आपका डिवाइस ही बन रहा है साइबर ठगों का साथी, जानिए बॉट्स कैसे भेज रहे हैं आपकी निजी जानकारी

इंटरनेट से जुड़े डिवाइसेज आज हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुके हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि यही डिवाइस कभी-कभी हमारे खिलाफ भी इस्तेमाल हो सकते हैं? साइबर अपराध की दुनिया में बॉट्स कैसे आपकी प्राइवेसी को खतरे में डालते हैं, यह जानना बेहद जरूरी हो गया है.

बोट्स आपकी प्राइवेसी को खतरे में डालते हैं Image Credit: Jaap Arriens/NurPhoto via Getty Images

जिस तकनीक को आपने अपनी सहूलियत और सुरक्षा के लिए अपनाया है, वही अब आपके खिलाफ हथियार बनती जा रही है. आज के दौर में आपका कंप्यूटर, लैपटॉप या टैबलेट यानी कोई भी इंटरनेट से जुड़ा डिवाइस साइबर अपराधियों का सबसे बड़ा औजार बन सकता है. इन डिवाइसेज के भीतर छिपे होते हैं ‘बॉट्स’- ऐसे प्रोग्राम जो बिना आपकी जानकारी के, आपकी गतिविधियों पर नजर रखते हैं, संवेदनशील डेटा चुराते हैं और बड़ी साइबर धोखाधड़ी का हिस्सा बन जाते हैं.

ये बॉट्स कई बार इतनी चालाकी से सिस्टम में घुसते हैं कि आम यूजर को भनक तक नहीं लगती, और वे अपने ही डिवाइस के जरिए किसी और को नुकसान पहुंचाने का जरिया बन जाते हैं. आज जब दुनिया का हर दूसरा काम डिजिटल हो चुका है, ऐसे में बॉटनेट अटैक्स से सतर्क रहना और इनकी पहचान करना बेहद जरूरी हो गया है.

क्या होते हैं ‘बॉट्स’?

बॉट्स दरअसल एक प्रकार का कंप्यूटर प्रोग्राम होते हैं जिन्हें खास निर्देशों के साथ तैयार किया जाता है ताकि वे किसी काम को बिना इंसानी दखल के बार-बार कर सकें. जहां ‘गुड बॉट्स’ डेटा एनालिटिक्स, वेब क्रॉलिंग जैसे कामों में मदद करते हैं, वहीं ‘बैड बॉट्स’ साइबर ठगों के लिए डेटा चोरी, अकाउंट हैकिंग और फर्जी ट्रांजेक्शन का जरिया बनते हैं.

कैसे करते हैं बॉट्स हमला?

साइबर अपराधी इन बॉट्स को आपकी जानकारी के बिना आपके सिस्टम में इंस्टॉल कर देते हैं. इसके बाद ये बॉट्स आपके ईमेल, सोशल मीडिया और पासवर्ड्स तक पहुंच बनाकर आपकी निजी जानकारियां चुरा सकते हैं. कभी-कभी ये बॉट्स आपके डिवाइस का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किए जा रहे साइबर हमलों, जैसे DDoS अटैक, क्रेडेंशियल हैकिंग या क्रिप्टो माइनिंग के लिए भी करते हैं.

इनमें स्पैम बॉट्स (जो विज्ञापन या मेल्स भेजते हैं), इम्पोस्टर बॉट्स (जो इंसानी गतिविधि की नकल करते हैं), इन्वेंट्री अटैक बॉट्स (जो ऑनलाइन प्रोडक्ट्स को नकली बुकिंग से स्टॉक से हटाते हैं) और ब्रूट फोर्स अटैक बॉट्स (जो पासवर्ड हैक करते हैं) शामिल हैं.

कैसे पहचानें कि आपका डिवाइस बॉटनेट का शिकार हो चुका है?

अगर आपका स्मार्टफोन या कंप्यूटर असामान्य रूप से स्लो हो गया है, स्क्रीन बार-बार फ्रीज होती है या एंटीवायरस अपडेट नहीं हो रहा, तो ये खतरे की घंटी हो सकती है. इसके अलावा, सोशल मीडिया या ईमेल अकाउंट से बिना आपकी जानकारी के संदिग्ध मैसेज भेजे जा रहे हों तो सतर्क हो जाएं, ये बोटनेट का संकेत हो सकता है.

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बचाव कैसे करें?

एंटीवायरस सॉफ्टवेयर को हमेशा अपडेट रखें, अनजान मेल या लिंक को न खोलें, और मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन को सक्रिय करें. क्योंकि एक बार बॉट्स ने आपकी डिवाइस को अपने जाल में लिया तो आप भी अनजाने में साइबर अपराध का हिस्सा बन सकते हैं.