कोचीन शिपयार्ड का शेयर क्यों चढ़ रहा है? ये 3 फैक्टर बने तेजी की वजह, 5 सेशंस में 4.6% तक उछला स्टॉक

भारत सरकार शिपबिल्डिंग सेक्टर को तेजी से आगे बढ़ा रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस सेक्टर में 2300 अरब रुपये से ज्यादा के प्रोजेक्ट पहले से मंजूर हैं या चल रहे हैं. इनमें warship, फ्रिगेट, सबमरीन, एयरक्राफ्ट कैरियर और सपोर्ट शिप जैसे बड़े और महंगे जहाज शामिल हैं. यह सीधे तौर पर सरकारी शिपयार्ड्स के लिए बड़े मौके खोलता है.

शिपयार्ड कंपनी Image Credit: cochinshipyard

Cochin Shipyard Share Price: भारतीय शेयर बाजार में लगातार दूसरे दिन तेजी देखने को मिली. सेंसेक्स 638 अंकों की मजबूती के साथ 85,567 के स्तर पर बंद हुआ, वहीं निफ्टी भी 206 अंक चढ़ा. बाजार के इस पॉजिटिव माहौल में एक सरकारी शेयर ने निवेशकों का खास ध्यान खींचा. इसका नाम Cochin Shipyard Limited है. सोमवार को कोचीन शिपयार्ड का शेयर करीब 7.6 फीसदी तक उछल गया.

अचानक आई इस तेजी ने निवेशकों के मन में सवाल खड़ा कर दिया. आखिर ऐसा क्या हुआ कि यह शेयर भागने लगा? दरअसल, भारत सरकार की बड़ी योजनाएं, डिफेंस और शिपबिल्डिंग सेक्टर में बढ़ता खर्च, और कंपनी को मिले नए ऑर्डर इस तेजी की सबसे बड़ी वजह हैं. भारत अब सिर्फ जहाज खरीदने वाला देश नहीं, बल्कि जहाज बनाने और निर्यात करने वाला बड़ा खिलाड़ी बनना चाहता है. इसी बदलाव के केंद्र में कोचीन शिपयार्ड खड़ा है.

भारत में शिपबिल्डिंग सेक्टर की बड़ी तैयारी

भारत सरकार शिपबिल्डिंग सेक्टर को तेजी से आगे बढ़ा रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस सेक्टर में 2300 अरब रुपये से ज्यादा के प्रोजेक्ट पहले से मंजूर हैं या चल रहे हैं. इनमें warship, फ्रिगेट, सबमरीन, एयरक्राफ्ट कैरियर और सपोर्ट शिप जैसे बड़े और महंगे जहाज शामिल हैं. यह सीधे तौर पर सरकारी शिपयार्ड्स के लिए बड़े मौके खोलता है.

सरकार का मजबूत सपोर्ट और बड़ा पैकेज

हाल ही में सरकार ने ₹697 अरब रुपये का Shipbuilding and Maritime Development Package लॉन्च किया है. इसका मकसद भारत को साल 2047 तक दुनिया के टॉप-5 शिपबिल्डिंग देशों में शामिल करना है. इस पैकेज के तहत सब्सिडी, फाइनेंशियल सपोर्ट और नए कोस्टल शिपयार्ड हब बनाए जाएंगे, ताकि भारत चीन, दक्षिण कोरिया और जापान जैसे देशों से मुकाबला कर सके.

डिफेंस बजट और ‘मेक इन इंडिया’ का असर

भारत का नेवी बजट FY26 तक ₹93 अरब से बढ़कर ₹244 अरब रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है. डिफेंस खरीद का 75% से ज्यादा हिस्सा अब देश में ही बनाया जा रहा है. FY25 में भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट ₹236 अरब रुपये तक पहुंच गया. फिलहाल 60 से ज्यादा जहाज बन रहे हैं और 70-80 नए जहाजों की योजना है, जिससे कोचीन शिपयार्ड जैसी कंपनियों को बड़ा फायदा मिल सकता है.

ग्रीन शिपबिल्डिंग में बड़ी कामयाबी

कोचीन शिपयार्ड को डेनमार्क की कंपनी Svitzer से चार पूरी तरह इलेक्ट्रिक हार्बर टग बनाने का इंटरनेशनल ऑर्डर मिला है. इस डील की वैल्यू ₹2.5 अरब से ₹5 अरब रुपये के बीच है. यह कंपनी के लिए ग्रीन और भविष्य की शिपबिल्डिंग में बड़ा कदम माना जा रहा है.

मजबूत ऑर्डर बुक और विस्तार की योजना

कंपनी की ऑर्डर बुक ₹200 अरब रुपये से ज्यादा की है. इसके अलावा, कोचीन के पास नया ब्लॉक फैब्रिकेशन यार्ड बनाने की योजना है, जिससे बड़े प्रोजेक्ट जल्दी पूरे किए जा सकेंगे. शेयर का हाल पर नजर डालते है.

सरकारी सपोर्ट, मजबूत ऑर्डर, ग्रीन टेक्नोलॉजी और डिफेंस सेक्टर की तेजी इन सभी वजहों से कोचीन शिपयार्ड का शेयर ऊपर जा रहा है. अगर यही रफ्तार बनी रही, तो निवेशकों के लिए यह शेयर आगे भी चर्चा में रह सकता है.

डेटा सोर्स: Equity Master, Groww

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