अगले हफ्ते बनेगा मोटा पैसा या होगा भारी नुकसान? ये 7 फैक्टर्स होंगे अहम; निवेशक रखें नजर

इस हफ्ते बाजार में गिरावट के बाद निवेशकों की नजर अब अगले सप्ताह की चाल पर टिकी है. सेंसेक्स और Nifty में गिरावट देखी गई, जिसके पीछे कमजोर तिमाही नतीजे, वैश्विक अनिश्चितता और FII की बिकवाली प्रमुख कारण रहे. अगले हफ्ते Q1 के रिजल्ट, IPO की लिस्टिंग, भारत-अमेरिका के महंगाई आंकड़े समेत अन्य गतिविधियां बाजार की दिशा तय कर सकती हैं.

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Stock Market: भारतीय शेयर बाजार इस हफ्ते 1 फीसदी से अधिक की गिरावट के साथ बंद हुए. इस गिरावट के पीछे कई कारण रहे, जिनमें ग्लोबल टैरिफ को लेकर अनिश्चितता और कंपनियों के पहली तिमाही के कमजोर नतीजे शामिल हैं. हालांकि हफ्ते के पहले तीन दिन बाजार स्थिर रहा, लेकिन आखिरी दो दिनों में बिकवाली के दबाव के कारण BSE सेंसेक्स और Nifty50 हफ्ते के निचले स्तर के करीब पहुंच गए. शुक्रवार को सेंसेक्स 689.81 अंक (0.83 फीसदी) गिरकर 82,500.47 पर बंद हुआ, जबकि Nifty50 205.40 अंक (0.81 फीसदी) टूटकर 25,149.85 पर बंद हुआ. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि अगले हफ्ते बाजार की चाल किन फैक्टरों पर निर्भर करेगी. अगर आप निवेशक हैं, तो इन घटनाक्रमों पर नजर जरूर रखें.

Q1 के रिजल्ट पर रहेगी नजर

अप्रैल-जून तिमाही के नतीजों का सीजन रफ्तार पकड़ने वाला है, जिसमें कई बड़ी कंपनियां अपने नंबर जारी करेंगी. निवेशकों की नजर HCL Tech, टेक महिंद्रा, एक्सिस बैंक, ICICI बैंक, विप्रो, JSW स्टील, L&T फाइनेंस और HDFC बैंक जैसी कंपनियों के रिजल्ट पर रहेगी. इनसे यह संकेत मिलेगा कि अलग-अलग सेक्टरों में मजबूती कितनी है और भविष्य में ग्रोथ की क्या संभावनाएं हैं.

इन्फ्लेशन डेटा

भारत और अमेरिका से आने वाले महत्वपूर्ण महंगाई आंकड़े इस हफ्ते बाजार को प्रभावित कर सकते हैं. 14 जुलाई को भारत होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) और खुदरा महंगाई (CPI) के आंकड़े जारी करेगा. इन आंकड़ों से कीमतों के रुझान का पता चलेगा और यह RBI के ब्याज दर निर्णयों को भी प्रभावित कर सकते हैं.

जॉबलेस क्लेम

17 जुलाई को अमेरिका में बेरोजगारी दावों (Initial और Continuing Jobless Claims) के आंकड़े जारी होंगे, जो वहां के रोजगार बाजार की स्थिति को दर्शाएंगे. यह डेटा निवेशकों की भावनाओं पर असर डाल सकता है, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों में कटौती की चर्चा चल रही है. अगर बेरोजगारी के दावे बढ़ते हैं, तो यह अमेरिकी अर्थव्यवस्था में कमजोरी का संकेत हो सकता है, जिससे वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बढ़ सकती है.

वैश्विक अनिश्चितता

अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन द्वारा संभावित नए टैरिफ लगाए जाने की आशंका से वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बनी हुई है. हालांकि अमेरिका और भारत के बीच संभावित व्यापार समझौते को लेकर उम्मीदें निवेशकों को कुछ राहत दे सकती हैं. अगर दोनों देशों के बीच कोई सकारात्मक डील होती है, तो यह भारतीय शेयर बाजार को सपोर्ट दे सकती है.

IPO

इस हफ्ते Crizan Ltd और Glen Industries सहित कई कंपनियों के IPO लिस्ट होंगे, जिससे प्राइमरी मार्केट में हलचल बढ़ने की संभावना है. IPO का पाइपलाइन मजबूत बना हुआ है, जो निवेशकों के लिए नए अवसर और जोखिम दोनों लेकर आ सकता है.

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रुपये की चाल

भारतीय रुपया इस हफ्ते 0.11 फीसदी गिरकर 85.73 पर बंद हुआ. इसकी प्रमुख वजहें रही इक्विटी बाजार में गिरावट, कमोडिटी की बढ़ती कीमतें और वैश्विक अनिश्चितता. डॉलर इंडेक्स 97.75 के स्तर पर पहुंच गया है, जिससे अगले कुछ दिनों में रुपया 85.25 से 86.20 के दायरे में ऊपर-नीचे हो सकता है.

FII-DII फ्लो

संस्थागत निवेशकों (FII/DII) की गतिविधियों पर भी नजर रखना जरूरी है. शुक्रवार को FIIs ने 5,155.68 करोड़ रुपये की नेट बिकवाली की, जबकि DIIs ने 3,482.95 करोड़ रुपये की खरीदारी की. यदि यह ट्रेंड पलटता है, तो यह बाजार की दिशा को प्रभावित कर सकता है.