कई कर्मचारियों के सालाना इनकम से भी ज्यादा है H-1B Visa Fee, देखिए सैलरी vs वीजा चार्ज का पूरा हिसाब

अमेरिका में विदेशी नौकरी तलाशने वालों के लिए हालात अचानक और मुश्किल हो सकते हैं. एक बड़े ऐलान ने न सिर्फ कंपनियों को चौंका दिया है, बल्कि हजारों भारतीय प्रोफेशनल्स की नींद भी उड़ गई है. अब सवाल यह है कि क्या अमेरिकी सपना और भी महंगा हो जाएगा?

H-1B वीजा फीस सैलरी से भी ज्यादा Image Credit: Money9 Live

अमेरिका में नौकरी का सपना देखने वाले विदेशी पेशेवरों के लिए एक बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को ऐलान किया कि अब H-1B वीजा की सालाना फीस 1 लाख डॉलर होगी. यह नई व्यवस्था 21 सितंबर 2025 से लागू होगी. इतना भारी शुल्क कई वीजा धारकों की सालाना सैलरी के बराबर या उससे ज्यादा बैठ रहा है, जिससे हजारों भारतीय IT प्रोफेशनल्स और युवा इंजीनियरों के सामने गंभीर संकट खड़ा हो सकता है.

सैलरी और फीस का अंतर

अमेरिका में H-1B वीजा धारकों की औसत सालाना आय लगभग 1,67,000 डॉलर बताई जाती है. लेकिन शुरुआती स्तर पर काम करने वाले कर्मचारियों की तनख्वाह 60,000 से 1,00,000 डॉलर तक ही होती है. ऐसे में जो लोग करियर की शुरुआत कर रहे हैं, उनके लिए वीजा फीस ही पूरी कमाई को निगल सकती है. हिंदुस्तान टाइम्स के विश्लेषण के मुताबिक, नई फीस औसतन 80 फीसदी वीजा धारकों की आय के करीब बैठती है और नए जॉइनर्स की आय से तो सीधे-सीधे ज्यादा हो जाती है.

पहले कितनी थी फीस?

अब तक H-1B वीजा की लॉटरी में आवेदन के लिए सिर्फ 215 डॉलर और स्पॉन्सरशिप के लिए 780 डॉलर का शुल्क लिया जाता था. लेकिन ट्रंप प्रशासन ने पहली बार फीस को छह अंकों तक पहुंचा दिया है. फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने साफ किया है कि यह शुल्क हर साल नियोक्ता को भरना होगा.

कंपनियों और कर्मचारियों की चिंता

माइक्रोसॉफ्ट और अमेजन जैसी बड़ी टेक कंपनियों ने अपने H-1B और H-4 वीजा धारक कर्मचारियों को एडवाइजरी जारी कर देश में बने रहने की सलाह दी है. विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी बड़ी फीस से कंपनियां वीजा स्पॉन्सर करने से पीछे हट सकती हैं. इसका असर अमेरिका की इनोवेशन और टेक्नोलॉजी सेक्टर पर भी पड़ सकता है क्योंकि बड़ी संख्या में विदेशी प्रोफेशनल्स पर ही यह उद्योग टिका हुआ है.

यह भी पढ़ें: नए H1-B आदेश से अमेरिकी कंपनियों में हड़कंप, माइक्रोसॉफ्ट-जेपीमॉर्गन ने कर्मचारियों को 21 सितंबर से पहले लौटने को कहा

अमेरिका की इस नई नीति से विदेशी पेशेवरों का भविष्य अधर में लटक सकता है. खासकर भारतीय आईटी सेक्टर, जहां हर साल हजारों युवा H-1B वीजा के जरिए नौकरी के लिए जाते हैं, अब उनके सपनों की राह और भी कठिन हो गई है.

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