ये है भारत का अगला डिफेंस स्टार, 5 साल में 1200% का रिटर्न, ऑर्डर बुक में एक से एक नगीने, रखें नजर
गार्डन रीच की ताकत इसका 23,877 करोड़ रुपये का ऑर्डर बुक है. इसमें 10 अलग-अलग प्रोजेक्ट्स के तहत 40 जहाज शामिल हैं, जैसे कि एंटी-सबमरीन शिप्स, पेट्रोल वेसल्स, सर्वे शिप्स और निर्यात के लिए मल्टी-पर्पस वेसल्स. लेकिन असली खेल तो अब शुरू होने वाला है. कंपनी दो बड़े ऑर्डर्स के लिए बोली में सबसे आगे है. पहला है 36,000 करोड़ रुपये का नेक्स्ट-जेनेरेशन कॉर्वेट (NGC) प्रोजेक्ट, जिसमें गार्डन रीच को 25,000-30,000 करोड़ रुपये का हिस्सा मिल सकता है.
Garden Reach: भारत में डिफेंस शिपबिल्डिंग में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स का दबदबा किसी से छिपा नहीं है. यह कंपनी भारतीय नौसेना के लिए युद्धपोत और पनडुब्बियां बनाती है. इसके शानदार प्रदर्शन की वजह से निवेशकों ने इसे हाई वैल्यूएशन दी है. लेकिन अब एक और PSU धीरे-धीरे लेकिन मजबूती से मझगांव को टक्कर देने की तैयारी कर रहा है. यह कंपनी भले ही छोटी हो, लेकिन यह चुस्त-दुरुस्त और विकास की नई संभावनाओं से भरी हुई है. इस PSU का नाम गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) है. आइए, जानते हैं कि गार्डन रीच कैसे बन सकता है भारत का अगला डिफेंस स्टार.
ऑर्डर बुक ही असली पहचान
गार्डन रीच की ताकत इसका 23,877 करोड़ रुपये का ऑर्डर बुक है. इसमें 10 अलग-अलग प्रोजेक्ट्स के तहत 40 जहाज शामिल हैं, जैसे कि एंटी-सबमरीन शिप्स, पेट्रोल वेसल्स, सर्वे शिप्स और निर्यात के लिए मल्टी-पर्पस वेसल्स. लेकिन असली खेल तो अब शुरू होने वाला है. कंपनी दो बड़े ऑर्डर्स के लिए बोली में सबसे आगे है. पहला है 36,000 करोड़ रुपये का नेक्स्ट-जेनेरेशन कॉर्वेट (NGC) प्रोजेक्ट, जिसमें गार्डन रीच को 25,000-30,000 करोड़ रुपये का हिस्सा मिल सकता है.
यह ऑर्डर अगले कुछ महीनों में फाइनल हो सकता है. दूसरा है 70,000 करोड़ रुपये का P-17 ब्रावो स्टील्थ फ्रिगेट प्रोजेक्ट, जिसमें गार्डन रीच मझगांव और एक अन्य शिपयार्ड के साथ मुकाबला कर रहा है. इनके अलावा, कंपनी की पाइपलाइन में और भी कई प्रोजेक्ट्स हैं. इसमें 31 वॉटरजेट फास्ट अटैक क्राफ्ट्स, 120 फास्ट इंटरसेप्टर क्राफ्ट्स, 6 नेक्स्ट-जेन ऑफशोर पेट्रोल वेसल्स और 5 नेक्स्ट-जेन सर्वे वेसल्स शामिल है. अगर गार्डन रीच इनमें से कुछ भी जीत लेता है, तो इसके शिपयार्ड साल 2030 तक पूरी तरह व्यस्त रहेंगे.
मझगांव से दो कदम आगे गार्डन रीच
मझगांव जहां पनडुब्बियों और युद्धपोतों पर फोकस करता है, वहीं गार्डन रीच ने अपना दायरा बढ़ाया है. हाल ही में कंपनी ने पश्चिम बंगाल सरकार से 13 हाइब्रिड फेरी का वर्ल्ड बैंक फंडेड ऑर्डर हासिल किया. इसके अलावा, जर्मनी के एक क्लाइंट के साथ मल्टी-पर्पस वेसल का डील और दो विदेशी देशों के लिए निर्यात ऑर्डर भी लिए. कंपनी ने शिप रिपेयर का बिजनेस भी शुरू किया है, जो कम पूंजी में ज्यादा मुनाफा देता है. यूरोपीय क्लाइंट्स से रिपेयर कॉन्ट्रैक्ट्स भी मिलने लगे हैं. यानी, गार्डन रीच सिर्फ भारतीय नौसेना पर निर्भर नहीं है. यह अपने बिजनेस को विविधता देकर भविष्य को सुरक्षित कर रहा है, जो ज्यादातर PSU कंपनियां नहीं कर पातीं.
डिलीवरी में तेजी से बदलेगी कहानी
बड़ा ऑर्डर बुक तभी काम आता है, जब कंपनी उसे समय पर पूरा करे. इस मामले में गार्डन रीच का रिकॉर्ड बेहतर हो रहा है. इसके प्रोजेक्ट-17 अल्फा स्टील्थ फ्रिगेट्स की कीमत 19,300 करोड़ रुपये है, जिसमें से 11,400 करोड़ रुपये का काम बाकी है. गार्डन रीच तीन जहाज बना रहा है, और पहला जहाज INS हिमगिरी मार्च 2025 में अपने ट्रायल्स पूरे कर चुका है. इसे साल 2025 के मध्य तक डिलीवर कर दिया जाएगा, जो तय समय से पहले है.
एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट (ASWSWC) प्रोजेक्ट में गार्डन रीच 6,311 करोड़ रुपये के कॉन्ट्रैक्ट के तहत 8 जहाज बना रहा है. पहला जहाज INS अर्नाला मई 2025 में डिलीवर हो चुका है, और दूसरा जहाज INS अजय साल 2025 के अंत या साल 2026 की शुरुआत में तैयार होगा. नेक्स्ट-जेन ऑफशोर पेट्रोल वेसल (NGOPV) प्रोजेक्ट में 3,300 करोड़ रुपये के चार जहाजों का काम साल 2024 में शुरू हुआ, और डिलीवरी साल 2026 के अंत से शुरू होगी.
मजबूत बैलेंस शीट
गार्डन रीच की बैलेंस शीट पूरी तरह कर्ज-मुक्त है. कंपनी लगातार मुनाफा कमा रही है और इसमें कोई बड़ी गड़बड़ी या नुकसान का इतिहास नहीं है. पिछले 10 तिमाहियों में कंपनी की इनकम और मुनाफा दोनों बढ़े हैं. FY25 की चौथी तिमाही में रेवेन्यू 62 फीसदी बढ़कर 1,642 करोड़ रुपये हुआ, और ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन 9 फीसदी से बढ़कर 13 फीसदी हो गया. पूरे साल के लिए, रेवेन्यू 41 पीसदी बढ़कर 5,076 करोड़ रुपये और मुनाफा 48 फीसदी बढ़कर 527 करोड़ रुपये रहा. यह सब बिना कर्ज या इक्विटी डाइल्यूशन के हुआ.
तेजी से बढ़ रहा शेयर
मझगांव का शेयर तब तेजी से बढ़ा, जब उसका रेवेन्यू 5,000 करोड़ रुपये को पार कर गया, मुनाफा बढ़ने लगा और डिविडेंड मिलने शुरू हुए. गार्डन रीच भी अब उसी रास्ते पर है. अगर यह लगातार अच्छा प्रदर्शन करता रहा, निर्यात बढ़ाता रहा और बड़े ऑर्डर्स जीतता रहा, तो यह काफी आगे जा सकता है. हालांकि, मझगांव अभी भी रेवेन्यू (11,432 करोड़ रुपये) और मुनाफे (2,414 करोड़ रुपये) में कहीं आगे है. लेकिन गार्डन रीच का बेस छोटा है, जिससे इसका ग्रोथ पोटेंशियल ज्यादा है.
40 से ज्यादा जहाजों को एक साथ मैनेज करना आसान नहीं है. गार्डन रीच को अभी इस स्केल को संभालने का अनुभव चाहिए. साथ ही, इसका शेयर 57x P/E पर ट्रेड कर रहा है, जो मझगांव के 52x से भी ज्यादा है. बाजार को इसके बड़े ऑर्डर्स और मुनाफे पर बहुत भरोसा है, लेकिन अगर कोई बड़ा ऑर्डर नहीं मिला या देरी हुई, तो शेयर की कीमत गिर सकती है.
डेटा सोर्स: BSE
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