देश की सबसे बड़ी CDMO अब करेगी बाउंस-बैक! जाम्बिया सरकार के साथ हुआ JV, ब्रोकरेज ने कहा- रैली से पहले खरीद डालो
फार्मा सेक्टर से जुड़ी एक मिडकैप कंपनी इन दिनों बाजार की नजर में है. ब्रोकरेज रिपोर्ट, एक्सपोर्ट से जुड़े नए संकेत और बिजनेस मॉडल की मजबूती इसे निवेशकों के लिए चर्चा का विषय बना रहे हैं. कंपनी का मुख्य फोकस CDMO बिजनेस पर है और यहीं से इसकी लॉन्ग टर्म ग्रोथ की कहानी निकलती है.
शेयर बाजार में ब्रोकरेज हाउस की राय अक्सर निवेशकों के लिए दिशा तय करने का काम करती है. खासकर तब, जब बात किसी ऐसे सेक्टर की हो जो लंबे समय में स्थिर मांग और निर्यात के दम पर ग्रोथ दिखा सकता है. फार्मा सेक्टर में इसी तरह की एक कंपनी इन दिनों चर्चा में है, जिस पर देश की जानी-मानी ब्रोकरेज फर्म ICICI Securities ने भरोसा जताया है. यह कंपनी है Akums Drugs & Pharmaceuticals, जो कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में बड़ी पहचान बना चुकी है.
क्या करती है Akums Drugs & Pharmaceuticals?
Akums Drugs & Pharmaceuticals की शुरुआत 2004 में हुई थी और आज यह भारत की सबसे बड़ी CDMO यानी कॉन्ट्रैक्ट डेवलपमेंट एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑर्गनाइजेशन मानी जाती है. कंपनी टैबलेट, कैप्सूल, इंजेक्शन, लिक्विड और अन्य फार्मा प्रोडक्ट्स का बड़े पैमाने पर निर्माण करती है. इसके ग्राहक देश-विदेश की नामी फार्मा, न्यूट्रास्युटिकल और कॉस्मेटिक कंपनियां हैं. गुणवत्ता, बड़े स्केल और एंड-टू-एंड सॉल्यूशंस इसकी मुख्य ताकत मानी जाती है.
हालिया प्रदर्शन और बाजार में हलचल
मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से 7,000 करोड़ रुपये की कंपनी Akums के शेयर हाल ही में हल्की तेजी के साथ 453 रुपये के आसपास देखे गए. हालांकि, तिमाही नतीजों में कुछ दबाव जरूर दिखा. Q2FY26 में कंपनी का रेवेन्यू सालाना आधार पर करीब 1.5 फीसदी घटा, जबकि मुनाफे में भी गिरावट आई. इसके बावजूद, वॉल्यूम के मोर्चे पर कंपनी ने 7 फीसदी सालाना ग्रोथ दर्ज की, जो चुनौतीपूर्ण हालात में भी इसके बिजनेस मॉडल की मजबूती दिखाती है.
CDMO बिजनेस में क्यों दिख रही है मजबूती
Akums का मुख्य फोकस CDMO बिजनेस पर है और यहीं से इसकी लॉन्ग टर्म ग्रोथ की कहानी निकलती है. Q2FY26 के अंत तक कंपनी के CDMO प्लांट्स करीब 40 फीसदी क्षमता पर चल रहे थे. यानी कंपनी के पास अतिरिक्त क्षमता है, जिसे नए ऑर्डर्स के जरिए भरा जा सकता है. यही वजह है कि Akums अब निर्यात बाजारों पर ज्यादा फोकस कर रही है.
कंपनी ने जाम्बिया सरकार के साथ जॉइंट वेंचर किया है, जिसमें Akums की 51 फीसदी हिस्सेदारी होगी. इस JV के जरिए अफ्रीकी बाजार में लोकल मैन्युफैक्चरिंग की जाएगी. FY27-28 में यहां से सालाना करीब 25 मिलियन डॉलर की सप्लाई का लक्ष्य रखा गया है, जो आगे चलकर 45–50 मिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है. इसके अलावा, यूरोप के लिए भी बड़े कॉन्ट्रैक्ट्स लाइन में हैं, जिनकी सप्लाई FY28 की पहली तिमाही से शुरू होने की उम्मीद है. ब्रोकरेज का मानना है कि ये एक्सपोर्ट ऑर्डर्स मार्जिन के लिहाज से भी फायदेमंद होंगे.
ICICI Securities की राय और टारगेट
कंपनी के शेयर की मौजूदा कीमत 443 रुपये है. बीते पांच वर्षों में इसने 38 फीसदी का निगेटिव रिटर्न दिया है. ICICI Securities का मानना है कि Akums अपने बेस CDMO बिजनेस और नए एक्सपोर्ट ऑर्डर्स के दम पर आने वाले वर्षों में स्थिर ग्रोथ दिखा सकती है. ब्रोकरेज ने कंपनी के लिए “Buy” रेटिंग दी है और इसका टारगेट प्राइस 600 रुपये तय किया है. मौजूदा स्तरों से यह करीब 33 फीसदी के अपसाइड की ओर इशारा करता है. ब्रोकरेज का आकलन है कि FY25 से FY28 के बीच कंपनी का रेवेन्यू, EBITDA और मुनाफा मजबूत CAGR दर्ज कर सकता है.
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वैल्यूएशन और जोखिम भी समझें
Akums भारतीय फार्मा मैन्युफैक्चरिंग सेगमेंट में 10 फीसदी से ज्यादा की हिस्सेदारी रखती है. कंपनी इंजेक्टेबल्स और हॉरमोन्स जैसे Niche segment (खास बाजार) में भी क्षमता बढ़ा रही है. हालांकि, जोखिम भी मौजूद हैं. यूरोपीय रेगुलेटर्स की जांच, मार्जिन पर दबाव और अंतरराष्ट्रीय विस्तार से जुड़ी चुनौतियां निवेशकों को ध्यान में रखनी होंगी.
ब्रोकरेज की राय के मुताबिक, Akums एक शॉर्ट टर्म ट्रेड से ज्यादा मिड-टू-लॉन्ग टर्म ग्रोथ स्टोरी है. निर्यात, ऑपरेटिंग लीवरेज और मजबूत CDMO मॉडल इसे आगे बढ़ने का मौका दे सकते हैं. ऐसे में फार्मा सेक्टर में दिलचस्पी रखने वाले निवेशकों के लिए यह स्टॉक रडार पर बना रह सकता है.
डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.