अब ‘अंगूठी’ बनेगा वॉलेट! रिंग से होगा UPI पेमेंट, Muse और NPCI ने लॉन्च किया भारत का पहला वियरेबल पेमेंट सिस्टम
Muse वियरेबल्स कंपनी ने नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के साथ पार्टनरशिप की है. म्यूज वॉलेट से कोई भी रुपे क्रेडिट या डेबिट कार्ड को सुरक्षित डिजिटल टोकन में बदल दिया जाता है. ये टोकन रिंग वन के अंदर टैंपर-रेजिस्टेंट सिक्योर एलिमेंट चिप में स्टोर होता है. ये वैसी ही हार्डवेयर सिक्योरिटी है जो बैंक कार्ड्स और पासपोर्ट में यूज होती है.
Muse Ring: Muse वियरेबल्स कंपनी ने नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के साथ पार्टनरशिप की है. ये भारत का पहला वियरेबल पेमेंट इकोसिस्टम है. ये म्यूज वॉलेट और NPCI के भरोसेमंद रुपे नेटवर्क से चलता है. इस सिस्टम से यूजर्स अपना स्मार्ट रिंग ‘रिंग वन’ को किसी भी NFC वाले पॉस टर्मिनल पर टैप करके तुरंत और सुरक्षित पेमेंट कर सकते हैं. इसके लिए फोन, कार्ड या वॉलेट की जरूरत नहीं. ये सिस्टम पहले से 40 देशों में चल रहा है और 600 बैंकों के कार्ड सपोर्ट करता है. इसका मकसद डिजिटल पेमेंट को आसान, सुरक्षित और हर किसी के लिए उपलब्ध बनाना है.
जल्द ही भारत के सभी बैंकों को करेगा सपोर्ट
म्यूज वॉलेट से कोई भी रुपे क्रेडिट या डेबिट कार्ड को सुरक्षित डिजिटल टोकन में बदल दिया जाता है. ये टोकन रिंग वन के अंदर टैंपर-रेजिस्टेंट सिक्योर एलिमेंट चिप में स्टोर होता है. ये वैसी ही हार्डवेयर सिक्योरिटी है जो बैंक कार्ड्स और पासपोर्ट में यूज होती है. इससे कार्ड की संवेदनशील जानकारी फोन के ऑपरेटिंग सिस्टम या ऐप्स से पूरी तरह अलग रहती है. म्यूज ने बैंकिंग पार्टनर्स को ऑनबोर्ड करना शुरू कर दिया है. जल्द ही भारत के सभी बैंकों को सपोर्ट करेगा.
कैसे करता है ये काम?
यूजर म्यूज ऐप में अपना रुपे कार्ड ऐड करता है. म्यूज वॉलेट रुपे नेटवर्क और बैंक से बात करके उस कार्ड का यूनिक टोकन बनाता है. ये टोकन सुरक्षित तरीके से रिंग वन के सिक्योर एलिमेंट में भेजा जाता है, जहां ये एन्क्रिप्ट होकर स्टोर होता है. जब रिंग को NFC टर्मिनल पर टैप करते हैं, तो सिक्योर एलिमेंट ट्रांजेक्शन करता है, लेकिन असली कार्ड नंबर कभी बाहर नहीं आता. ये हार्डवेयर लेवल की सिक्योरिटी भारत में वियरेबल्स के लिए नया स्टैंडर्ड सेट करती है. पेमेंट तभी काम करता है जब रिंग हाथ में पहनी हो- उतारते ही बंद हो जाता है. अगर रिंग खो जाए या चोरी हो जाए, तो टोकन बिना यूजर की ऑथेंटिकेशन के बेकार रहता है.
Muse के को-फाउंडर और CEO ने क्या कहा?
म्यूज के को-फाउंडर और CEO के.एल.एन. साई प्रसांत ने कहा, “हम विदेशी टेक दिग्गजों से मुकाबला कर रहे हैं. भारत के लिए अपना खुद का सॉवरेन डिजिटल वॉलेट बना रहे हैं. अगले दो सालों में लाखों रुपे कार्डहोल्डर्स को वियरेबल पेमेंट की सुविधा देंगे.” ग्लोबल बिजनेस वाइस प्रेसिडेंट साहिल अजय चौधरी ने कहा, “म्यूज रिंग वन पेमेंट्स को दुनिया भर में शानदार रिस्पॉन्स मिला है. हम 40 देशों और 600 बैंकों पर मास्टरकार्ड नेटवर्क से लाइव हैं.”
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