चाइनीज CCTV से हो रही भारत की जासूसी! नई सख्ती से इंडस्ट्री में हड़कंप; जानें कौन है सबसे बड़ा प्लेयर
भारत सरकार ने इंटरनेट से जुड़े CCTV कैमरों पर कड़े साइबर सुरक्षा नियम लागू कर दिए हैं. अब किसी भी कैमरे की बिक्री से पहले उसका हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और सोर्स कोड सरकारी लैब में जांच के लिए देना जरूरी है. इस कदम से Hikvision, Dahua, Xiaomi जैसी विदेशी कंपनियों को बड़ा झटका लगा है. जानें क्या है पूरा मामला.

China Spying and CCTV Market: भारत सरकार ने इंटरनेट से जुड़े CCTV कैमरों पर कड़े सुरक्षा नियम लागू किए हैं. अब देश में किसी भी कैमरे की बिक्री से पहले उसका हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और सोर्स कोड भारतीय सरकारी लैब में जांच के लिए देना अनिवार्य होगा. यह नियम 9 अप्रैल 2025 से लागू हो चुके हैं. सरकार के इस फैसले से चीन, कोरिया, अमेरिका और दूसरे देशों की कई बड़ी कंपनियों को झटका लगा है. इनमें Hikvision, Dahua, Xiaomi, Motorola Solutions, Hanwha, Honeywell और Bosch जैसी कंपनियां शामिल हैं. भारत के इस कदम के पीछे चीन से खतरे की आशंका है. आइए समझते हैं पूरा मामला.
चीन से खतरे की आशंका
रायटर्स ने अपनी एक रिपोर्ट में वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के हवाले से जानकारी साझा की है जिसके मुताबिक, यह कदम चीन की खास निगरानी तकनीकों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है. 2021 में सरकार ने संसद में बताया था कि एक करोड़ से अधिक सरकारी कैमरे चीन की कंपनियों से लिए गए हैं और उनके जरिए डाटा बाहर भेजे जाने की संभावना है. भारत सरकार का मानना है कि CCTV जैसे टूल्स के जरिए जासूसी हो सकती है इसलिए उनकी कड़ी जांच जरूरी है.
सरकार के इस सख्ती को लेकर हाल ही में कंपनियों के साथ मीटिंग भी की थी. 3 अप्रैल को सरकार ने 17 देशी-विदेशी कंपनियों के साथ बैठक की थी. अधिकतर कंपनियों ने नियमों को लागू करने में और समय मांगा. लेकिन सरकार ने अनुरोध को खारिज करते हुए कहा कि यह “राष्ट्रीय सुरक्षा” का मुद्दा है और इसमें कोई ढील नहीं दी जा सकती.
क्या है कंपनियों की शिकायत?
सरकार के नए नियम को लेकर असल में जांच कंपनियों की शिकायत सिस्टम से जुड़ी है. दरअसल कंपनियों का कहना है कि जांच प्रक्रिया काफी धीमी है. इससे इतर उनका कहना है कि भारत में टेस्टिंग लैब्स की संख्या भी काफी कम है. इससे उन कंपनियों को कैमरा मुहैया कराने में अधिक समय लग सकता है. इसके अलावा कंपनियों का कहना है कि सॉफ्टवेयर अपडेट के बाद दोबारा टेस्टिंग कराना जरूरी है, इससे समय और खींच सकती है.
इसी के साथ कंपनियों को इस कदम में रिस्क भी नजर आता है. उनका कहना है कि सोर्स कोड साझा करना कंपनियों के लिए रिस्की हो सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक Hanwha कंपनी के अधिकारी अजय दुबे ने ईमेल में कहा, “इस देरी से उद्योग को करोड़ों रुपये का नुकसान होगा.” वहीं Xiaomi ने बताया कि भारतीय लैब ने उनके आवेदन को इसलिए रोका क्योंकि “भीतरी नियमों” के अनुसार भारत की जमीनी सीमा से लगे देशों के लिए अतिरिक्त जानकारी अनिवार्य है.
क्या है सरकार का कहना?
सरकार ने स्पष्ट किया है कि नियम किसी खास देश के खिलाफ नहीं हैं. यह कदम देश में साइबर सिक्योरिटी और क्वालिटी बढ़ाने के लिए उठाया गया है. IT मंत्रालय के अधीन काम करने वाली Standardization Testing and Quality Certification (STQC) एजेंसी ने कहा कि वह और लैब्स को मान्यता देने पर विचार कर रही है. हालांकि इसको लेकर रिसर्च फर्म का अलग दावा है.
Counterpoint Research के मुताबिक, भारत का CCTV बाजार 2024 में 3.5 बिलियन डॉलर का था जो 2030 तक 7 बिलियन डॉलर हो सकता है. लेकिन नए नियमों से बाजार में अस्थिरता बढ़ गई है. मौजूदा समय में इस सेक्टर में काम करने वाली कंपनियों की हिस्सेदारी समझते हैं. CP Plus की हिस्सेदारी 48 फीसदी है वहीं, Hikvision और Dahua की संयुक्त हिस्सेदारी 30 फीसदी है. इन कैमरों को बनाने के लिए कुल 80 फीसदी कंपोनेंट्स चीन से आते हैं
किसका कितना है मार्केट शेयर?
पिछले कुछ सालों में भारत के शहरों, दफ्तरों और रिहायशी इलाकों में लाखों CCTV कैमरे लगाए गए हैं ताकि निगरानी और सुरक्षा को बेहतर बनाया जा सके. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सिर्फ नई दिल्ली में ही 2.5 लाख से ज्यादा कैमरे लगे हुए हैं. ये कैमरे मुख्य रूप से सड़कों और अहम जगहों पर खंभों पर लगाए गए हैं. चीन की Hikvision और Dahua कंपनियां भारत के CCTV बाजार का 30 फीसदी हिस्सा रखती हैं, जबकि भारतीय कंपनी CP Plus की हिस्सेदारी 48 फीसदी है. रिपोर्ट में ये भी दावा किया किया गया है कि भारत में इस्तेमाल होने वाले करीब 80 फीसदी CCTV कैमरों के पुर्जे चीन से आते हैं.
Hanwha (दक्षिण कोरिया), Motorola Solutions (अमेरिका) और Norden Communication (ब्रिटेन) जैसी कंपनियों ने अप्रैल में भारत सरकार को ईमेल भेजकर बताया कि मौजूदा नियमों के तहत उनके 6,000 कैमरा मॉडल्स में से सिर्फ कुछ ही मॉडल को मंजूरी मिली है.
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