FPI की लगातार बिकवाली, पर क्या भारत में फिर लौटेगा विदेशी पैसा, 10 साल के ट्रेंड क्या देते हैं संकेत

भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की चाल पहली नजर में उलझी हुई लगती है. कहीं बिकवाली है, तो कहीं लंबे ट्रेंड की आहट. आंकड़े बताते हैं कि कुछ आर्थिक संकेत ऐसे हैं, जो आने वाले समय में बड़ी हलचल की ओर इशारा कर रहे हैं.

विदेशी निवेशकों की एंट्री Image Credit: FreePik

भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) की चाल को लेकर नई तस्वीर सामने आई है. ब्रोकरेज फर्म Elara Capital के विश्लेषण से साफ होता है कि बीते एक दशक में भारत में FPI फ्लो को चलाने वाले फैक्टर समय के साथ बदलते रहे हैं, लेकिन 2024–25 में वैल्यूएशन और ग्रोथ फिर से सबसे अहम भूमिका में आ गए हैं. यही वजह है कि 2026 को लेकर विदेशी निवेश की वापसी की उम्मीद जताई जा रही है.

FPI फ्लो को कौन से फैक्टर चलाते हैं

एलारा कैपिटल के अनुसार, भारत में नेट इक्विटी FPI फ्लो पर सबसे ज्यादा असर डॉलर इंडेक्स (DXY), ग्रोथ, वैल्यूएशन यानी India P/E बनाम EM P/E, अमेरिकी फेड की ब्याज दरें और ग्लोबल लिक्विडिटी (Global M2) का रहा है. 2010–13 के दौर में ग्रोथ और ग्लोबल लिक्विडिटी का योगदान औसत से ज्यादा था. वहीं 2013–14 के टेपर टैंट्रम के दौरान फेड फंड्स रेट और डॉलर की भूमिका अचानक बढ़ गई.

कोविड के बाद बदला समीकरण

2020–21 के कोविड काल में डॉलर इंडेक्स, फेड फंड्स रेट और पॉलिसी अनिश्चितता का असर सबसे ज्यादा दिखा. इसके बाद 2022 में ग्रोथ फैक्टर ने फिर से जोर पकड़ा और 26.9 फीसदी योगदान के साथ FPI फ्लो को दिशा दी. 2023 में तस्वीर बदली और वैल्यूएशन यानी India P/E बनाम EM P/E सबसे बड़ा फैक्टर बनकर उभरा.

2024–25 में वैल्यूएशन और डॉलर अहम

ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2024–25 में FPI फ्लो को समझाने में सबसे बड़ा योगदान वैल्यूएशन का है, जो 31.9 फीसदी तक पहुंच गया है. इसके बाद डॉलर इंडेक्स (18.3 फीसदी) और ग्रोथ (17.2 फीसदी) का नंबर आता है. इसका संकेत है कि विदेशी निवेशक अब कीमतों और कमाई की संभावनाओं को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं.

फिलहाल बिकवाली, लेकिन घरेलू निवेशकों का सहारा

हालांकि मौजूदा समय में विदेशी निवेशक सतर्क हैं. NSDL के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर के पहले नौ कारोबारी सत्रों में FPI ने भारतीय इक्विटी में 17,955 करोड़ रुपये की बिकवाली की. इसके उलट, घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 36,101 करोड़ रुपये की खरीदारी की है. 2025 में अब तक डीआईआई की कुल खरीद रिकॉर्ड 7.44 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है.

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एलारा कैपिटल का मानना है कि जैसे ही नॉमिनल GDP ग्रोथ में सुधार साफ दिखेगा और वैल्यूएशन संतुलित होंगे, भारत एक बार फिर FPI के लिए आकर्षक गंतव्य बन सकता है. मौजूदा आंकड़े उसी दिशा में इशारा कर रहे हैं.

डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.

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