रही, जिसमें 36% का EBITDA मार्जिन और 4.45 अरब रुपये का शुद्ध मुनाफा शामिल था.
माइनिंग से 64%, एनर्जी और कोक से 26% और फरोअलॉय से 11% कमाई होती है. FY26 में कंपनी का विस्तार और ज्यादा रफ्तार पकड़ सकता है क्योंकि इसकी सभी कैपेसिटी तैयार हो चुकी हैं. कंपनी ने 1.25 रुपये का फाइनल डिविडेंड भी घोषित किया है.
- Foseco India
1958 में बनी फोसको इंडिया, धातु ढलाई (casting) प्रोसेस के लिए जरूरी एडिटिव्स और केमिकल्स बनाती है. इसकी मौजूदगी ऑटो, रेलवे, पावर और निर्माण जैसे कई क्षेत्रों में है.
हालांकि कंपनी की फोकस मार्केट भारत है (91% रेवेन्यू डोमेस्टिक), लेकिन इसके पास उन्नत मैन्युफैक्चरिंग सुविधाएं हैं जो इसे एक एंड-टू-एंड फाउंड्री सप्लायर बनाती हैं. FY25 की चौथी तिमाही के नतीजे अभी आने बाकी हैं, लेकिन Q3 में कंपनी की टॉपलाइन और बॉटमलाइन में मामूली वृद्धि देखी गई.
- Oriental Trimex
1996 में बनी ओरिएंटल ट्राइमेक्स, मार्बल ट्रेडिंग और प्रोसेसिंग का काम करती है और इटली, तुर्की, स्पेन जैसे देशों से हाई-ग्रेड मार्बल मंगाकर चेन्नई के पास अत्याधुनिक प्लांट में उसे प्रोसेस करती है. FY25 में कंपनी ने 4 साल के घाटे के बाद मुनाफे में वापसी की और 8.57 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा दर्ज किया.
इनके ग्राहकों में यूनिटेक, रेडिसन, द पार्क होटल्स, डाबर वटिका जैसे नाम शामिल हैं. कंपनी अब जापान की KMEW (पैनासोनिक ग्रुप) के साथ एडवांस क्लैडिंग सॉल्यूशन पर सहयोग की संभावनाएं तलाश रही है.
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Equity Master की रिपोर्ट के मुताबिक, मिनरल बेस्ड कंपनियों के लिए यह एक निर्णायक दशक साबित हो सकता है. इंफ्रास्टक्चर, रियल एस्टेट, रिन्यूएबल एनर्जी और इंडस्ट्रियल डिमांड के चलते खनिजों की मांग लगातार बढ़ रही है. ऐसे में ये छोटी, फोकस्ड और मुनाफे की ओर बढ़ती कंपनियां निवेशकों के लिए एक दिलचस्प अवसर बन सकती हैं.
हालांकि, निवेश से पहले कमोडिटी प्राइस ट्रेंड, विदेशी निर्भरता और कंपनी की गवर्नेंस पर भी ध्यान देना जरूरी है. क्योंकि माइनिंग की दुनिया जितनी गहराई लिए होती है, निवेश का फैसला उतना ही सोच-समझकर लिया जाना चाहिए.
डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.