वेदांता डिमर्जर पर पेट्रोलियम मंत्रालय ने जताई आपत्ति, NCLT ने आदेश रखा सुरक्षित, जानें कहां फंसा पेच?
वेदांता लिमिटेड के डिमर्जर प्लान पर नया मोड़ आ गया है. ट्रोलियम मंत्रालय ने हाइड्रोकार्बन एसेट्स के खुलासों पर गंभीर आपत्ति जताई है. इसके बाद NCLT ने वेदांता लिमिटेड के डिमर्जर प्लान पर अपने आदेश सुरक्षित रखा है. हालांकि, SEBI से इस योजना को मंजूरी मिल चुकी है.
वेदांता लिमिटेड के डिमर्जर प्लान पर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की मुंबई बेंच ने बुधवार को मामले की सुनवाई के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है. वहीं, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (MoPnG) ने इस योजना पर गंभीर आपत्तियां जताते हुए कहा कि कंपनी ने हाइड्रोकार्बन एसेट्स को लेकर गलत खुलासे किए हैं और वित्तीय जोखिमों की जानकारी छिपाई है.
मंत्रालय ने क्या कहा?
सुनवाई के दौरान मंत्रालय के वकील ने NCLT को बताया कि वेदांता ने डिमर्जर प्रस्ताव में कई अहम जानकारियां स्पष्ट नहीं कीं. मंत्रालय के मुताबिक कंपनी ने कुछ एक्सप्लोरेशन ब्लॉक्स को अपनी संपत्ति के रूप में दिखाया, जबकि वे हकीकत में इस श्रेणी में नहीं आते. इसके अलावा इन एसेट्स के आधार पर लिए गए कर्ज की जानकारी भी छिपाई गई है. मंत्रालय ने कहा कि डिमर्जर के बाद वित्तीय जोखिम बढ़ने की संभावना है, इसलिए नियामक मंजूरी से पहले विस्तृत खुलासे जरूरी हैं.
वेदांता की दलील
वेदांता की ओर से पेश वकील ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि कंपनी ने सभी आवश्यक खुलासे किए हैं और सभी नियामकीय प्रावधानों का पालन किया गया है. उन्होंने बताया कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने संशोधित डिमर्जर योजना को पहले ही मंजूरी दे दी है. कंपनी का दावा है कि यह पुनर्गठन योजना पारदर्शिता और वैल्यू क्रिएशन दोनों को ध्यान में रखकर बनाई गई है.
चार ग्रुप कंपनियों को कवर करती है नई स्कीम
वेदांता ने NCLT के समक्ष जो स्कीम ऑफ अरेंजमेंट पेश की है, उसमें चार ग्रुप कंपनियां शामिल हैं, वेदांता एल्युमिनियम मेटल, तलवंडी साबो पावर, माल्को एनर्जी, और वेदांता आयरन एंड स्टील. इनके साथ शेयरधारक और लेनदारों की मंजूरी भी इस प्रस्ताव का हिस्सा है.
पहले SEBI ने जताई थी आपत्ति
SEBI ने पहले कंपनी के बेस मेटल्स यूनिट को अलग करने के प्रस्ताव पर अतिरिक्त खुलासे मांगे थे, जिसके बाद वेदांता ने अपनी योजना में बदलाव किया. अब संशोधित प्लान के तहत कंपनी ने बेस मेटल्स बिजनेस को पैरेंट कंपनी में ही रखने का फैसला किया है. पहले यह योजना वेदांता एल्युमिनियम, वेदांता ऑयल एंड गैस, वेदांता पावर, वेदांता स्टील एंड फेरस मटीरियल्स, वेदांता बेस मेटल्स और वेदांता लिमिटेड के तौर पर छह अलग-अलग इकाइयों में विभाजन की थी.
वैल्यू अनलॉक करने का दावा
कंपनी का कहना है कि प्रस्तावित डिमर्जर का मकसद ऑपरेशंस को सुव्यवस्थित करना, सेक्टर-वाइज फोकस बढ़ाना और शेयरधारकों के लिए वैल्यू अनलॉक करना है. मार्च 2025 में वेदांता ने डिमर्जर की डेडलाइन को 30 सितम्बर 2025 तक बढ़ाया था, क्योंकि NCLT और अन्य सरकारी अनुमोदन अभी लंबित हैं. PTI की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी के प्रवक्ता का कहना है कि वेदांता अपने प्रस्तावित डिमर्जर को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है. इस प्रक्रिया का उद्देश्य एल्युमिनियम, ऑयल एंड गैस, पावर और आयरन-स्टील क्षेत्रों में स्वतंत्र और सेक्टर-विशिष्ट कंपनियों का निर्माण करना है.