नए H1-B आदेश से अमेरिकी कंपनियों में हड़कंप, माइक्रोसॉफ्ट-जेपीमॉर्गन ने कर्मचारियों को 21 सितंबर से पहले लौटने को कहा
अमेरिका में काम करने वाले विदेशी कर्मचारियों के लिए बड़ा झटका आया है. अचानक से आई इस घोषणा ने हजारों भारतीय पेशेवरों की भी नींद उड़ा दी है. बड़ी कंपनियों ने भी अपने कर्मचारियों को सख्त निर्देश दे दिए हैं. आखिर ऐसा क्या हुआ कि सबको जल्दबाजी में घर लौटने को कहा गया?
H-1B visa fee: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा पर नया आदेश जारी किया है, इस फैसले के बाद भारतीय पेशेवरों समेत हजारों कर्मचारियों की चिंता बढ़ गई है. आदेश के तहत 21 सितंबर 2025 से अमेरिका में H-1B वीजा आवेदन पर 1 लाख डॉलर की अतिरिक्त फीस देनी होगी. इसी को देखते हुए टेक दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट और फाइनेंस सेक्टर की कंपनी जेपीमॉर्गन ने अपने कर्मचारियों को तुरंत अमेरिका लौटने और देश के भीतर ही रहने की सलाह दी है.
माइक्रोसॉफ्ट और JP Morgan ने वीजा धारकों से कहा- तुरंत लौटें
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक माइक्रोसॉफ्ट ने अपने कर्मचारियों को ईमेल भेजकर कहा है कि एच-1बी और एच-4 वीजा पर काम करने वाले सभी लोग 21 सितंबर से पहले अमेरिका लौट आएं. कंपनी ने जोर देकर कहा है कि एच-1बी धारक “फिलहाल अनिश्चित समय तक” अमेरिका के भीतर ही रहें और अंतरराष्ट्रीय यात्रा से बचें. वहीं, एच-4 वीजा धारकों से भी कहा गया है कि वे देश के भीतर रहें, ताकि नए आदेश के चलते किसी भी तरह की मुश्किल से बचा जा सके.
माइक्रोसॉफ्ट की तरह जेपीमॉर्गन ने भी अपने एच-1बी वीजा धारकों को सख्त सलाह दी है. कंपनी के इमिग्रेशन काउंसल ने कर्मचारियों को ईमेल भेजकर लिखा है कि वे अमेरिका के भीतर ही रहें और फिलहाल अंतरराष्ट्रीय यात्रा न करें. साथ ही जो कर्मचारी पहले से ही अमेरिका से बाहर हैं, उन्हें भी 21 सितंबर की समयसीमा से पहले वापस लौटने को कहा गया है.
ट्रंप का आदेश और नई फीस
डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को ‘Restriction on entry of certain nonimmigrant workers’ नामक घोषणा पर हस्ताक्षर किए. इसके तहत एच-1बी वीजा धारकों के लिए अमेरिका में प्रवेश को तब तक रोका जाएगा, जब तक उनकी याचिका के साथ 1 लाख डॉलर की फीस जमा नहीं होती. यह आदेश 21 सितंबर से लागू होगा और अगले 12 महीने तक प्रभावी रहेगा.
क्यों लगाया गया यह शुल्क?
ट्रंप प्रशासन का दावा है कि एच-1बी वीजा प्रोग्राम का दुरुपयोग हो रहा है. राष्ट्रपति ट्रंप ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा बताते हुए कहा कि कई आउटसोर्सिंग कंपनियां वीजा फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गतिविधियों में लिप्त हैं. उनका आरोप है कि यह कार्यक्रम अमेरिकी कर्मचारियों की जगह विदेशी, कम वेतन वाले कर्मचारियों को लाकर देश के रोजगार को नुकसान पहुंचा रहा है.
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भारतीय कर्मचारियों पर सबसे ज्यादा असर
एच-1बी वीजा का इस्तेमाल मुख्य रूप से विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) जैसे सेक्टर में एक्सपर्ट कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए होता है. इस वीजा पर काम करने वालों में सबसे बड़ा हिस्सा भारतीयों का है. ऐसे में ट्रंप के आदेश से भारतीय IT पेशेवरों और उनके परिवारों पर सीधा असर पड़ सकता है.