50 फीसदी क्यों गिर गए HDFC एसेट मैनेजमेंट के शेयर? स्टॉक में हुआ बड़ा बदलाव, जानें- क्या है फैक्टर
25 नवंबर को 5,336.50 रुपये पर बंद होने के बाद, 26 नवंबर को शेयर लगभग 50 फीसदी गिरकर 2,682 रुपये पर खुला. शेयर NSE पर सुबह 10.40 बजे मामूली बढ़त के साथ 2,670 रुपये पर हरे निशान में कारोबार कर रहा था. कोई भी स्टॉक आम तौर पर रिकॉर्ड डेट से एक ट्रेडिंग दिन पहले एक्स-बोनस हो जाता है.
HDFC एसेट मैनेजमेंट कंपनी (HDFC AMC) के शेयर में बुधवार को शुरुआती कारोबार में 49.5 फीसदी की भारी गिरावट देखी गई. मंगलवार को बंद हुए 5,340.55 रुपये के मुकाबले BSE पर स्टॉक 2,694.95 रुपये पर खुला. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि कंपनी के हाल ही में मंजूर 1:1 बोनस इश्यू के बाद, स्टॉक ने बुधवार को एक्स-बोनस ट्रेडिंग शुरू कर दी है. इस डेवलपमेंट का मतलब है कि स्टॉक की कीमत को और शेयर जारी करने के हिसाब से एडजस्ट किया गया है, बिना इन्वेस्टर्स की अंडरलाइंग वैल्यू पर असर डाले.
50 फीसदी की गिरावट
25 नवंबर को 5,336.50 रुपये पर बंद होने के बाद, 26 नवंबर को शेयर लगभग 50 फीसदी गिरकर 2,682 रुपये पर खुला. शेयर NSE पर सुबह 10.40 बजे मामूली बढ़त के साथ 2,670 रुपये पर हरे निशान में कारोबार कर रहा था.
एक्स-बोनस स्टॉक
एक्सचेंज के नियमों के अनुसार, कोई भी स्टॉक आम तौर पर रिकॉर्ड डेट से एक ट्रेडिंग दिन पहले एक्स-बोनस हो जाता है. इसलिए, सिर्फ वही शेयरहोल्डर बोनस शेयर पाने के लिए एलिजिबल थे, जिनके पास मंगलवार 25 नवंबर 2025 को ट्रेडिंग खत्म होने तक HDFC AMC के शेयर थे. इन्वेस्टर की एलिजिबिलिटी तय करने के लिए रिकॉर्ड डेट 26 नवंबर, 2025 तय की गई थी.
शेयरहोल्डर्स को कितने शेयर मिले
HDFC AMC ने अपने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से मंजूरी मिलने के बाद पहले ही बोनस इश्यू की घोषणा कर दी थी. कॉरपोरेट एक्शन में एलिजिबल शेयरहोल्डर्स के पास मौजूद हर Rs 5 के मौजूदा फुली पेड-अप इक्विटी शेयर के बदले 5 रुपे का एक फुली पेड-अप इक्विटी शेयर जारी करना शामिल था, जिससे 1:1 बोनस रेश्यो हो गया.
इस कदम से इन्वेस्टर्स के टोटल शेयरहोल्डिंग परसेंटेज में कोई बदलाव किए बिना आउटस्टैंडिंग शेयर्स की संख्या असल में दोगुनी हो जाती है. कंपनी की फाइलिंग में लिखा है, ‘रिकॉर्ड डेट पर कंपनी के मेंबर्स को 1:1 के रेश्यो में बोनस इक्विटी शेयर जारी किए जा रहे हैं.
क्यों जारी किए जाते हैं बोनस शेयर?
बोनस शेयर जारी करना आम तौर पर कंपनियां स्टॉक लिक्विडिटी बढ़ाने और शेयर की कीमत को ज्यादा आसान बनाकर बड़े पैमाने पर रिटेल भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए करती हैं. हालांकि, ऐसे कामों से शेयरहोल्डर्स को कोई सीधा फायदा या नुकसान नहीं होता है, क्योंकि एडजस्टमेंट के बाद होल्डिंग्स की कुल वैल्यू में कोई बदलाव नहीं होता है.
डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.