अनिल अंबानी का कमबैक हकीकत या फसाना, 17 साल बाद R Power में हलचल, इस तेजी में छिपा है ये डर
अनिल अंबानी की किस्मत इन-दिनों बुलंदियों पर है, यही वजह है कि 17 साल पहले जिस रिलायंस पावर ने निवेशकों को निराश किया था, अब इसी में हलचल देखने को मिल रही है. बीते तीन महीनों में इस स्टॉक में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है, तो क्या है इस तेजी की वजह और ये रैली कब तक रहेगी कायम जानें डिटेल.
Reliance Power Share Price: अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस पावर एक बार फिर सुर्खियों में है. तीन महीनों में इसके शेयरों में 100% की तूफानी तेजी देखने को मिली है, जिसने निवेशकों को चौंका दिया है. इस कंपनी का आईपीओ फरवरी 2008 में आया था.11,563 करोड़ रुपये का ये ब्लॉकबस्टर IPO अपने प्राइस बैंड 450 रुपये के मुकाबले बढ़त के साथ 547 रुपये पर लिस्ट हुआ था, लेकिन बाद में इसमें तगड़ी गिरावट आई और ये कभी उबर नहीं पाया. मगर 17 साल बाद दोबारा इसमें हलचल देखने को मिली है. रिलायंस पावर के शेयरों में आई इस रैली के पीछे क्या है वजह, क्या यह वाकई एक धमाकेदार कमबैक है, या फिर एक बबल, जानें पूरी डिटेल.
रिलायंस पावर के शेयरों में तेजी की वजह
तीन महीनों में रिलायंस पावर के शेयरों में 100% का तूफानी उछाल देखने को मिला है. सबसे ज्यादा हलचल मई से जून 2025 के दौरान देखने को मिली. इस बीच शेयर 84% तक उछल गए. शेयरों में आई इस तेजी के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें नए प्रोजेक्ट्स के मिलने से लेकर कर्ज से मुक्ति, कानूनी झगड़ों का निपटारा और ताजा फंडिंग आदि शामिल है. इसी के बारे में विस्तार से समझते हैं.
बड़े प्रोजेक्ट्स से मजबूत हुई स्थिति
रिलायंस पावर अब कोयले से हटकर सोलर और बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) की ओर बढ़ रहा है. 2025 में कंपनी ने तीन बड़े प्रोजेक्ट्स हासिल किए. कंपनी ने एशिया की सबसे बड़ी सोलर एंड बैटरी प्रोजेक्ट SJVN के साथ 350 मेगावाट प्रोजेक्ट, भूटान सरकार के साथ 350 मेगावाट की सौर परियोजना और 175 मेगावाट की BESS परियोजना के लिए 25 साल का सौदा किया है. इन डील की वजह से कंपनी की स्थिति मजबूत हुई है.
कर्ज से छुटकारा
9 मई 2025 को Q4 FY25 के नतीजों में रिलायंस पावर ने ऐलान किया था कि उसका बैंक कर्ज जीरो हो गया है और कोई डिफॉल्ट नहीं है. अनिल अंबानी की कंपनी के लिए यह एक बड़ा मील का पत्थर है, क्योंकि अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप (ADAG) की दूसरी कंपनियां जैसे रिलायंस कैपिटल और रिलायंस नेवल इन्सॉल्वेंसी की मार झेल चुकी हैं. कंपनी के मुताबिक उसने ₹5,338 करोड़ का कर्ज चुकाया, जिससे डेट-टू-इक्विटी रेशियो FY24 के 1.61:1 से घटकर FY25 में 0.88:1 हो गया.
कर्ज को चुकाने के लिए लिक्विडिटी को शेयरों और वारंट्स में बदला गया और कई सब्सिडियरीज बेची गईं. मई 2025 में ₹348.15 करोड़ फ्रेश कैपिटल प्रेफरेंशियल शेयर अलॉटमेंट के जरिए जुटाई गई. हालांकि, इक्विटी डायल्यूशन से शेयरधारकों की हिस्सेदारी कमजोर हो सकती है, जो भविष्य में शेयर प्राइस को प्रभावित कर सकता है.
कानूनी झगड़ों का निपटारा
रिलायंस पावर और इसकी पैरेंट कंपनी रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने कई कानूनी मामलों को सुलझाया है. दिसंबर 2024 में, कंपनी ने अमेरिका के एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक के साथ ₹2,500 करोड़ का कर्ज सेटल किया. इसके अलावा, रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने धुरसर सोलर पावर के ₹92.68 करोड़ के बकाए का भुगतान कर इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया को रुकवाया, जिसे NCLAT ने 4 जून 2025 को स्थगित कर दिया. ये सेटलमेंट्स निवेशकों का भरोसा बढ़ा रहे हैं, लेकिन ADAG की कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर सवाल अब भी बरकरार हैं.
फाइनेंशियल टर्नअराउंड
- अनिल अंबानी की कंपनी जहां एक समय कर्ज में डूबी थी, वहीं अब ये रिवाइवल की ओर बढ़ रही है.
- कंपनी न सिर्फ पिछले दौर से बाहर आई बल्कि Q4 FY25 में रिलायंस पावर ने ₹125.57 करोड़ का कंसॉलिडेटेड मुनाफा भी दर्ज किया, जबकि पिछले साल इसी तिमाही में ₹397.56 करोड़ का नुकसान हुआ था.
- पूरे FY25 में कंपनी ₹2,947 करोड़ के मुनाफे में रही, जो FY24 के ₹2,242 करोड़ के नुकसान से एक जबरदस्त उलटफेर है.
- रेवेन्यू में 1% की मामूली गिरावट आई, जो ₹1,978.01 करोड़ रही. यह मुनाफा कॉस्ट-कटिंग और कर्ज कम करने से आया है.
ग्रीन एनर्जी में बूस्ट और सरकारी सपोर्ट
भारत की ग्रीन एनर्जी नीतियाें को बढ़ावा देने और इसमें सब्सिडी मिलने से रिलायंस पावर को काफी फायदा मिला है. सोलर और BESS प्रोजेक्ट्स के साथ कंपनी भारत की डीकार्बनाइजेशन मिशन का हिस्सा बन रही है. SJVN और SECI जैसे PSU के साथ कॉन्ट्रैक्ट्स और भूटान की सरकार के साथ साझेदारी कंपनी की विश्वसनीयता को मजबूत कर रही है.
10 साल के हाई लेवल पर पहुंचा शेयर
रिलायंस पावर का शेयर इस समय 63.88 रुपये पर ट्रेड कर रहा है. अभी तक ये ₹71.35 तक पहुंच चुका है, जो इसके 10 साल का हाई है. 2025 में ये 68% बढ़ चुका है, जबकि पिछले एक साल में 115.08% की वृद्धि दर्शाता है. यह रैली प्रोजेक्ट्स की डिलीवरी, सस्टेनेबल आय और गवर्नेंस सुधार को देखते हुए आई है.
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छलावा या वाकई है दम
जानकारों के मुताबिक रिलायंस पावर की यह रैली कई मायनों में सुजलॉन एनर्जी की तरह है, जिसने विंड टरबाइन ऑर्डर्स और तेज कैश कन्वर्जन के दम पर जबरदस्त रिकवरी की. लेकिन रिलायंस पावर के लिए कई चुनौतियां बाकी हैं. इसमें सबसे अहम प्रोजेक्ट्स का समय पर पूरा न होना है. जैसे समालकोट में रिलायंस पावर की 2,400 मेगावाट की गैस-आधारित परियोजना, जिसे 2012 में चालू होने की उम्मीद थी, लेकिन गैस आपूर्ति की कमी और वित्तीय कठिनाइयों के कारण यह प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाया. इसके अलावा ऑपरेशनल दक्षता और कॉर्पोरेट गवर्नेंस के पुराने दाग भी इसके लिए चिंता का विषय है. 2008 के IPO के बाद कंपनी की नाकामियां निवेशकों के जेहन में हैं, यह शेयर अपने आईपीओ प्राइस बैंड ₹400-450 से गिरकर डबल डिजिट में आ चुके हैं.