एनर्जी स्टोरेज सेक्टर में एंट्री की तैयारी में Ola Electric? 17 अक्टूबर को बड़ा ऐलान कर सकती है कंपनी

ओला इलेक्ट्रिक अब अपने इलेक्ट्रिक व्हीकल बिजनेस से आगे बढ़कर एनर्जी स्टोरेज सेक्टर में कदम रखने की तैयारी में है. कंपनी 17 अक्टूबर को एक बड़ा ऐलान कर सकती है, जिससे भारत के तेजी से बढ़ते Battery Energy Storage Systems (BESS) मार्केट में इसकी एंट्री तय मानी जा रही है.

ओला इलेक्ट्रिक Image Credit: Getty image

Ola Electric Energy Storage Sector: भारत की लीडिंग इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी Ola Electric अब अपने बिजनेस को नए सेक्टर में विस्तार देने जा रही है. कंपनी जल्द ही एनर्जी स्टोरेज मार्केट में एंट्री कर सकती है, जिसकी वैल्यू साल 2030 तक 30 अरब डॉलर (USD 30 billion) तक पहुंचने का अनुमान है. ओला इलेक्ट्रिक के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर भाविश अग्रवाल 17 अक्टूबर को एक बड़ा ऐलान कर सकते हैं, जो कंपनी की इस नई दिशा की शुरुआत को दर्शाएगा.

सोशल मीडिया पर दी जानकारी

भाविश अग्रवाल ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में संकेत दिया कि भारत की ऊर्जा व्यवस्था अब “यूटिलिटी से डीप टेक की ओर बढ़ रही है- यानी अधिक स्मार्ट, पोर्टेबल और पर्सनल हो रही है.” इसी के साथ कंपनी ने यह भी साफ कर दिया है कि 17 अक्टूबर को व्हीकल से जुड़ा कोई भी ऐलान नहीं होना है. अग्रवाल ने कहा, “इस दिवाली हम अपना पहला नॉन-व्हीकल प्रोडक्ट लॉन्च कर रहे हैं!”

इस बयान से यह अटकलें तेज हो गई हैं कि कंपनी अब केवल इलेक्ट्रिक वाहनों तक सीमित नहीं रहना चाहती, बल्कि एनर्जी स्टोरेज जैसे नए और उभरते सेक्टर में भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराना चाहती है. हालांकि साफ तौर पर अग्रवाल ने कुछ बताया नहीं है, उसके लिए 17 अक्टूबर तक का इंतजार करना होगा.

घरेलू और कारोबारी ग्राहकों के लिए बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम

ओला इलेक्ट्रिक अगर इस सेक्टर में एंट्री करती है तब Battery Energy Storage Systems (BESS) की दिशा में ये बड़ा कदम साबित हो सकता है. ऐसे सिस्टम जो घरों, बिजनेस या इंडस्ट्री में बिजली को स्टोर करने और जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल करने की सुविधा देते हैं. यह तकनीक ओला की मौजूदा 4680 Bharat Cell Technology का इस्तेमाल करके विकसित की जा सकती है, जिसे कंपनी ने तमिलनाडु के अपने गीगाफैक्ट्री में तैयार किया है.

भारत में Distributed Energy Solutions की मांग लगातार बढ़ रही है — यानी अब उपभोक्ता सिर्फ बिजली सप्लायर पर निर्भर नहीं रहना चाहते, बल्कि अपनी खुद की एनर्जी जरूरतों को भी कंट्रोल करना चाहते हैं. ऐसे समय में ओला का एनर्जी स्टोरेज सेक्टर में उतरना न सिर्फ सही समय पर उठाया गया कदम है, बल्कि कंपनी के लिए नए अवसर भी लेकर आएगा.

मौजूदा ढांचे से तेजी से विस्तार संभव

अगर ओला इलेक्ट्रिक वास्तव में BESS मार्केट में प्रवेश करती है, तो उसे अपने मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर का बड़ा फायदा मिलेगा. कंपनी के पास पहले से ही 5 GWh क्षमता वाला गीगाफैक्ट्री प्लांट है, जिसे Energy Storage Applications के लिए बिना ज्यादा कैपिटल निवेश के इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके अलावा, देशभर में फैले Ola Electric स्टोर्स और सर्विस सेंटर्स को कंपनी अपने नए एनर्जी प्रोडक्ट्स की डिस्ट्रीब्यूशन और सर्विसिंग नेटवर्क के रूप में भी इस्तेमाल कर सकती है.

यह मॉडल Asset-Light Expansion कहलाता है यानी बिना नए भारी निवेश के, मौजूदा संसाधनों के जरिए नए बिजनेस की शुरुआत. इससे ओला को मार्केट में तेजी से एंट्री करने का फायदा मिलेगा और वह पारंपरिक एनर्जी स्टोरेज कंपनियों की तुलना में आगे निकल सकती है.

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