हैदराबाद में फर्जी ट्रेडिंग ऐप्स के जरिए दो बुजुर्ग व्यक्तियों से ठगे 1.18 करोड़ रुपये, ऐसे रखें खुद को सेफ

हैदराबाद में दो बुजुर्ग व्यक्तियों के साथ साइबर ठगी हुई. इसमें उन्हें 1.18 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ. उन्हें व्हाट्सएप पर दो फर्जी ट्रेडिंग ऐप्स के जरिए निवेश का लालच दिया गया. इन ऐप्स को सेबी (SEBI) से मंजूरी प्राप्त बताया गया था. उन्हें शेयर बाजार, ओटीसी ट्रेड और आईपीओ में निवेश के लिए कहा गया.

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Cyber Crime: हैदराबाद में दो बुजुर्ग व्यक्तियों के साथ साइबर ठगी हुई. इसमें उन्हें 1.18 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ. ठगों ने फर्जी सरकारी कागजात, नकली ट्रेडिंग ऐप्स और डराने-धमकाने की तरकीबों का इस्तेमाल किया. पहले मामले में, यूसुफगुड़ा के 64 साल के एक व्यक्ति से 86.41 लाख रुपये ठगे गए. उन्हें व्हाट्सएप पर दो फर्जी ट्रेडिंग ऐप्स के जरिए निवेश का लालच दिया गया. इन ऐप्स को सेबी (SEBI) से मंजूरी प्राप्त बताया गया था. उन्हें शेयर बाजार, ओटीसी ट्रेड और आईपीओ में निवेश के लिए कहा गया. पहले ऐप में उन्होंने 71.75 लाख रुपये जमा किए और ऐप पर 4.78 करोड़ रुपये का मुनाफा दिखाया गया.

जब उन्होंने 2.5 करोड़ रुपये निकालने की कोशिश की तो उनसे 20 फीसदी मुनाफे का हिस्सा पहले जमा करने को कहा गया. यह ऐप के बैलेंस से नहीं काटा जा सकता था. दूसरे ऐप में उन्होंने 14.66 लाख रुपये निवेश किए. इसमें 5.56 लाख रुपये का मुनाफा दिखाया गया. लेकिन 30 फीसदी मुनाफे का हिस्सा पहले देने से इनकार करने पर ऐप को ब्लॉक कर दिया गया. ठगों ने दबाव बनाने के लिए एक फर्जी प्रवर्तन निदेशालय (ED) नोटिस भी भेजा. इसमें उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया गया.

रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी से 32.2 लाख रुपये ठगे

दूसरे मामले में, लालागुड़ा के 83 साल के एक रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी से 32.2 लाख रुपये ठगे गए. यह घटना 23 जून 2025 को हुई. उन्हें एक धमकी भरा फोन कॉल आया. इसमें कहा गया कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 के तहत गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ है. ठगों ने उनके आधार नंबर के साथ फर्जी ED दस्तावेज और नकली सरकारी मुहरों का इस्तेमाल किया. खुद को ED और पुलिस अधिकारी बताने वाले ठगों ने उन्हें तुरंत गिरफ्तारी और मुंबई भेजने की धमकी दी, जिससे वह डर गए.

पैसे जमा करने को किया मजबूर

ठगों ने उन्हें केस खत्म करने के लिए कई बार पैसे जमा करने को मजबूर किया. बाद में, उन्होंने “लॉयल्टी पेमेंट” के नाम पर और पैसे मांगे, यह कहकर कि कुछ अधिकारियों ने उनकी मदद की है. ठगों ने यह भी झूठ बोला कि सरकार उन्हें रिफंड और मुआवजा देगी. पैसे देने के बाद भी ठग उनसे संपर्क करते रहे, ताकि मामला चलता हुआ लगे.

साइबर ठगी से बचने के लिए इन आसान तरीकों का पालन करें

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