CDSL सहित इन 5 कंपनियों के शेयरहोल्डिंग पैटर्न में बड़ा बदलाव, FIIs और DIIs ने मिलकर घटाई अपनी हिस्सेदारी
भारतीय शेयर बाजार में संस्थागत निवेशकों का मूड बदलता नजर आ रहा है. सितंबर 2025 तिमाही में कई दिग्गज कंपनियों में Foreign Institutional Investors (FII) और Domestic Institutional Investors (DII)- दोनों ने अपनी हिस्सेदारी घटाई है. इनमें CDSL जैसी कई कंपनियां शामिल हैं. देखें पूरी लिस्ट.
FIIs and DIIs Cut Stake From Companies: भारतीय शेयर बाजार में दो बड़े निवेशक वर्ग हमेशा सुर्खियों में रहते हैं. पहला फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (FII) और दूसरा घरेलू इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (DII). ये दोनों बाजार की दिशा और सेंटीमेंट को काफी हद तक प्रभावित करते हैं. जब विदेशी निवेशक किसी सेक्टर या कंपनी में निवेश बढ़ाते हैं, तो इसे भारत के प्रति उनके भरोसे का संकेत माना जाता है, वहीं DII का बढ़ता निवेश घरेलू निवेशकों की रुचि को दर्शाता है. लेकिन कई बार इनका निवेश पैटर्न किसी कंपनी के असली मूल्यों या भविष्य की संभावनाओं को पूरी तरह नहीं दर्शाता. हाल ही में कुछ ऐसी कंपनियां सामने आई हैं, जहां दोनों ही कैटेगरी के निवेशकों ने अपनी हिस्सेदारी घटाई है. आइए एक नजर डालते हैं इन पांच कंपनियों पर.
CDSL
CDSL यानी Central Depository Services Limited भारत की प्रमुख मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों में से एक है. यह कंपनी निवेशकों को शेयर, बॉन्ड और म्यूचुअल फंड जैसी सिक्योरिटीज को इलेक्ट्रॉनिक या डीमैट फॉर्म में रखने की सुविधा देती है. सितंबर 2025 तिमाही में FIIs ने CDSL में अपनी हिस्सेदारी 12.90 फीसदी से घटाकर 11.54 फीसदी कर दी, यानी लगभग 1.36 फीसदी की गिरावट.
| अवधि | FII होल्डिंग | DII होल्डिंग |
|---|---|---|
| जून 2025 | 12.90% | 14.24% |
| सितम्बर 2025 | 11.54% | 14.18% |
वहीं DIIs की हिस्सेदारी भी 14.24 फीसदी से घटकर 14.18 फीसदी हो गई. कंपनी को उम्मीद है कि भारत में तेजी से बढ़ती डिमैट अकाउंट ओपनिंग, IPO की बढ़ती संख्या और रिटेल निवेशकों की भागीदारी उसके व्यवसाय को भविष्य में और मजबूत बनाएगी.
Sterling and Wilson Renewable Energy
Sterling and Wilson Renewable Energy भारत की प्रमुख इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट और कंस्ट्रक्शन (EPC) कंपनियों में से एक है. यह कंपनी बड़े पैमाने पर सोलर, हाइब्रिड और बैटरी स्टोरेज प्रोजेक्ट्स पर काम करती है और विश्व की लीडिंग सोलर EPC कंपनियों में गिनी जाती है. सितंबर 2025 तिमाही में FIIs ने कंपनी में अपनी हिस्सेदारी 8.41 फीसदी से घटाकर 7.11 फीसदी कर दी, जबकि DIIs की हिस्सेदारी 5.02 फीसदी से घटकर 3.18 फीसदी रह गई.
| अवधि | FII होल्डिंग | DII होल्डिंग |
|---|---|---|
| जून 2025 | 8.41% | 5.02% |
| सितम्बर 2025 | 7.11% | 3.18% |
यानी विदेशी और घरेलू दोनों निवेशकों ने अपनी हिस्सेदारी में क्रमशः 1.3 फीसदी और 1.84 फीसदी की कमी की है. कंपनी के पास फिलहाल 25 गीगावाट से अधिक की बोली पाइपलाइन है और यह भारत के साथ-साथ अफ्रीका और यूरोप में भी नए अवसर तलाश रही है. वर्तमान में कंपनी के पास लगभग 92.87 बिलियन मूल्य के अनएक्जीक्यूटेड ऑर्डर हैं, जो इसकी आय को आने वाले वर्षों में स्थिरता देंगे. Sterling and Wilson डिजिटल ऑटोमेशन और स्टोरेज टेक्नोलॉजी में निवेश कर अपनी क्षमता को और बढ़ा रही है.
Balrampur Chini Mills
बलरामपुर चीनी मिल्स भारत की लीडिंग शुगर कंपनियों में से एक है. यह कंपनी सिर्फ शुगर प्रोडक्शन तक सीमित नहीं है, बल्कि इथेनॉल, बिजली प्रोडक्शन और डिस्टिलरी बिजनेस में भी सक्रिय है. सितंबर 2025 में विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी 11.99 फीसदी से घटकर 11.20 फीसदी हो गई, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी 28.02 फीसदी से घटकर 27.59 फीसदी रह गई. यानी FII की हिस्सेदारी में 0.79 फीसदी और DII की हिस्सेदारी में 0.43 फीसदी की गिरावट आई है.
| अवधि | FII होल्डिंग | DII होल्डिंग |
|---|---|---|
| जून 2025 | 11.99% | 28.02% |
| सितम्बर 2025 | 11.20% | 27.59% |
कंपनी अब अपने इतिहास के सबसे बड़े प्रोजेक्ट पर काम शुरू करने जा रही है. पॉली लैक्टिक एसिड (PLA) पॉलिमर बिजनेस. कंपनी की नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट 2026 के अंत तक शुरू होने की संभावना है. इसके साथ ही कंपनी में दीर्घकालिक वृद्धि की नई संभावनाएं खुल रही हैं.
Marksans Pharma
Marksans Pharma भारत की एक प्रमुख फार्मास्युटिकल कंपनी है जो ओवर-द-काउंटर (OTC) और प्रिस्क्रिप्शन ड्रग्स दोनों सेगमेंट में काम करती है. इसके प्रोडक्ट कार्डियोलॉजी, डायबिटीज, ऑन्कोलॉजी और गैस्ट्रोएंटरोलॉजी जैसी विभिन्न चिकित्सीय श्रेणियों में उपयोग किए जाते हैं. सितंबर 2025 में FIIs ने कंपनी में अपनी हिस्सेदारी 19.89 फीसदी से घटाकर 16.92 फीसदी कर दी, जबकि DIIs की हिस्सेदारी 5.50 फीसदी से घटकर 5.28 फीसदी रह गई.
| अवधि | FII होल्डिंग | DII होल्डिंग |
|---|---|---|
| जून 2025 | 19.89% | 5.50% |
| सितम्बर 2025 | 16.92% | 5.28% |
यानी विदेशी निवेशकों ने 2.97 फीसदी और घरेलू निवेशकों ने 0.22 फीसदी की हिस्सेदारी घटाई है. कंपनी अब अपने OTC बिजनेस को दोगुना करने और अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप के बाजारों में मजबूत उपस्थिति बनाने पर फोकस कर रही है. वैश्विक OTC मार्केट 2025 तक US$ 204 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है.
Sula Vineyards
भारत की सबसे बड़ी वाइन निर्माता कंपनी सुला वाइनयार्ड्स के पास महाराष्ट्र और कर्नाटक में 2,800 एकड़ से अधिक का वाइनयार्ड नेटवर्क है. कंपनी हर साल भारत में एक मिलियन से अधिक वाइन केस का उत्पादन और वितरण करती है. सितंबर 2025 में FIIs की हिस्सेदारी 6.68 फीसदी से घटकर 4.45 फीसदी हो गई, जबकि DIIs की हिस्सेदारी 18.25 फीसदी से घटकर 18.01 फीसदी रह गई. यानी विदेशी निवेशकों ने 2.23 फीसदी और घरेलू निवेशकों ने 0.24 फीसदी की कमी की है.
| अवधि | FII होल्डिंग | DII होल्डिंग |
|---|---|---|
| जून 2025 | 6.68% | 18.25% |
| सितम्बर 2025 | 4.45% | 18.01% |
कंपनी ने वित्त वर्ष 2026 के लिए अपने वाइन टूरिज्म पोर्टफोलियो का विस्तार करने की योजना बनाई है. इसमें गुजरात सीमा के पास नया Dindori Tasting Room, और नासिक में स्थित Domaine Sula में एक नया टेस्टिंग रूम व रेस्तरां शामिल है. साथ ही, सुला जल्द ही 30 कमरों वाला नया रिसॉर्ट भी लॉन्च करने जा रही है, जिससे आने वाले त्योहारी सीजन में कंपनी की बिक्री और ब्रांड वैल्यू दोनों बढ़ने की उम्मीद है.
ये भी पढ़ें- देश की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी इंडिगो को Q2 में हुआ ₹2582 करोड़ का घाटा, रेवेन्यू में उछाल, शेयर हुए धड़ाम
डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.