व्हर्लपूल ऑफ इंडिया के शेयरों में पतझड़, एक ब्लॉक डील से बिखरा स्टॉक… 13 फीसदी टूटा
Whirlpool of India Shares: सितंबर में खत्म हुई तिमाही तक, व्हर्लपूल मॉरिशस के पास व्हर्लपूल ऑफ इंडिया में 51 फीसदी हिस्सेदारी थी, जो 6.47 करोड़ इक्विटी शेयर के बराबर है. 7.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने से इसकी होल्डिंग काफी कम हो जाएगी. कंपनी के शेयर करीब 40 फीसदी गिरे हैं. इस साल अब तक यह शेयर 40 फीसदी से अधिक टूटा है.
Whirlpool of India Shares: व्हर्लपूल ऑफ इंडिया के शेयर गुरुवार 27 नवंबर को बुरी तरह टूट गए. सुबह के कारोबार में शेयर 13.2 फीसदी टूटकर 1,041 रुपये के निचले स्तर पर आ गए. शेयरों में गिरावट की वजह ब्लॉक डील है. दरअसल, प्रमोटर एंटिटी, व्हर्लपूल मॉरिशस लिमिटेड ने सभवत: एक ब्लॉक डील के जरिए कंपनी में 11.8 फीसदी इक्विटी हिस्सेदारी बेच दी है. पिछली रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रमोटर एंटिटी कंपनी में 7.5 फीसदी तक हिस्सेदारी बेचने का प्लान बना रही थी. CNBC आवाज की रिपोर्ट के मुताबिक, डील की अनुमानित साइज लगभग 965 करोड़ रुपये थी. पहले इस हिस्सेदारी की बिक्री में लगभग 95 लाख शेयर शामिल होने थे.
डील के लिए फ्लोर प्राइस
उपलब्ध जानकारी के अनुसार, डील के लिए फ्लोर प्राइस 1,030 रुपये प्रति शेयर तय किया गया है, जो NSE पर व्हर्लपूल ऑफ इंडिया के 1,201.40 रुपये के क्लोजिंग प्राइस से 14 फीसदी कम है.
कितनी थी हिस्सेदारी?
सितंबर में खत्म हुई तिमाही तक, व्हर्लपूल मॉरिशस के पास व्हर्लपूल ऑफ इंडिया में 51 फीसदी हिस्सेदारी थी, जो 6.47 करोड़ इक्विटी शेयर के बराबर है. 7.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने से इसकी होल्डिंग काफी कम हो जाएगी और यह भारतीय लिस्टेड कंपनी के लिए एक बड़ा ट्रांजेक्शन होगा.
कंपनी का कारोबार
व्हर्लपूल ऑफ इंडिया रेफ्रिजरेटर, वॉशिंग मशीन और एयर कंडीशनर जैसे बड़े घरेलू अप्लायंसेज की एक जानी-मानी मैन्युफैक्चरर और मार्केटर है. गुरुग्राम में हेडक्वार्टर वाली इस कंपनी की जड़ें केल्विनेटर ऑफ इंडिया से जुड़ी हैं, जो 1960 में बनी थी और ग्लोबल व्हर्लपूल कॉर्पोरेशन के साथ स्ट्रेटेजिक अलायंस के बाद 1994 में व्हर्लपूल ऑफ इंडिया बन गई.
शेयर में आई है गिरावट
स्टॉक परफॉर्मेंस के नजरिए से देखें, तो पिछले एक साल में व्हर्लपूल ऑफ इंडिया मार्केट से पीछे रहा है. कंपनी के शेयर करीब 40 फीसदी गिरे हैं. इस साल अब तक यह शेयर 40 फीसदी से अधिक टूटा है.
कमजोर वित्तीय प्रदर्शन
फाइनेंशियल परफॉर्मेंस के मामले में, कंपनी ने सितंबर में खत्म हुई तिमाही के लिए कमजोर कमाई रिपोर्ट की. कंसोलिडेटेड नेट प्रॉफिट साल-दर-साल 21 फीसदी घटकर 41 करोड़ रुपये रह गया, जबकि पिछले साल इसी समय यह 52 करोड़ रुपये था. तिमाही के लिए रेवेन्यू 1,697 करोड़ रुपये रहा, जो Q2FY25 में दर्ज 1,762.3 करोड़ रुपये से 4 फीसदी कम है.
डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.