ब्रिटेन में आधार जैसी डिजिटल ID की तैयारी, PM स्टार्मर ला सकते है ब्रिट कार्ड; लेकिन बायोमेट्रिक डेटा नहीं होगा शामिल

ब्रिटेन प्रधानमंत्री कीरस्टार्मरभारत के आधार सिस्टम से प्रेरित होकर ब्रिट कार्ड डिजिटल आईडी योजना ला रहे हैं. भारत का आधार 1.4 अरब लोगों को कवर करता है और बैंकिंग, वेलफेयर सेवाओं तक आसान पहुंच देता है. ब्रिट कार्ड में बायोमेट्रिक डेटा शामिल नहीं होगा. योजना को गोपनीयता और डेटा सुरक्षा के साथ लागू किया जाएगा.

आधार सिस्टम से प्रेरणा लेकर अपना डिजिटल ID प्रोग्राम लाएगा UK. Image Credit:

Brit Card: ब्रिटेन सरकार भारत के आधार सिस्टम से प्रेरणा लेकर अपना डिजिटल आईडी प्रोग्राम शुरू करने की तैयारी में है. प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने मुंबई दौरे के दौरान भारत के आधार सिस्टम को एक बड़ी सफलता बताया था. अब ब्रिटेन में इसी तर्ज पर ब्रिट कार्ड लाने की योजना बनाई जा रही है. हालांकि इसका उद्देश्य अलग होगा और इसे शुरुआत में अवैध प्रवासी मजदूरों पर रोक लगाने के लिए लागू किया जाएगा.

भारत के आधार मॉडल से मिली प्रेरणा

स्टार्मर ने मुंबई में दो दिन के दौरे के दौरान इंफोसिस के सह- संस्थापक नंदन नीलेकणी से मुलाकात की और आधार प्रोग्राम के तेज विस्तार पर चर्चा की. आधार 15 साल पहले शुरू हुआ था और अब यह 1.4 अरब लोगों को कवर करता है. इसने बैंकिंग, वेलफेयर और अन्य सेवाओं तक आसान पहुंच उपलब्ध कराई है. ब्रिटेन इसी मॉडल से सीख लेकर अपनी डिजिटल आईडी नीति बनाने में जुटा है.

ब्रिट कार्ड में बायोमेट्रिक डेटा शामिल नहीं होगा

द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, यूके सरकार ने स्पष्ट किया है कि ब्रिट कार्ड का डिजाइन भारत के आधार से अलग होगा. इसमें बायोमेट्रिक डेटा शामिल नहीं किया जाएगा और इसकी शुरुआत रोजगार क्षेत्र से होगी ताकि अवैध कामगारों पर कंट्रोल किया जा सके. डेटा सुरक्षा और इंक्लूसिवीटी को इस योजना के मुख्य तत्व बताया गया है.

स्टारमर ने सुविधा का दिया तर्क

स्टार्मर ने कहा कि डिजिटल आईडी से लोगों की रोजमर्रा की परेशानियां कम होंगी. उन्होंने उदाहरण दिया कि स्कूल में एडमिशन या किसी सरकारी आवेदन के लिए कई तरह के कागजात ढूंढने पड़ते है. उन्होंने उम्मीद जताई कि ब्रिट कार्ड से लोगों का भरोसा बढ़ेगा और सिस्टम ज्यादा सुविधाजनक बनेगा.

जनता में उठे गोपनीयता को लेकर सवाल

हालांकि ब्रिट कार्ड को लेकर ब्रिटेन में विरोध भी सामने आ रहा है. कई लोग इसे निजता में दखल और सरकारी कंट्रोल बढ़ाने का कदम मान रहे है. विपक्षी दलों और कुछ लेबर सांसदों ने भी इसकी लागत और सुरक्षा पर सवाल उठाए है. सरकार ने अभी तक किसी निजी टेक्नोलॉजी कंपनी से साझेदारी नहीं की है.

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प्रवास और सुरक्षा पर भी फोकस

स्टारमर ने कहा कि यह योजना अवैध कामगारों पर रोक लगाने के लिए भी अहम होगी. सरकार इसे प्रवास समझौतों से जोड़कर देख रही है. खासकर गिग इकॉनमी प्लेटफॉर्म पर फर्जी पहचान से काम करने वाले प्रवासियों पर लगाम लगाने की योजना है. इस बीच प्राइवेसी और सिविल लिबर्टी को लेकर बहस तेज हो गई है.

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