सेंसेक्स 1,000 अंक लुढ़का, इन 3 वजहों से बाजार में मची तबाही, निवेशकों के 10 लाख करोड़ स्वाहा
25 अप्रैल को सकारात्मक शुरुआत के बावजूद बाद में भारतीय शेयर बाजार धड़ाम हो गया. सेंसेंक्स जहां 1000 अंक टूट गया, वहीं निफ्टी में भी गिरावट देखने को मिली. शेयर मार्केट के क्रैश होने से निवेशकों के करोड़ों रुपये डूब गए, तो क्या है मार्केट में गिरावट की प्रमुख वजह, आइए जानते हैं.
Share Market crash reasons: हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन यानी शुक्रवार को सुबह भारतीय शेयर बाजार हरे निशान पर खुले थे, लेकिन धीरे-धीरे बाजार का मूड बदला और सेंसेक्स-निफ्टी बुरी तरह से लुढ़क गए. इंट्राडे कारोबार में सेंसेंक्स 1,075 अंक यानी 1.35% टूटकर 78,726 के निचले स्तर पर पहुंच गया. वहीं निफ्टी 50 भी 368 अंक यानी 1.5% गिरकर 23,879 के निचले स्तर पर आ गया. बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांक में भी 3% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई. इस भारी बिकवाली ने निवेशकों को करोड़ों की चपत लगाई.
10 लाख करोड़ का नुकसान
सीएनबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय शेयर बाजार में आई इस बड़ी गिरवट के चलते एक सत्र में निवेशकाें के करीब 10 लाख करोड़ रुपये डूब गए. BSE पर लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन 430 लाख करोड़ रुपये से घटकर 420 लाख करोड़ रुपये पर आ गया. ऐसे में निवेशकों को तगड़ा नुकसान हुआ है. तो आखिर किन कारणों से बाजार में आई गिरावट, आज हम आपको इसी के बारे में बताएंगे.
पहलगाम आतंकी हमले का असर
मार्केट से जुड़े जानकारों का मानना है कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को बढ़ा दिया है, जिसका असर बाजार के मूड पर पड़ा है. पीएम नरेंद्र मोदी के हमले के दोषियों पर कार्रवाई करने की बात से निकट भविष्य में तनाव बढ़ने की आशंका बढ़ा दी है. इस भू-राजनीतिक स्थिति की अनिश्चितता ने बाजार के उत्साह को ठंडा कर दिया है. जिसके चलते मार्केट बुरी तरह से गिर गया.
तेजी के बाद मुनाफावसूली
विशेषज्ञों के अनुसार, हाल के दिनों में मार्केट में 8% से ज्यादा की तेजी देखने को मिली थी, इसी तेजी के बाद बाजार में मुनाफावसूली देखने को मिल रही है. नए ट्रिगर्स की कमी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों में बार-बार बदलाव के चलते भी बिकवाली को बढ़ावा दिया. निवेशक सही समय पर शेयर बेचकर मुनाफा कमाने पर फोकस कर रहे हैं.
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भारत की विकास दर पर चिंता
मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक भारत का मैक्रोइकॉनॉमिक दृष्टिकोण मजबूत होने के बावजूद, व्यापार युद्ध के आर्थिक प्रभाव की चिंता बनी हुई है. भारत अपनी मजबूत घरेलू मांग और जनसांख्यिकीय लाभ के कारण कम प्रभावित देशों में है, लेकिन वैश्विक आर्थिक मंदी से पूरी तरह अछूता नहीं रह सकता. विश्व बैंक ने 23 अप्रैल को भारत की वित्त वर्ष 2026 की विकास दर के अनुमान को 0.4% घटाकर 6.3% कर दिया, जबकि IMF ने इसे 6.5% से घटाकर 6.2% कर दिया. ये अनुमान रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के 6.5% के अनुमान से थोड़ा कम हैं. भारत के विकास दर को लेकर बनी चिंता का असर मार्केट में भी देखने को मिला.