FY25 में 703 कंपनियों और निवेशकों ने चुना सेटलमेंट का रास्ता, सेबी को चुकाए 800 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना
वित्त वर्ष 2024-25 में सेबी को 703 सेटलमेंट एप्लिकेशन मिले, जिनमें से 284 का निपटारा हुआ है. इससे सेबी ने लगभग 799 करोड़ रुपये फीस और 65 करोड़ रुपये डिस्गॉर्जमेंट चार्जेस वसूले. ज्यादातर मामले इनसाइडर ट्रेडिंग से जुड़े है. वहीं मुश्किल वसूली (DTR dues) 77,800 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है.
मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) के पास वित्त वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड संख्या में सेटलमेंट एप्लिकेशन पहुंचे. 703 कंपनियों और निवेशकों ने नियम तोड़ने के मामले मुकदमेबाजी की बजाय सेटलमेंट से खत्म करने का रास्ता चुना यानी इस साल सेटलमेंट की मांग में लगभग 62 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. वहीं पिछले साल यानी 2023-24 में ऐसे 434 एप्लिकेशन आए थे. यानी इस साल सेटलमेंट की संख्या में बड़ी बढ़ोतरी हुई है.
कितने मामले निपटे और कितनी रकम वसूली ?
वित्त वर्ष 2024-25 में सेबी को मिले 703 सेटलमेंट एप्लिकेशन में से 284 मामलों का निपटारा इसी साल किया गया. इन निपटाए गए मामलों से सेबी ने 798.87 करोड़ रुपये का सेटलमेंट फीस और 64.84 करोड़ रुपये डिस्गॉर्जमेंट चार्जेस (गैर-कानूनी तरीके से कमाई गई रकम की वापसी) वसूले है. बाकी 272 एप्लिकेशन या तो रिजेक्ट हुए, वापस ले लिए गए या फिर ड्रॉप कर दिए गए.
किन-किन मामलों में हुई सेटलमेंट
सेबी की रिपोर्ट के मुताबिक, सेबी ने जिन मामलों में सेटलमेंट किया है, वे मुख्य रूप से इनसाइडर ट्रेडिंग, ट्रेडिंग प्रैक्टिस, म्यूचुअल फंड्स, AIFs और FPI रेगुलेशन उल्लंघन से जुड़े थे.
क्या है अपील का हाल?
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2024-25 में सेबी से जुड़े 533 नए अपील केस सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) में दाखिल हुए है. इनमें से 422 का निपटारा हो गया है.
- जिसमें से से 73 फीसदी अपील खारिज हो गईं.
- 5 फीसदी अपील मंजूर हुईं.
- 10 फीसदी आंशिक रूप से सही पाई गईं.
- बाकी अपील या तो दोबारा सुनवाई के लिए भेजी गईं या वापस ले ली गईं.
गौर करने वाली बात ये भी है कि ज्यादातर अपीलें धोखेबाजी और Unfair Trade Practices (PFUTP) रेगुलेशन से जुड़ी थीं.
मुश्किल से वसूली का क्या है हाल?
सेबी की रिपोर्ट बताती है कि जिन डिफॉल्टर्स से रकम वसूलना मुश्किल है (Difficult-to-Recover Dues), वह अब बढ़कर 77,800 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. पिछले साल मार्च 2024 तक यह रकम 76,293 रुपये करोड़ थी. सेबी ने साफ किया कि ये सिर्फ एडमिनिस्ट्रेटिव लिस्टिंग है और जैसे ही मौके बनेंगे, वसूली की कोशिशें जारी रहेंगी.
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