ट्रंप का H-1B झटका, भारतीयों को देनी होगी 88 लाख रुपये फीस, IT कंपनियों पर सीधा असर

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को H-1B वीजा के लिए 1 लाख डॉलर का शुल्क लगाने वाला आदेश साइन किया. ट्रंप के अनुसार, इसका मकसद इस प्रोग्राम के दुरुपयोग को रोकना है. लेकिन भारत के 71 फीसदी वीजा लाभार्थियों पर बुरा असर पड़ेगा. कंपनियां महंगी फीस देने में हिचकेंगी, भारतीय टैलेंट अमेरिका जाने में मुश्किल होगी.

H-1B visa update Image Credit: Canva/ Money9

H-1B visa update: अब अमेरिका में जाकर नौकरी करने वाले भारतीयों के लिए परेशानी और भी बढ़ने वाली है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 19 सितंबर, शुक्रवार को H-1B वीजा के लिए 1 लाख डॉलर यानी 88 लाख रुपये से अधिक का नया शुल्क लगाने वाला आदेश साइन किया.

ट्रंप प्रशासन का मानना है कि इस कदम से H-1B वीजा प्रोग्राम के दुरुपयोग को रोका जा सकता है. ट्रंप के इस फैसले का IT सेक्टर में काम करने वाले भारतीयों पर बुरा असर पड़ेगा. जहां 71 फीसदी वीजा भारतीयों को मिलते हैं. साथ ही यह नियम अमेरिकी कंपनियों को महंगा पड़ेगा और भारतीय टैलेंट को अमेरिका जाने में मुश्किल होगी.

ट्रंप ने क्यों लगाया इतना महंगा शुल्क?

ट्रंप ने ओवल ऑफिस से कहा कि इससे अच्छे वर्कर्स ही आएंगे. व्हाइट हाउस का कहना है कि कंपनियां अब अमेरिकी लोगों को पहले हायर करेंगी. लेकिन स्पेशल स्किल वाले विदेशी वर्कर्स को भी ला सकती हैं. इसके लिए कंपनियों या विदेशी वर्कर्स को 1 लाख डॉलर यानी 88,00,000 लाख रुपये फीस के रूप देने होंगे. वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि ट्रेनी को अब H-1B पर नहीं रखेंगे.

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भारतीय IT कंपनियों पर क्या असर?

भारत सबसे ज्यादा H-1B वीजा लेता है. पिछले साल 71 फीसदी अप्रूवल इंडियन को मिले हैं. अमेजन को 12 हजार से ज्यादा वीजा मिले. साथ ही माइक्रोसॉफ्ट और मेटा को 5 हजार से अधिक वीजा दिया गया. पहले यह फीस कुछ हजार डॉलर में थी.

अमेरिकी उद्योग को क्या होगा नुकसान?

शॉर्ट टर्म में वाशिंगटन को फीस के रूप में पैसे मिलेंगे, लेकिन लॉन्ग टर्म में अमेरिका इनोवेशन खो सकता है. प्रोटेक्शनिज्म से ग्रोथ रुकेगी. वेंचर कैपिटल फर्म मेनलो वेंचर्स के डीडि दास ने एक्स पर लिखा कि नया फीस टैलेंट को दूर रखेगा. यूएस इनोवेट करने की पावर कम हो जाएगी. इससे इकोनॉमी ग्रोथ रुकेगी.

भारत में क्या होगा फायदा?

यह नियम ब्रेन ड्रेन रोक सकता है. इंडियन टैलेंट अमेरिका ना जाए तो भारत में ही रहेगा. स्टार्टअप्स और IT फर्म्स को फायदा होगा. लेकिन शॉर्ट टर्म में लोगों को नौकरी जाने का खतरा बना रहेगा. कुशल, शिक्षित और प्रतिभाशाली लोगों का एक बड़ा समूह किसी देश, क्षेत्र या संगठन को छोड़कर दूसरे देश, क्षेत्र या संगठन में चला जाता है, इसे ही ब्रेन ड्रेन कहते हैं.

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