18 जून को SEBI की बड़ी बैठक, निवेशकों से लेकर कंपनियों तक; आ सकते हैं कई अहम फैसले
SEBI की 18 जून को होने वाली बोर्ड बैठक में कई बड़े प्रस्तावों पर विचार हो सकता है, जिसमें स्टार्टअप फाउंडर्स के लिए ESOP नियमों में राहत, सरकारी कंपनियों के लिए आसान डीलिस्टिंग गाइडलाइंस, REITs और InvITs को इक्विटी दर्जा देने जैसे मुद्दे शामिल हैं.
SEBI Board Meeting: सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की बोर्ड बैठक बुधवार, 18 जून 2025 को होने जा रही है. इसमें कई अहम प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा. इस बैठक में स्टार्टअप फाउंडर्स, सरकारी कंपनियों, म्यूचुअल फंड निवेशकों, विदेशी निवेशकों और अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड (AIFs) से जुड़े नियमों में बदलाव की संभावनाएं हैं. कुछ प्रस्तावों से छोटे निवेशकों को भी अप्रत्यक्ष रूप से फायदा मिल सकता है. आइए समझने की कोशिश करते हैं कि आगामी सेबी बोर्ड में किन बातों पर चर्चा हो सकती है.
REITs और InvITs को इक्विटी का दर्जा
लंबे समय से मांग की जा रही इस बदलाव पर सेबी फैसला ले सकता है कि रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (REITs) और इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (InvITs) को इक्विटी निवेश की कैटेगरी में माना जाए. अभी तक ये म्यूचुअल फंड निवेश के लिए सीमित दायरे में आते थे. अब प्रस्ताव है कि-
- म्यूचुअल फंड्स की REITs और InvITs में 10 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी तक निवेश की सीमा कर दी जाए.
- साथ ही, इन्हें इक्विटी इंडेक्स में शामिल करने का रास्ता साफ होगा.
- “पब्लिक यूनिट होल्डिंग” की परिभाषा स्पष्ट करने, कैश फ्लो के नियमों में व्यावसायिक सहूलियत, और रिपोर्टिंग टाइमलाइन को शामिल करने के प्रस्ताव भी हैं.
सरकारी कंपनियों (PSUs) के लिए अलग डिलिस्टिंग नियम
कई सरकारी कंपनियों के शेयर बाजार में बहुत कम हिस्सेदारी है और उन्हें डीलिस्ट करने में सरकार को दिक्कत आती है. SEBI ने इन कंपनियों के लिए एक अलग वॉलंटरी डिलिस्टिंग फ्रेमवर्क का प्रस्ताव तैयार किया है, जिससे-
- 90 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी वाली PSUs को डीलिस्ट करने की प्रक्रिया आसान होगी.
- कम ट्रेडिंग, कमजोर व्यापार मॉडल या अधिक कीमतों के कारण सरकार को बोझ कम करने में मदद मिलेगी.
स्टार्टअप फाउंडर्स को ESOP में राहत
अब तक, स्टार्टअप के फाउंडर्स को IPO से पहले ESOP (कर्मचारी शेयर विकल्प योजना) लेने की अनुमति नहीं थी, क्योंकि वे प्रमोटर माने जाते थे. SEBI नए प्रस्ताव में कह रहा है-
- ऐसे प्रमोटर्स को, जो IPO से पहले ESOP पा चुके हैं, उन्हें होल्ड करने की अनुमति मिले.
- इससे स्टार्टअप्स अपने संस्थापक सदस्यों को बेहतर तरीके से बनाए रख पाएंगे.
Qualified Institutional Placement (QIP) को आसान बनाया जाएगा
कंपनियां जब क्यूआईपी के जरिए रकम जुटाती हैं तो उन्हें बहुत लंबा डॉक्यूमेंटेशन करना पड़ता है. SEBI ने प्रस्ताव रखा है कि-
- दस्तावेजों की संख्या और विवरण को सरल और संक्षिप्त बनाया जाए.
- इससे तेजी से फंड रेजिंग संभव होगी और निवेशकों के लिए जानकारी समझना आसान होगा.
AIFs में को-इनवेस्टमेंट की छूट
Alternative Investment Funds (AIFs) को को-इनवेस्टमेंट के जरिए अपने निवेशकों को अतिरिक्त अवसर देने की अनुमति दी जा सकती है. इसमें-
- को-इनवेस्टमेंट व्हीकल (CIV) नाम की नई स्कीम को मंजूरी मिल सकती है.
- AIF मैनेजर को किसी भी निवेशक को सलाह देने की छूट, चाहे AIF ने उस सिक्योरिटी में निवेश किया हो या नहीं.
FPI के लिए आसान नियम (सिर्फ सरकारी बॉन्ड में निवेश करने वालों के लिए)
जिन फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPI) का निवेश केवल सरकारी बॉन्ड्स में है, उनके लिए-
- रजिस्ट्रेशन और अनुपालन नियमों को आसान किया जाएगा.
- सरकार का मानना है कि ऐसे निवेश में जोखिम कम होता है, इसलिए नियम भी कम होने चाहिए.
SEBI में नई नियुक्तियां– IT और लीगल डिपार्टमेंट
SEBI बोर्ड में नई कार्यकारी निदेशकों (EDs) की नियुक्ति का प्रस्ताव भी है. खासतौर पर-
- लीगल विभाग में काम का दबाव देखते हुए एक और ED की नियुक्ति की जाएगी.
- IT विभाग को और मजबूत करने के लिए आईटी के लिए खास ED नियुक्त करने का प्रस्ताव है.
क्लियरिंग कॉर्पोरेशन का डिमर्जर प्रस्ताव टला
SEBI का एक बड़ा प्रस्ताव, क्लियरिंग कॉर्पोरेशन को स्टॉक एक्सचेंज से अलग करना, इस बैठक में नहीं लाया जाएगा. इसकी वजह-
- एक्सचेंज और SEBI में इस पर मतभेद हैं.
- अभी यह माना जा रहा है कि इन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाए बिना अलग करना सही नहीं होगा.
NSEL ब्रोकर्स और VCF नियम उल्लंघन पर सेटलमेंट स्कीम
SEBI NSEL मामले में शामिल ब्रोकर्स के लिए सेटलमेंट स्कीम लाने की तैयारी में है. इस मामले में 300 से ज्यादा नोटिस भेजे जा चुके हैं. साथ ही Venture Capital Funds (VCFs) से जुड़े पुराने नियमों के उल्लंघन के मामलों पर भी सेटलमेंट स्कीम लाने पर चर्चा हो सकती है.