अमेरिका का प्रोजेक्ट फायरवॉल क्या है? जानें इसकी मुख्य बातें, इससे H-1B वीजा वाले भारतीयों पर क्या असर पड़ेगा?
19 सितंबर 2025 को अमेरिकी श्रम विभाग ने प्रोजेक्ट फायरवॉल की घोषणा की. यह एच-1बी वीजा कार्यक्रम के भीतर दुरुपयोग को रोकने के उद्देश्य से एक प्रवर्तन अभियान है. यह पहल श्रम सचिव को एच-1बी नियमों का उल्लंघन करने वाले संदिग्ध नियोक्ताओं की जांच को व्यक्तिगत रूप से प्रमाणित करने का अधिकार देती है. आइये जानते हैं इसकी मुख्य बातें...
अमेरिका के लेबर डिपार्टमेंट ने शुक्रवार को प्रोजेक्ट फायरवॉल की शुरुआत की घोषणा की. इसका उद्देशय अमेरिकन फर्स्ट का पालन कराना है. यह एक एच-1बी प्रवर्तन पहल है जिसका उद्देश्य कुशल अमेरिकी श्रमिकों के अधिकारों, वेतन और नौकरियों की रक्षा करना है. यह घोषणा भी उसी दिन हुई जब राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा के लिए 1 लाख डॉलर यानी 88 लाख रुपये से अधिक का नया शुल्क लगाने वाले आदेश साइन किये हैं.
उच्च कुशल नौकरियां पहले अमेरिकियों को मिलें: अमेरिकी लेबर सेकरेट्री
अमेरिकी लेबर सेकरेट्री लोरी शावेज़ डेरेमर ने कहा, “ट्रंप प्रशासन अमेरिकियों को पीछे छोड़ने वाली प्रथाओं को समाप्त करने की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम है. जैसे-जैसे हम आर्थिक प्रभुत्व स्थापित कर रहे हैं, हमें अपने सबसे मूल्यवान संसाधन: अमेरिकी कामगारों की रक्षा करनी होगी. प्रोजेक्ट फायरवॉल शुरू करने से हमें यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि कोई भी नियोक्ता हमारे कर्मचारियों की कीमत पर एच-1बी वीजा का दुरुपयोग न करे.” उन्होंने आगे कहा, “धोखाधड़ी और दुरुपयोग को जड़ से खत्म करके, श्रम विभाग और हमारे संघीय सहयोगी यह सुनिश्चित करेंगे कि उच्च कुशल नौकरियां पहले अमेरिकियों को मिलें.”
प्रोजेक्ट फायरवॉल की 5 मुख्य बातें
1. श्रम विभाग यह सुनिश्चित करने के लिए जांच करेगा कि सभी नियोक्ता H-1B नियमों का पालन करें. लेबर सेकरेट्री इन जांचों को अप्रूव करने में व्यक्तिगत रूप से शामिल होंगे.
2. लेबर सेक्रेट्री व्यक्तिगत रूप से जांच शुरू करने की पुष्टि करेंगे. विभाग के लिए यह पहली बार होगा जब लेबर सेकरेट्री खुद ऐसी जांचों में शामिल होंगे.
3. श्रम विभाग के अनुसार, यह कार्रवाई मौजूदा अधिकार का लाभ उठाती है जिसके तहत सचिव को उचित कारण होने पर कार्रवाई करने का अधिकार है कि कोई H-1B नियोक्ता नियमों का पालन नहीं कर रहा है.
4. उल्लंघनों के परिणामस्वरूप प्रभावित श्रमिकों को देय बकाया वेतन की वसूली हो सकती है.
5. उल्लंघन करने वालों पर सिविल मनी पेनल्टी भी लगाई जा सकती है. और या तो एक निर्धारित अवधि के लिए H-1B कार्यक्रम का उपयोग करने से रोका जा सकता है.
प्रोजेक्ट फायरवॉल का भारतीयों पर क्या प्रभाव पड़ेगा
ये कड़े कानून निश्चित रूप से उन भारतीयों और अन्य विदेशी नागरिकों को प्रभावित करेंगे जो H1-B वीजा पर अमेरिका में हैं या इसके लिए आवेदन कर रहे हैं. लेकिन इसका पूरा प्रभाव अभी स्पष्ट नहीं है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल भारत H-1B वीजा का सबसे बड़ा लाभार्थी था, जिसकी स्वीकृत लाभार्थियों में 71% हिस्सेदारी थी, जबकि चीन 11.7% के साथ दूसरे स्थान पर था.