न नफा, न निकासी! HDB अनलिस्टेड शेयर के फंदे में ऐसे फंसे निवेशक, आप कभी न करें ये गलती
HDB के IPO से पहले रिटेल निवेशकों ने शेयरों में मोटा मुनाफा कमाने की उम्मीद में जमकर पैसे लगाए. लेकिन जैसे ही असलियत सामने आई, उन्हीं शेयरों ने उनकी नींदें उड़ा दीं. आखिर कहां हुई चूक? और क्या आपके साथ ऐसा हो सकता है? पढ़िए पूरी कहानी…

भारत के सबसे भरोसेमंद बिजनेस ग्रुप में से एक, HDFC ग्रुप की कंपनी HDB फाइनेंशियल सर्विसेज का IPO साल 2025 के सबसे चर्चित इश्यूज में रहा. इसके मार्केट में आने से पहले ही उम्मीदें इतनी बढ़ चुकी थीं कि निवेशक अनलिस्टेड बाजार में इसके शेयरों पर टूट पड़े. लेकिन अब वही निवेशक लॉस में फंसे हैं, शेयर न बेच पाने की मजबूरी और गिरते दामों के बीच.
अनलिस्टेड शेयर में मुनाफे की थी उम्मीद, हुआ उल्टा
IPO से पहले HDB फाइनेंशियल का शेयर अनलिस्टेड प्लेटफॉर्म पर 1,250 रुपये तक पहुंच गया. कई छोटे ब्रोकर्स ने इसे 50 शेयर जैसे छोटे-छोटे लॉट में बेचकर रिटेल निवेशकों को लुभाया. लोगों को उम्मीद थी कि लिस्टिंग पर बंपर प्रीमियम मिलेगा और वे चंद हफ्तों में मोटा मुनाफा कमा लेंगे. लेकिन हुआ उल्टा.
जब HDB ने अपने IPO का प्राइस 740 रुपये रखा, तो बाजार हक्का-बक्का रह गया. अनलिस्टेड शेयर का भाव सीधे 800 रुपये के पास गिर गया. जिन लोगों ने 1,000-1,200 रुपये पर शेयर खरीदा था, वे तुरंत घाटे में चले गए.
इसके अलावा, असली झटका तब आया, जब उन्हें पता चला कि SEBI के नियमों के मुताबिक, RHP (Red Herring Prospectus) फाइल होने के बाद जो भी प्री-IPO शेयर होते हैं, उन पर छह महीने का ‘लॉक-इन’ होता है. इसका मतलब ये कि अब वे इन शेयरों को छह महीने तक बेच ही नहीं सकते, चाहे प्राइस गिरता रहे या बाजार में और उतार-चढ़ाव आए.
SEBI का लॉक-इन नियम से बुरा हाल
SEBI ने यह नियम इसलिए बनाया है ताकि IPO से पहले अनलिस्टेड शेयर खरीदने वाले निवेशक शेयर लिस्टिंग के साथ ही उन्हें बेचकर भारी मुनाफा न कमा लें, जिससे मार्केट में अस्थिरता फैले. लेकिन इस नियम की जानकारी बहुत से रिटेल निवेशकों को नहीं थी. उन्होंने यह सोचा ही नहीं कि लिस्टिंग के दिन वे शेयर बेच भी नहीं पाएंगे. अब न तो उन्हें निवेश से निकलने का मौका है, न ही गिरती कीमतों से बचने की सुविधा.
लॉक-इन का ये नियम बड़े निवेशकों के लिए तो मानक प्रक्रिया रही है, लेकिन पहली बार अनलिस्टेड बाजार में कूदे आम निवेशक इस तकनीकी पहलू को समझ ही नहीं पाए.
इस गड़बड़ी का शिकार हजारों लोग हुए. उन्हें अब शेयर के प्राइस फॉल का बोझ भी झेलना है और छह महीने की लिक्विडिटी की कमी भी.
नितिन कामथ की चेतावनी, अनलिस्टेड शेयर ‘फंसा’ सकते हैं
Zerodha के को-फाउंडर नितिन कामथ ने इस मुद्दे सोशल मीडिय एक्स पर पोस्ट कर अपनी राय दी. उन्होंने कहा कि अनलिस्टेड शेयरों में निवेश जोखिम से भरा है. उनके मुताबिक, HDB का IPO प्राइस अनलिस्टेड रेट से करीब 40% कम था. इसका मतलब है कि अगर कोई कंपनी लिस्ट भी होती है, तब भी जरूरी नहीं कि प्री-IPO खरीदार को फायदा मिले. नितिन कामथ ने कहा इस अनलिस्टेड बाजार में न तो रेगुलेटेड बॉडी है, न ट्रांसपेरेंसी और न ही किसी की जवाबदेही.
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कामथ ने NSE की मिसाल दी जो सालों से अनलिस्टेड है. NSE की लिस्टिंग की उम्मीदें पिछले एक दशक से लगाई जा रही हैं, लेकिन अब तक वह अनलिस्टेड ही है. ऐसे में निवेशकों को न सिर्फ नुकसान उठाना पड़ता है, बल्कि वे वर्षों तक उस निवेश से बाहर भी नहीं निकल पाते. उन्होंने आगाह किया कि बिना पारदर्शिता और गारंटी वाले बाजारों में निवेश से पहले दो बार सोचें.
इस अनुभव से क्या सीखें?
HDB के अनलिस्टेड शेयर के इर्द-गिर्द बनी हाइप एक क्लासिक केस है कि कैसे बिना जानकारी, बिना रिसर्च और केवल लालच के दम पर लिया गया फैसला भारी पड़ सकता है. असली समझ ये है कि शेयर बाजार में ‘फायदा’ जानने से पहले ‘नियम’ जानिए क्योंकि बिना तैयारी का निवेश, जुए से ज्यादा खतरनाक होता है.
डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक में निवेश की सलाह नहीं देता है. यह सामग्री केवल सूचना के उद्देश्य से प्रस्तुत की गई है और इसे निवेश सलाह या सिफारिश के रूप में न माना जाए. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें. बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन होता है.
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