भारतीय S-400 के सामने बच्चा है चीन का S-400, रेंज है आधी; MTCR की मेंबरशिप ने बदला खेल
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने बौखलाहट में भारत पर पलटवार तो कर दिया. लेकिन, भूल गया कि उसके पास चीन का HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम है, जिस पर खुद चीन भी भरोसा नहीं करता और अपनी रक्षा के लिए S-400 ही खरीद रखा है. जानते हैं कि कैसे भारत के S-400 और एयर डिफेंस सिस्टम के सामने चीन का पूरा एयर डिफेंस सिस्टम अभी बच्चे जैसा है.
भारत-पाकिस्तान के बीच 7 मई से 10 मई तक हुआ संघर्ष असल में दुनिया के डिफेंस सेक्टर के लिए एक लिटमस टेस्ट रहा. इस झड़प में पाकिस्तान ने एक साथ चीनी और अमेरिकी हथियारों की पोल खोल दी. वहीं, रूसी एयर डिफेंस सिस्टम S-400 और भारत के IACCS यानी इंटिग्रेटेड एयर कंट्रोल एंड कमांड सेंटर की ताकत का शानदार इंट्रोडक्शन दिया. इसके अलावा यह भी सामने आ गया कि कैसे भारत डिफेंस के साथ ही घातक ऑफेंसिव क्षमताएं रखता है.
तकनीक परखने का युद्ध
डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि पहलगाम हमले के बाद भारत की प्रतिक्रिया स्वाभाविक थी. लेकिन, पाकिस्तान ने चीन के उकसावे में आकर भारत पर पलटवार किया. चीन असल में पाकिस्तान के जरिये अपने एयर डिफेंस सिस्टम, मिसाइल और ड्रोन को भारत के सामने परखना चाहता था. जब, भारत ने मेड इन चाइना जेट, मिसाइल और एयर डिफेंस सिस्टम की धज्जियां उड़ाईं, तो तुंरंत चीन और पाकिस्तान पीछे हटने को मजबूर हो गए. हालांकि, इस दौरान चीन और पाकिस्तान सहित दुनियाभर के मीडिया में S-400 और भारत के एयर डिफेंस सिस्टम के खिलाफ प्रोपेगेंडा चलाया गया, लेकिन आखिर में जब सबूत सामने आए, तो दोनों देश मुंह छिपाए घूम रहे हैं.
S-400 के सामने HQ-9 बच्चा
चीन का एयर डिफेंस सिस्टम HQ-9 छोटे बच्चे जैसा है, जिसे कभी रियल वर्ल्ड सिचुएशन में टेस्ट भी नहीं किया गया. जबकि, S-400 रूस-यूक्रेन युद्ध में हर रोज अपनी क्षमता साबित कर रहा है. इसके अलावा भारत जब भी किसी रूसी या विदेशी हथियार खरीदता है, तो उसमें अपनी जरूरतों के मुताबिक मॉडिफिकेशन करता है. S-400 में भी भारतीय सेना के इंजीनियरों ने जरूरत के मुताबिक बदलाव किए हैं. इसके अलावा चीनी एयर डिफेंस सिस्टम के बच्चा होने का सबूत खुद चीन भी देता है, क्योंकि चीन खुद अपनी सुरक्षा के लिए S-400 का इस्तेमाल करता है. बात यहीं खत्म नहीं होती है. असल में चीन और भारत के S-400 में भी बड़ा अंतर है.
भारत और चीन के S-400 में अंतर
भारत के पास जो S-400 है, उसकी डिफेंसिव रेंज 400 किलोमीटर तक है. वहीं, चीन के पास जो S-400 है उसकी यह रेंज करीब आधी यानी 250 किमी है. असल में इसके पीछे MTCR यानी मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम है. MTCR 35 देशों का संगठन है, जो पूरी दुनिया में मिसाइल टेक्नोलॉजी ट्रांसफर को कंट्रोल करता है. भारत और रूस इसके सदस्य हैं, जबकि चीन और पाकिस्तान इसके सदस्य नहीं है. यही वजह है कि रूस ने चीन को जो S-400 दिया है, उसमें सिर्फ 250 किमी तक एयर डिफेंस करने वाली मिसाइलें दी गई हैं, जबकि भारत के पास 400 किमी रेंज वाली मिसाइलें हैं.
क्या हैं MTCR की बंदिशें
MTCR के सदस्य देश दुनिया में मिसाइल टेक्नोलॉजी के मामले में सबसे अव्वल हैं. इस संगठन में शामिल देशों के लिए आपस में मिसाइल टेक्नोलॉजी साझा करने पर कोई पाबंदी नहीं है. लेकिन, इस संगठन से बाहर के देशों के साथ कोई भी देश 300 किमी या इससे ज्यादा की रेंज वाली मिसाइलें नहीं बेच सकता और न उसकी टेक्नोलॉजी दे सकता है. यही वजह है कि रूस की तरफ से चीन को S-400 की 400 किमी रेंज वाली मिसाइलें नहीं दी गई हैं.