बैंक मैनेजर भी नहीं बचे साइबर ठगों से, अजमेर में फर्जी कागजात दिखाकर लूटे 29 लाख

अजमेर के एक निजी बैंक में 29 लाख रुपये की साइबर ठगी का मामला सामने आया है. बैंक मैनेजर को कॉल कर खुद को कंपनी का प्रतिनिधि बताकर रकम ट्रांसफर करवाई गई. फर्जी लेटरहेड और हस्ताक्षर से मैनेजर को विश्वास में लिया गया. बाद में जब असली कंपनी से संपर्क हुआ तो ठगी का खुलासा हुआ.

अजमेर के एक निजी बैंक में 29 लाख रुपये की साइबर ठगी का मामला सामने आया है. Image Credit: Jaap Arriens/NurPhoto via Getty Images

Cyber Fraud: साइबर अपराधियों का आतंक दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है. आम हो या खास, वे अब किसी को नहीं बख्श रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि अब वे उन लोगों को भी अपना निशाना बना रहे हैं जो खुद इस तरह के अपराधों को रोकने की जिम्मेदारी निभाते हैं. ऐसा ही एक मामला अजमेर से सामने आया है, जहां एक निजी बैंक के मैनेजर को साइबर अपराधियों ने 29 लाख रुपये की ठगी का शिकार बना लिया. शिकायत के अनुसार, एक व्यक्ति ने खुद को एक कंपनी का प्रतिनिधि बताकर मैनेजर को कॉल किया और पैसे ट्रांसफर करने की जल्दबाजी बताई. उसने कंपनी के लेटरहेड और अधिकृत साइन भी भेजे. मैनेजर ने कागजात जांचकर तीन किश्तों में रकम ट्रांसफर कर दी. बाद में पता चला कि दस्तावेज फर्जी थे और वह ठगी का शिकार हो गए. पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

फोन कॉल से शुरू हुई धोखाधड़ी

टाइम्स ऑफ इंडिया के रिपोर्ट के मुताबिक, बैंक मैनेजर अभिषेक माहेश्वरी को एक कॉल आया जिसमें सामने वाले ने खुद को एक प्राइवेट कंपनी का प्रतिनिधि बताया. उसने कहा कि कंपनी के बैंक अकाउंट से तत्काल पेमेंट करना है लेकिन चेकबुक खत्म हो गई है. इसके बाद उसने एक मेल भेजा जिसमें कंपनी का लेटरहेड और हस्ताक्षर मौजूद थे.

बैंक रिकॉर्ड से मिलान के बाद की ट्रांजेक्शन

मैनेजर ने कंपनी के दस्तावेजों और हस्ताक्षर को बैंक के रिकॉर्ड से मिलाया. सबकुछ सही लगने पर उन्होंने तीन किश्तों में कुल 29 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए. रकम उस नंबर पर भेजी गई जो मेल में दर्ज था. जब असली कंपनी से संपर्क किया गया तो सामने आया कि उन्होंने कोई ऐसा अनुरोध नहीं किया था. दस्तावेज पूरी तरह फर्जी थे और यह एक साइबर ठगी का मामला था. मैनेजर ने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.

साइबर पुलिस कर रही है जांच

अजमेर की साइबर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि फर्जी दस्तावेज कहां से बनाए गए और पैसा किसके खाते में गया. बैंक कर्मचारियों को भी सतर्क रहने की सलाह दी गई है ताकि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों.

कैसे बचें ऐसी साइबर ठगी से

  • सिर्फ कॉल और ईमेल पर भरोसा न करें
  • अगर कोई व्यक्ति खुद को किसी कंपनी का अधिकारी बताकर पैसे ट्रांसफर करने की बात करे, तो उसकी बातों पर आंख बंद करके भरोसा न करें. कॉल या ईमेल से मिली जानकारी की पुष्टि किसी अन्य माध्यम (जैसे कंपनी के रजिस्टर्ड नंबर या अधिकृत ईमेल) से जरूर करें.
  • दस्तावेज की दोबारा पुष्टि करें
  • भेजे गए लेटरहेड, सिग्नेचर और बैंक डिटेल्स को केवल रिकॉर्ड से मिलाकर न देखें, बल्कि कंपनी के अधिकृत अधिकारी से व्यक्तिगत या टेलीफोनिक संपर्क कर इसकी सत्यता की पुष्टि करें.
  • दो स्तर की मंजूरी सिस्टम अपानाए
  • बैंक या संस्थान में किसी भी बड़े फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन के लिए दो अथवा अधिक अधिकारियों की मंजूरी होनी चाहिए.