सोलर सेक्टर की चमक के पीछे मंडरा रहा अमेरिकी तूफान, कहीं डूब न जाए पूरा खेल; इन स्टॉक पर होगा सीधा असर
भारत का सोलर सेक्टर इन दिनों तेजी से बढ़ रहा है. सरकार की नीतियों और बड़े निवेशकों की दिलचस्पी से स्टॉक्स भी रॉकेट की तरह भाग रहे हैं. लेकिन इसी चमकदार तस्वीर के पीछे एक खामोश खतरा भी मंडरा रहा है, जो आने वाले समय में पूरे सेक्टर की दिशा तय कर सकता है.
Solar Stock News: भारत का सोलर सेक्टर इन दिनों नई रफ्तार पकड़ रहा है. सरकार ने कार्बन फुटप्रिंट घटाने और हरित ऊर्जा बढ़ाने का लक्ष्य तय किया है, जिसके लिए आयात शुल्क और घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने जैसे कदम उठाए गए हैं. नतीजा यह हुआ कि देश की सोलर मॉड्यूल क्षमता एक साल के भीतर दोगुनी होकर 74 गीगावॉट तक पहुंच गई है और 2027 तक इसके 190 गीगावॉट होने का अनुमान है.
इतने बड़े विस्तार और पॉलिसी सपोर्ट के बीच देशी-विदेशी निवेशक भी सेक्टर में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. अडाणी ग्रीन की तिमाही कमाई में उछाल आने के बाद उसके शेयरों ने रॉकेट की रफ्तार पकड़ी, वहीं Waaree Energies भी निवेशकों को लगातार मुनाफा दिए जा रहा है. हालांकि इस चमक-दमक के पीछे एक डर भी मंडरा रहा है.
सोलर सेक्टर पर क्या है खतरा?
इंटरनेशनल मार्केट, खासकर अमेरिका, भारत के सोलर निर्यात पर सवाल खड़े कर रहा है. अमेरिकी कंपनियों (Alliance for American Solar Manufacturing and Trade) ने हाल ही में वाणिज्य विभाग में याचिका दायर की है जिसमें भारत से आने वाले सोलर प्रोडक्ट्स पर एंटी-डंपिंग और काउंटरवेलिंग ड्यूटी लगाने की मांग की गई है. उनका आरोप है कि भारत और अन्य एशियाई देशों से आने वाला सामान दरअसल चीनी माल है, जो अप्रत्यक्ष तौर पर अमेरिकी बाजार में पहुंच रहा है. अगर यह ड्यूटी लगती है तो भारत के लिए बड़ा झटका हो सकता है, क्योंकि बीते कुछ सालों में अमेरिका भारत का बड़ा खरीदार बनकर उभरा है.
इससे पहले ही अमेरिकी एजेंसी CBP UFLPA कानून के तहत भारत से आए कुछ शिपमेंट रोक चुकी है. आंकड़ों के मुताबिक 2024 की दूसरी तिमाही में अमेरिका में पहुंचे पैनलों में भारत की हिस्सेदारी 11 फीसदी रही, जबकि 2018 में यह शून्य थी. सिर्फ 2023 में ही भारत से अमेरिका को 2.3 अरब डॉलर का सोलर सामान निर्यात हुआ. ऐसे में अगर अमेरिका ने ड्यूटी या रोकथाम बढ़ाई तो सीधा असर भारतीय सप्लाई चेन और एक्सपोर्ट ग्रोथ पर पड़ेगा.
कीमतें भी बनी चिंता की वजह
एक और चिंता कीमतों को लेकर है. भारतीय कंपनियां अभी भी चीनी सोलर सेल्स पर काफी हद तक निर्भर हैं. इन सेल्स से बने भारतीय मॉड्यूल चीन के मॉड्यूल से लगभग 48 फीसदी महंगे पड़ते हैं, जबकि अगर भारतीय कंपनियां खुद सेल बनाएं तो लागत 143 फीसदी तक ज्यादा हो जाती है. उधर, चीन में सेल्स की कीमतें हाल के दो साल में 80 फीसदी से ज्यादा गिर गई हैं, जिसने भारतीय एक्सपोर्ट को तो बढ़ाया लेकिन अब वही ग्लोबल प्राइस फॉल घरेलू कंपनियों की मार्जिन पर दबाव डाल रहा है.
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यानी तस्वीर के दो पहलू हैं- एक ओर भारत का सोलर सेक्टर नीतिगत बढ़त, बड़े निवेश और शेयर बाजार की चमक के दम पर तेजी से आगे बढ़ रहा है. लेकिन दूसरी ओर अमेरिका की सख्ती, एंटी-डंपिंग जांच और कीमतों में गिरावट जैसे कारक आने वाले महीनों में इस चमक को धुंधला भी कर सकते हैं. आने वाला वक्त तय करेगा कि भारत का सोलर सेक्टर इस चुनौतीपूर्ण माहौल से कैसे पार पाता है.
Waaree और Adani Power अमेरिका में क्या है बिजनेस?
Waaree Energies अमेरिकी बाजार में काफी मजबूत स्थिति बनाए हुए है और Texas के Brookshire में 1.6 GW कैपेसिटी का मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट ऑपरेट कर रही है, जिसे 3.2 GW तक बढ़ाने करने की योजना है. कंपनी ने 2025 की पहली तिमाही में ही अमेरिका से 1,200 MW से अधिक के ऑर्डर सिक्योर किए हैं, जिसमें 599 MW और 586 MW के बड़े कॉन्ट्रेक्ट शामिल हैं . Waaree का US business model दोहरा है – वे भारत से मॉड्यूल्स एक्सपोर्ट भी करते हैं और अपनी Texas facility से “Made in America” modules भी supply करते हैं, जो Inflation Reduction Act के तहत 45 फीसदी टैक्स क्रेडिट का फायदा उठाता है . कंपनी के शेयर 1 सितंबर को लगभग 6 फीसदी लुढ़क गए और 3200 रुपये पर बंद हुए. बीते साल अक्टूबर में लिस्ट हुई इस कंपनी ने निवेशकों लगभग 28 फीसदी की प्रॉफिट दिया है.
Adani Green Energy का अमेरिकी बिजनेस मुख्यतः सोलर मॉड्यूल के एक्सपोर्ट पर बेस्ड है, जहां वे अपनी 4 GW की मैन्यूफैक्चरिंग कैपेसिटी का लगभग 50% हिस्सा एक्सपोर्ट मार्केट को देते हैं . Adani Solar ने अपनी US strategy में एक प्रमुख फायदा यह बताया है कि वे अपने सोलर सेल्स भी मैन्यूफैक्चर करते हैं, जिससे अमेरिका को चीनी माल पर निर्भरता कम करने में मदद मिलती है . कंपनी के शेयर सोमवार को मामूली बढ़त के साथ 607 रुपये पर ट्रेड होकर बंद हुए. कंपनी के शेयरों ने बीते पांच साल में निवेशकों को 1456 फीसदी का मुनाफा दिया है.
डिस्क्लेमर: इस खबर में दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों और बाजार से जुड़े अपडेट्स पर आधारित है. यह किसी भी कंपनी के शेयर खरीदने या बेचने की सिफारिश नहीं है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें.