ट्रंप के 100% टैरिफ धमकी पर चीन का पलटवार, कहा- ‘जंग और प्रतिबंधों से नहीं निकलता हल’
डोनाल्ड ट्रंप के रूस से तेल खरीदने वालों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी के बाद चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. स्लोवेनिया में विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है और प्रतिबंध हालात को और उलझा देते हैं.

रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर दुनिया की बड़ी ताकतों के बीच बयानबाजी तेज हो गई है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नाटो देशों से रूस के खिलाफ सख्त कदम उठाने की अपील की है. उन्होंने सुझाव दिया कि जो देश रूस से तेल खरीद रहे हैं, उन पर 100 फीसदी तक टैरिफ (शुल्क) लगाया जाए. लेकिन इस पर चीन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और साफ कहा है कि युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है और प्रतिबंध हालात को और बिगाड़ देते हैं.
ट्रंप का नाटो को सख्त संदेश
रूस के ड्रोन पोलैंड की हवाई सीमा में घुसने के बाद नाटो ने आर्टिकल 4 लागू किया. इसी बीच ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा कि अब वक्त आ गया है जब सभी नाटो देश रूस से तेल खरीदना बंद करें. उन्होंने चेतावनी दी कि जो देश रूस से तेल खरीदते रहेंगे, उन पर 50 से 100 फीसदी तक टैरिफ लगाया जाएगा. ट्रंप ने यहां तक कहा कि वह बड़े स्तर पर रूस पर प्रतिबंध लगाने को तैयार हैं, लेकिन तभी जब सभी नाटो सदस्य देश एकजुट होकर यही कदम उठाएं.

ट्रंप प्रशासन का रुख सिर्फ यूरोप तक सीमित नहीं रहा. अमेरिका ने G7 देशों से भी अपील की है कि वे रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर दबाव बनाएं. खासकर भारत और चीन को निशाने पर लिया गया है. अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने G7 वित्त मंत्रियों से कहा कि जब तक पुतिन की युद्ध मशीन के लिए फंडिंग बंद नहीं होती, तब तक आर्थिक दबाव असरदार नहीं होगा. गौरतलब है कि अमेरिका पहले ही भारतीय सामानों पर करीब 50 फीसदी तक टैरिफ लगा चुका है, यह कहते हुए कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है.
चीन का जवाब, ‘युद्ध से नहीं निकलता हल’
ट्रंप की धमकी का जवाब देते हुए चीन ने बेहद सख्त लहजे में कहा कि वह किसी भी युद्ध में शामिल नहीं होता और न ही किसी तरह की साजिश करता है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, स्लोवेनिया दौरे पर पहुंचे चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा, “युद्ध समस्याओं का हल नहीं है और पाबंदियां हालात को और उलझाती हैं.” वांग यी का बयान उसी समय आया जब ट्रंप ने नाटो देशों से चीन पर भी टैरिफ लगाने का दबाव बढ़ाया था, क्योंकि मास्कों रूस से सबसे ज्यादा तेल आयात करता है.
दिलचस्प बात यह है कि कुछ दिन पहले ही वांग यी ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से बातचीत की थी. तब दोनों देशों ने आपसी रिश्तों को आगे बढ़ाने और सहयोग पर जोर दिया था. लेकिन अब माहौल पूरी तरह बदलता दिख रहा है. ट्रंप की बयानबाजी ने बीजिंग को नाराज कर दिया है और दोनों देशों के बीच खिंचाव और गहराता नजर आ रहा है.
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बढ़ता तनाव और वैश्विक असर
रूस-यूक्रेन युद्ध पहले ही दुनिया की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाल चुका है. तेल और गैस की कीमतें बढ़ने से ऊर्जा संकट गहराया है. ऐसे में अमेरिका और नाटो के दबाव से भारत और चीन जैसे बड़े खरीदारों पर असर पड़ सकता है. चीन ने साफ कर दिया है कि वह प्रतिबंधों की राजनीति में शामिल नहीं होगा. वहीं, अमेरिका चाहता है कि नाटो और G7 मिलकर रूस को आर्थिक रूप से कमजोर करें.
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