Gensol के मालिक का गजब खेल, आम लोगों के पैसों से खरीदा लग्जरी फ्लैट, घूमा विदेश, चुकाया लाखों का क्रेडिट कार्ड बिल

SEBI ने Gensol Engineering के खिलाफ कार्रवाई करते हुए कंपनी के प्रमोटर्स को शेयर बाजार से बैन कर दिया है. अनमोल सिंह जग्गी और उनके भाई पर फंड डायवर्जन का आरोप है. सेबी ने कहा जग्गी ने निजी घर खरीदने के लिए कंपनी के पैसों का इस्तेमाल किया है.

Gensol के मालिक ने किया करोड़ों का फर्जीवाड़ा Image Credit: Money9live/Canva

Gensol Engineering Anmol Singh Jaggi: SEBI ने 15 अप्रैल को जेनसोल इंजीनियरिंग के खिलाफ एक अंतरिम आदेश में कंपनी के स्टॉक स्प्लिट को रोक दिया और कंपनी के प्रमोटर्स अनोमल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी को शेयर बाजार से बैन कर दिया है. सेबी ने कहा कि यह कार्रवाई हेराफेरी करने और फंड डायवर्जन करने की वजह से हुई है. लेकिन फंड डायवर्ट किस तरफ हुआ? दरअसल SEBI ने बताया कि अनोमल सिंह जग्गी ने कंपनी से लिए गए लोन का इस्तेमाल अपने निजी मकान खरीदने में किया है. यह मकान The Camellias नाम की एक लग्जरी बिल्डिंग में है, जो गुरुग्राम में है. चलिए जानते हैं कैसे हुई हेराफेरी?

कितने करोड़ की हेराफेरी?

SEBI के मुताबिक, Gensol ने IREDA से करीब 71.41 करोड़ रुपये का लोन लिया और उसमें से 26 करोड़ रुपये अपनी जेब से मिलाकर कुल लगभग 97 करोड़ रुपये बनाए. ये पैसे कुछ दिनों बाद एक कार डीलर “Go-Auto” को ट्रांसफर किए गए, जो कंपनी से जुड़ा हुआ है. उसी दिन Go-Auto ने 50 करोड़ रुपये Capbridge Ventures नाम की कंपनी को भेज दिए, जो Gensol के प्रमोटर्स द्वारा चलाई जाती है.

Capbridge Ventures ने फिर DLF को लगभग 42.94 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए. SEBI के मुताबिक, ये पेमेंट The Camellias प्रोजेक्ट में एक फ्लैट खरीदने के लिए किया गया.

SEBI ने यह भी कहा कि जो पैसे Gensol ने EV खरीदने के लिए लोन के तौर पर लिए थे, वे गोल-गोल घुमाकर एक महंगा फ्लैट खरीदने में लगा दिए गए और यह फ्लैट उस कंपनी के नाम पर लिया गया जिसमें Gensol के MD और उनके भाई पार्टनर हैं.

निजी खर्चों के उड़ा दिए लाखों

इसके अलावा, SEBI ने आरोप लगाया कि अनमोल सिंह जग्गी ने गलत तरीके से इस्तेमाल किए गए पैसों में से 50 लाख रुपये अशनीर ग्रोवर के स्टार्टअप Third Unicorn में इंवेस्ट किए और कुछ पैसे अपने निजी खर्चों जैसे कि ट्रैवल वगैरह में भी लगाए.

जब SEBI ने पुनीत सिंह जग्गी के बैंक स्टेटमेंट की जांच की तो पता चला कि Wellray नाम की कंपनी से मिला करीब 13.55 करोड़ रुपये के फंड में से ज्यादातर पैसे परिवार के लोगों, रिश्तेदारों या अन्य जुड़े हुए लोगों को भेजे गए या फिर खुद के खर्चों में इस्तेमाल किए गए. कुछ खर्चे तो सीधे-सीधे पर्सनल लग रहे थे, जैसे कि 66.36 लाख रुपये की फॉरेन करेंसी की खरीद, अमेरिकन एक्सप्रेस कार्ड के बिल भरने में 49 लाख रुपये खर्च करना और खुद से जुड़े ट्रांसफर्स में 18 लाख रुपये से ज्यादा की रकम भेजना.

कैसे हुई हेराफेरी?

इस पूरे लेन-देन की शुरुआत में 5 करोड़ रुपये बुकिंग अमाउंट के तौर पर अनोमल सिंह जग्गी की मां जसमिंदर कौर ने दिए थे. ये पैसे भी जेनसोल से ही लिए गए थे. बाद में जब DLF ने वह बुकिंग अमाउंट लौटाया, तो वो पैसे वापस जेनसोल को नहीं दिए गए, बल्कि एक और संबंधित पार्टी “Matrix Gas and Renewables” को ट्रांसफर कर दिए गए.

DLF ने SEBI को कन्फर्म किया कि ये पेमेंट 6 अक्टूबर 2022 को हुआ था, और ये उसी फ्लैट की बुकिंग का हिस्सा था जिसे पहले जसमिंदर कौर ने बुक किया था.

SEBI ने ये भी कहा कि इस मामले में और भी फंड डाइवर्जन के मामले सामने आए हैं. इसी वजह से SEBI ने दोनों भाइयों को बाजार से बैन कर दिया है. SEBI ने कहा कि जेनसोल जैसी लिस्टेड कंपनी इंटरनल कंट्रोल और कॉर्पोरेट गवर्नेंस में पूरी तरह से नाकाम रही है. उन्होंने कहा कि प्रमोटर्स इस कंपनी को ऐसे चला रहे थे जैसे ये उनकी खुद की निजी दुकान हो.