10 साल में 247 रु बने 3.44 लाख, क्रिप्टो Ethereum बना मुनाफे का डिजिटल कॉइन, जानें कितनी है कीमत
Ethereum ने 2015 में 247 रुपये से शुरुआत की और आज इसकी कीमत 3.49 लाख रुपये तक पहुंच चुकी है. स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स, NFTs और DeFi जैसे इनोवेशन के जरिए यह सिर्फ एक क्रिप्टो नहीं, बल्कि पूरी डिजिटल दुनिया की रीढ़ बन चुका है. ऐसे में चलिए जानते हैं इसके सफर के बारे में जो दिखाता है कि टेक्नोलॉजी और सोच मिलकर कितना बड़ा बदलाव ला सकती हैं.
Ethereum History: साल 2015 में जब Ethereum लॉन्च हुआ था, तब Ether की कीमत सिर्फ 247 रुपये थी. उस वक्त शायद ही किसी ने सोचा होगा कि यही नेटवर्क एक दिन डिजिटल फाइनेंस की दुनिया का सबसे बड़ा नाम बन जाएगा. आज 10 साल बाद Ethereum की कीमत 3.44 लाख रुपये तक पहुंच चुकी है और दुनिया के 30 से ज्यादा शहरों में इसकी सालगिरह मनाई जा रही है. लेकिन ये सफर सिर्फ पैसों का नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी की क्रांति का है. आज यानी 31 जुलाई 2025 को एथेरियम (Ethereum) की कीमत 3,860.81 डॉलर है, जो पिछले 24 घंटों में 1.23 फीसदी बढ़ी है. यह क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में दूसरे नंबर पर बनी हुई है. ऐसे में चलिए जानते हैं एथेरियम ने इतनी बड़ी ग्रोथ कैसे की साथ ही शुरुआत से लेकर अब तक उसके सफर में क्या उतार चढ़ाव रहा.
क्या है Ethereum ?
Ethereum एक क्रिप्टोकरेंसी (Ether) है. यह एक ऐसा ब्लॉकचेन नेटवर्क आधारित क्रिप्टो है जिस पर सिर्फ डिजिटल पैसा भेजने का काम नहीं होता, बल्कि इस पर ऐसे स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स बनाए जाते हैं जो अपने आप चलते हैं. आसान भाषा में कहें तो Ethereum एक डिजिटल कंप्यूटर की तरह है जो दुनिया भर में फैला हुआ है. इस पर लोग ऐप्स, गेम्स, फाइनेंस सिस्टम, NFTs और कई तरह की सेवाएं बिना किसी बैंक या कंपनी के बना सकते हैं. इसका अपना कॉइन Ether (ETH) है, जिसका इस्तेमाल लेन-देन और फीस चुकाने में होता है.
कैसे शुरु हुआ Ethereum का सफर?
Ethereum की कहानी साल 2013 के आखिर में शुरू हुई. उस वक्त 19 साल के विटालिक ब्यूटेरिन ने सोचा कि ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी सिर्फ डिजिटल पैसे भेजने तक ही क्यों सीमित रहे? क्यों न ऐसा सिस्टम बनाया जाए जहां सिर्फ पैसों की नहीं, बल्कि किसी भी काम की डील अपने आप हो जाए, बिना किसी बिचौलिए के?
कैसे यह बिटकॉइन से अलग ?
बिटकॉइन को जहां एक रहस्यमय शख्स ने बनाया था, वहीं Ethereum के फाउंडर्स विटालिक के साथ-साथ गेविन वुड, चार्ल्स हॉस्किन्सन, एंथनी डि इओरियो और जोसेफ लुबिन ने सब कुछ खुलकर दुनिया के सामने रखा. उन्होंने 2014 में एक डॉक्यूमेंट जारी किया, जिसमें उन्होंने वर्ल्ड कंप्यूटर यानी ऐसा इंटरनेट प्लेटफॉर्म बनाने का आइडिया दिया जो स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स चला सके. ये स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स ऐसे कोड होते हैं जो अपने आप चलते हैं, जैसे किसी चीज की पेमेंट होते ही वो सामान ऑटोमैटिक डिलीवर हो जाए, बिना किसी इंसान के शामिल हुए.
शुरुआत में कीमत न के बराबर
Ethereum के कॉइन यानी Ether (ETH) की कीमत शुरू में न के बराबर थी. लोग इसे बहुत कम दामों में खरीद रहे थे. लेकिन डेवलपमेंट के बाद, 30 जुलाई 2015 को Ethereum का पहला जेनेसिस ब्लॉक माइन किया गया और नेटवर्क लाइव हो गया. अब डेवलपर्स इस प्लेटफॉर्म पर ऐप्स, गेम्स, कंपनी जैसे सिस्टम, यहां तक कि पूरी डिजिटल इकॉनमी बना सकते थे और ये सब कोड से, सीधे ब्लॉकचेन पर.
हैकर्स की चपेट में भी आया Ethereum
2016 तक Ethereum में कई टेक्निकल सुधार हो चुके थे और ये एक पूरी तरह काम करने वाला नेटवर्क बन चुका था. लेकिन फिर आई एक बड़ी मुसीबत DAO नाम के एक प्रोजेक्ट में हैकर्स ने घुसपैठ कर ली और करीब 60 मिलियन डॉलर का ETH चुरा लिया. सिर्फ पैसा खोना नहीं था, बल्कि पूरी Ethereum कम्युनिटी के सामने एक बड़ा सवाल था, क्या सिस्टम को वापस घुमा कर नुकसान को ठीक किया जाए, या ब्लॉकचेन को वैसा ही छोड़ दिया जाए. हालांकि बाद में Ethereum की टीम ने मिलकर काम किया और इस नेटवर्क को दो हिस्सों में बांट दिया. एक बना Ethereum (जो आज भी चलता है) और दूसरा Ethereum Classic.
साल 2017 का हाल
2017 में आए Byzantium नाम के अपडेट ने इसे और तेज और प्राइवेट बनाया. उसी साल ICO (Initial Coin Offerings) का दौर चला और Ethereum पर नए-नए प्रोजेक्ट्स बनने लगे. इसी दौरान CryptoKitties नाम का एक डिजिटल गेम आया, जिससे NFT यानी डिजिटल चीजों के मालिकाना हक का चलन शुरू हुआ. Ethereum की पॉपुलैरिटी अब अपने चरम पर बढ़ी.
2020 के बाद Ethereum ने पकड़ ली रफ्तार
2019 में Constantinople और Istanbul जैसे अपडेट्स से Ethereum और बेहतर हुआ. फिर 2020 में आया DeFi Summer कुछ ही महीनों में Ethereum पर बनी फाइनेंस ऐप्स में अरबों डॉलर लॉक हो गए. लोग अब बिना बैंक के लोन ले रहे थे, ट्रेड कर रहे थे और इन्वेस्टमेंट कर रहे थे.
Ethereum का सबसे बड़ा मोड़
सितंबर 2022 में Ethereum ने पूरी तरह से Proof-of-Stake सिस्टम अपना लिया, जिसे The Merge कहा गया. इसके बाद नेटवर्क की बिजली खपत 99 फीसदी से ज्यादा घट गई. खास बात यह रही कि यह बदलाव बिना किसी रुकावट के हुआ. साथ ही, Ethereum ने Arbitrum, Optimism जैसे नए तकनीकी रास्ते अपनाए, जिससे ट्रांजैक्शन फीस कम हो गई और स्पीड भी बढ़ गई. ये सब मिलकर Ethereum को और आगे ले गए. ऐसे में Ethereum अब सिर्फ क्रिप्टो नहीं है. ये एक पूरा डिजिटल इकोनॉमी प्लेटफॉर्म बन चुका है. अरबों डॉलर के लेन-देन इसी पर हो रहे हैं.
बड़ी-बड़ी कंपनियां और फाइनेंशियल संस्थाएं Ethereum पर आधारित ऐप्स बना रही हैं. Layer 2 टेक्नोलॉजी और नए अपग्रेड्स (जैसे Shanghai और Dencun) ने इसे और तेज, सस्ता और मजबूत बना दिया है.
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