Bitcoin होगा 10 लाख डॉलर के पार, मार्केट कैप के लिहाज से भारत की इकोनॉमी से हो जाएगा बड़ा
BitMEX के को-फाउंडर आर्थर हेयस का मानना है कि 2028 तक Bitcoin की कीमत 10 लाख डॉलर तक पहुंच जाएगी. BTC का यह प्राइस प्रेडिक्शन मौद्रिक नीति की कमजोरी, दुनिया में हो रहे राजनीतिक बदलावों और 1971 में बनी फिएट प्रणाली के पतन पर आधारित है.
Bitcoin To $1 Million By 2028: मार्केट कैप के लिहाज से बिटकॉइन 2.17 लाख करोड़ डॉलर के साथ दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी है. तमाम एनालिस्टों का मानना है कि इस साल में ही बिटकॉइन की कीमत 2.5 से 3 लाख डॉलर तक पहुंच सकती है. इसके अलावा 2028 तक यह कीमत करीब 10 लाख डॉलर तक पहुंच सकती है. क्रिप्टोकरेंसी के जानकार और विश्लेषकों के ये दावे हवा-हवाई नहीं हैं. बल्कि, इन दावों के पीछे कुछ ठोस कारण हैं. मसलन, हेयस का कहना है कि Bitcoin का उदय असल में मौजूदा फिएट मुद्रा प्रणाली के पतन का नतीजा है.
बहरहाल, ज्यादातर प्राइस प्रेडिक्शन के हिसाब से इस साल बिटकॉइन का मार्केट कैप भारत की जीडीपी से भी ज्यादा करीब 6 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. क्योंकि, ज्यादातर एनालिस्ट और क्रिप्टो एक्सपर्ट मान रहे हैं कि इस साल के दौरान बिटकॉइन की कीमत 2.5 से 3 लाख डॉलर तक हिट कर सकती है. जबकि, आईएमएफ के ताजा अनुमानों के मुताबिक भारत की जीडीपी फिलहाल करीब 4 लाख करोड़ डॉलर के आसपास है.
क्या बोले आर्थर हेयस?
फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक BitMEX के को-फाउंडर आर्थर हेयस का कहना है कि एक बिटकॉइन की कीमत 2028 तक 10 लाख डॉलर तक पहुंच जाएगी. हेयस का कहना है कि वे क्रिप्टोकरेंसी के वोलैटाइल नेचर को समझते हैं. लेकिन यह प्राइस प्रेडिक्शन इन तमाम फैक्टर को ध्यान में रखकर कर रहे हैं. हेयस का दावा है कि BTC के 10,00,000 डॉलर पहुंचने को टाला नहीं जा सकता है, क्योंकि यह दशकों की मौद्रिक नीति की गलतियों, वैश्विक राजनीतिक पुनर्संतुलन और 1971 में बने फिएट सिस्टम के पतन पर आधारित है.
क्या है फिएट करेंसी सिस्टम
अगर परिभाषा के लिहाज से देखें, तो फिएट करेंसी, ऐसी मुद्रा को कहा जाता है, जिसका मूल्य सरकार तय करती है. असल में अमेरिका ने 1971 में डॉलर को सोने से अलग कर दिया. इसके बाद जो वैश्विक वित्तीय प्रणाली बनाई गई, उसमें करेंसी जारी करने का अधिकार बड़े पैमाने पर केंद्रीय बैंकों के हाथों में आ गया, जिससे तमाम देश अपनी मर्जी के मुताबिक मुद्रा छापने लगे. इस व्यवस्था में सबसे बड़ा लाभ कर्ज देने वाले बैंकों को मिला है. लेकिन, बिटकॉइन ने फाइनेंशियल सोवरेनिटी की व्यवस्था को व्यवस्थित तरीके से चुनौती दी है.
क्यों डॉलर का विकल्प बनेगा बिटकॉइन
हेयस के प्राइस प्रेडिक्शन के पीछे एक सरल सिद्धांत है. हेयस के मुताबिक फिएट सिस्टम को या तो और ज्यादा फूलेगा या फिर ढह जाएगा. दोनों ही ही परिस्थितियों में बिटकॉइन का डॉलर की जगह लेना तय है. हेयस का कहना है कि मौजूदा आर्थिक ढांचे को बनाए रखने के लिए सरकार मनमर्जी से कितनी भी रकम छाप सकती है, लेकिन आखिर में जितनी रकम छापनी होगी, वह चौंकाने वाली होगी, जिससे अंत में यह व्यवस्था धराशायी होगी. जबकि, बिटकॉइन पर सरकार का काबू नहीं होगा, इसे निश्चत मात्रा के बाद छापा नहीं जा सकता है. ऐसे में एक समय के बाद बिटकॉइन एक वैश्विक मुद्रा के तौर पर उभरेगा.
इस साल कहां तक पहुंचेगा बिटकॉइन?
क्रिप्टो एनालिटिक्स कंपनी एम्बरडाटा की तरफ से जुटाए और ब्लूमबर्ग की तरफ से रिव्यू किए गए डाटा के मुताबिक बिटकॉइन कॉल ऑप्शन के लिहाज से देखा जाए, तो जून 2025 के अंत में ज्यादातर कॉल ऑप्शन 3,00,000 डॉलर के स्ट्राइक मूल्य पर एक्सपायर हो रहे हैं, इसके बाद दूसरा सबसे लोकप्रिय ऑप्शन 1,10,000 डॉलर का है. एम्बरडाटा के डेरिवेटिव्स के निदेशक ग्रेग मैगादिनी के मुताबिक बिटकॉइन के लिए डीलर 1,10,000 डॉलर पर शॉर्ट पोजिशन बना रहे हैं, जबकि, ट्रेडर्स नए ऑल-टाइम हाई के लिए ऑप्शन खरीद रहे हैं. इस तरह बिटकॉइन नए ऑल-टाइम हाई की तरफ बढ़ रहा है. इसी तरह अनचेन्ड के मार्केट रिसर्च डायरेक्टर जो बर्नेट का कहना है कि इस साल बिटकॉइन को 2,00,000 से 2,50,000 तक पहुंचते देखकर हैरानी नहीं होगी.