ChatGPT में एडल्ट कंटेंट की एंट्री, जानें कौन कर पाएंगे इस्तेमाल और किस फॉर्म में मिलेगा कंटेंट
OpenAI दिसंबर 2025 से वेरिफाइड वयस्क यूजर्स को ChatGPT में एरोटिक कंटेंट की अनुमति देगा. कंपनी इसके लिए नया age-verification system लागू करेगी, जिसमें जरूरत पड़ने पर ID वेरिफिकेशन करनी होगी. हालांकि अभी यह तय नहीं है कि एरोटिका सिर्फ टेक्स्ट तक रहेगा या आवाज, इमेज और वीडियो तक बढ़ेगा.
OpenAI के सीईओ सैम ऑल्टमैन (Sam Altman) ने X पर एक बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने बताया कि कंपनी दिसंबर 2025 से वेरिफाइड वयस्क (verified adults) यूजर्स को एरोटिक कंटेंट (Erotica Content) की अनुमति देगी. यह फैसला OpenAI की नई नीति Treat adult users like adults के तहत लिया गया है, जिसमें कंपनी वयस्क यूजर्स को ज्यादा कंट्रोल देने की तैयारी कर रही है.
ऑल्टमैन ने कहा कि शुरुआत में ChatGPT को काफी restrictive बनाया गया था ताकि यूजर्स की मेंटल हेल्थ पर कोई असर न पड़े. लेकिन अब कंपनी चाहती है कि जिन लोगों को ऐसी दिक्कतें नहीं हैं, वे ChatGPT का इस्तेमाल ज्यादा personal, engaging और human-like तरीके से कर सकें.
कैसे होगी उम्र की वेरिफिकेशन?
TechCrunch को दिए बयान में OpenAI के प्रवक्ता ने बताया कि कंपनी एक age-prediction system पर काम कर रही है. इसके जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि एरोटिक फीचर्स सिर्फ वयस्क यूजर्स को ही मिलें. अगर सिस्टम किसी वयस्क को गलती से नाबालिग मान लेता है, तो ऐसे यूजर को अपनी government ID का फोटो अपलोड करना पड़ सकता है. सैम ऑल्टमैन ने इसे एक ‘worthy tradeoff’ बताया है यानी थोड़ी प्राइवेसी की कुर्बानी देकर सुरक्षित एक्सेस.
क्या ChatGPT में आवाज, फोटो या वीडियो वाला एरोटिक कंटेंट आएगा?
अभी तक यह साफ नहीं है कि एरोटिक कंटेंट सिर्फ टेक्स्ट तक सीमित रहेगा या फिर ChatGPT की voice, image या video टूल्स में भी लाया जाएगा. ऑल्टमैन ने बस इतना कहा कि कंपनी ChatGPT को और आकर्षक बना रही है और वयस्कों के लिए adult content को अनुमति देने जा रही है. पिछले एक साल में OpenAI ने कंटेंट मॉडरेशन के नियमों को थोड़ा ढीला किया है. फरवरी में कंपनी ने ChatGPT को राजनीतिक दृष्टिकोणों की व्यापक रेंज शामिल करने की इजाजत दी थी.
क्यों है यह फैसला खास?
यह OpenAI का अब तक का सबसे बोल्ड कदम माना जा रहा है. कंपनी का कहना है कि वह usage-maxxing यानी सिर्फ यूजर्स बढ़ाने के मकसद से यह कदम नहीं उठा रही, बल्कि उन वयस्कों को ज्यादा आजादी देना चाहती है जो खुद यह तय कर सकें कि उन्हें क्या देखना या पढ़ना है.
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