17 साल का इंतजार और 1 सही स्टॉक! ऐसे कमाए अंबानी ने 2200 फीसदी रिटर्न, आप भी सीखें ये ट्रिक
एक ऐसा स्टॉक, जिसे आम निवेशक शायद नजरअंदाज कर चुके थे, लेकिन मुकेश अंबानी ने 17 साल पहले उसमें जो दांव लगाया था, उसने आज इतिहास रच दिया है. ये कहानी सिर्फ रिटर्न की नहीं, बल्कि दूरदर्शिता और धैर्य की भी है। जानिए कैसे इस दांव ने बना दिए अरबों.
What is the strategy of Mukesh Ambani?: शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव भरे खेल में जीत उन्हीं की होती है, जो सही वक्त पर दांव लगाना और सही वक्त पर उससे बाहर निकलना जानते हैं. मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अब एक ऐसा ही मास्टरस्ट्रोक खेला है, जिससे न सिर्फ निवेशकों को चौंका दिया है बल्कि उन्हें लॉन्ग टर्म वेल्थ क्रिएशन का असली फॉर्मूला भी दिखा दिया है. रिलायंस ने 17 साल पहले एशियन पेंट्स में जो निवेश किया था, अब उसे बेचकर 23 गुना मुनाफा कमाया है. इस खबर में हम उसी फॉर्मूले को ब्रेक डाउन करेंगे.
2008 में सस्ते में खरीदा, 2025 में महंगे में बेचा
जनवरी 2008, जब दुनिया भर के बाजार ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस से जूझ रहे थे, उस वक्त रिलायंस ने बेहद चुपचाप एशियन पेंट्स में 4.9% हिस्सेदारी महज 500 करोड़ रुपये में खरीदी थी. अब, लगभग 17 साल बाद, रिलायंस की सब्सिडियरी सिद्धांत कमर्शियल्स लिमिटेड ने SBI म्यूचुअल फंड को 3.6 फीसदी हिस्सेदारी 7,704 करोड़ रुपये में बेच दी है.
बेहतर टाइमिंग, परफेक्ट एग्जिट
यह सौदा 2,201 रुपये प्रति शेयर के भाव पर हुआ, जबकि उसी दिन एशियन पेंट्स का शेयर 2,218.05 रुपये पर बंद हुआ. इस डील के बाद रिलायंस की हिस्सेदारी घटकर 1.26 फीसदी रह गई है, वहीं SBI म्यूचुअल फंड की हिस्सेदारी बढ़कर 5.15 फीसदी हो गई है. डिविडेंड को मिलाकर यह सौदा करीब 23 गुना रिटर्न देता है. यह डील शायद भारतीय कॉरपोरेट इतिहास की सबसे सफल लॉन्ग टर्म डील्स में से एक है.
रिलायंस का यह एग्जिट ऐसे वक्त पर हुआ है जब एशियन पेंट्स बीते दो साल में 32% गिर चुका है और इसके ऊपर नए प्रतिस्पर्धियों का दबाव लगातार बढ़ रहा है. FY25 में कंपनी का डेकोरेटिव बिजनेस 5% गिरा, जबकि इंडस्ट्रियल और इंटरनेशनल सेगमेंट्स में भी खास ग्रोथ नहीं दिखी. मार्केट शेयर भी गिरकर 59 से 52 फीसदी पर आ गया.
आदित्या बिड़ला ग्रुप की ग्रासीम और JSW पेंट्स जैसे बड़े प्लेयर अब मार्केट में अपनी जगह बना रहे हैं. JSW अब ड्यूलक्स ब्रांड का अधिग्रहण भी अंतिम चरण में है. ऐसे में एशियन पेंट्स के लिए भविष्य की राह आसान नहीं होगी, और शायद यही वजह थी कि रिलायंस ने अब इससे बाहर निकलने का सही मौका चुना.
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इसे कहते हैं विजनरी इन्वेस्टमेंट
रिलायंस ने इस डील को 5 साल पहले भी करने की कोशिश की थी लेकिन उस वक्त यह टल गया. उसके बाद कंपनी ने जियो, रिटेल और डिजिटल कारोबार में विदेशी निवेश से 25 बिलियन डॉलर जुटाए और एशियन पेंट्स में निवेश को बरकरार रखा. आज वही धैर्य उन्हें अरबों की कमाई करवा गया.
अगर इस निवेश से कुछ सीखना है, तो वो है – सस्ते में खरीदो, अच्छे बिजनेस को समय दो, और जब लगे कि अब ग्रोथ की सीमाएं आ चुकी हैं, तो समझदारी से बाहर निकलो. मुकेश अंबानी ने यही किया और एक बार फिर साबित कर दिया कि वे सिर्फ उद्योगपति ही नहीं, बल्कि एक परिपक्व निवेशक भी हैं.