सूफी संगीत, अलजेबरा, जायका और अफगानिस्तान तक फैला साम्राज्य, फिर युद्ध में कैसे फंस गया ईरान
एक दौर था जब ईरान, जिसे तब फारस कहा जाता था, दुनिया के ज्ञान, कला और विज्ञान का सिरमौर था. यहां के शायर, दार्शनिक और वैज्ञानिक पूरी दुनिया को दिशा दे रहे . लेकिन आज वही देश जंग, पाबंदियों और सख्त धार्मिक शासन की चपेट में है. रूमी और फिरदौसी की सरजमीं अब मिसाइलों और विरोध की आवाजों से गूंज रही है. जानें पूरी कहानी विस्तार में.

Iran History And its Contribution To World: इन दिनों मिडिल ईस्ट में हालात बेहद तनावपूर्ण हैं. ईरान और इजरायल एक बार फिर आमने-सामने हैं. गाजा से शुरू हुई झड़पें अब सीरिया, लेबनान और समुद्र तक फैल चुकी हैं. इजरायल पर मिसाइलें दागी जा रही हैं, वहीं ईरान के भीतर भी लगातार विस्फोट की खबरें आ रही हैं. कल, 16 जून की ही बात है, इजरायल की ओर से आई एक मिसाइल ने ईरान के लाइव टीवी पर हमला कर दिया. सोशल मीडिया पर इजरायल के धमाके से भागती हुई महिला रिपोर्ट की वीडियो काफी देखी और शेयर की गई.
ईरान ने दुनिया को क्या दिया?
इस पूरे घटनाक्रम में एक सवाल बार-बार उठता है कि क्या यही वो देश है, जो कभी दुनिया का ज्ञान, कविता और संस्कृति का सिरमौर था? ईरान की पहचान सिर्फ एक इस्लामी देश या परमाणु के नाम पर करने वाले विवाद तक सीमित नहीं रही है. एक समय था जब यही जमीन, वहां की सभ्यता, विज्ञान और सुंदरता की मिसाल हुआ करती थी. आज हम आपको 80 के दशक से पहले वाले ईरान की झलक दिखाने की कोशिश करेंगे. वो ईरान जो शायद आज के बारूद और मिसाइलों की धुंध में कहीं दबता और गुम होता हुआ दिख रहा है.
एक वक्त, जब दुनिया की बड़ी ताकत था ईरान
आज का ईरान कभी फारस के नाम से जाना जाता था. हजारों साल पहले यहां एक साम्राज्य खड़ा हुआ जिसे ‘हखमानी साम्राज्य’ कहा गया. इस साम्राज्य का संस्थापक साइरस ‘द ग्रेट’ था. उसने करीब 550 ईसा पूर्व में एक ऐसा राज बनाया जो आज के तुर्की, इराक, अफगानिस्तान, मिस्र के कई हिस्सों तक फैला हुआ था. साइरस को केवल योद्धा नहीं, बल्कि एक न्याय को तवज्जो देने वाला राजा माना जाता है.
उसने गुलामी खत्म की, धर्म की आजादी दी और एक ऐसा शासन चलाया जो उस समय के लिए बिल्कुल नया था. उसकी एक शिलालेख को दुनिया का पहला “ह्यूमन राइट्स डिक्लेरेशन” भी माना जाता है. उसे ही 1948 में यूनाइडे नेशनंस ने अपना लिया था.
शब्दों, विचारों और रंगों का तोहफा
रूमी, फिरदौसी और हाफिज की हर्फ!
ईरान ने मानव सभ्यता को बहुत कुछ दिया, कविता, दर्शन, विज्ञान, वास्तुकला, संगीत, और सूफी सोच. कविता में, सूफी संत रूमी ने ईश्वर और प्रेम की बातों को दिल छू लेने वाली भाषा में कहा. उनकी कविताएं आज भी दुनियाभर में पढ़ी जाती हैं. अगर आपने इम्तियाज अली की फिल्म रॉकस्टार देखी हो तब आपको उसमें रूमी की लिखी हुई कई बातें मालूम होगी. रूमी के अलावा हाफिज की शायरी में इश्क, शराब और रहस्य ने दुनिया को सोच की गहराई दी. फिरदौसी की ‘शाहनामा’ जिसको पूरा करने में उन्हें 30 साल का लंबा अरसा लगा और उमर खय्याम की रुबाइयां आज भी इंसानी सोच की ऊंचाई का उदाहरण है.
कला
कला और वास्तु में ईरान ने नीली टाइलों से सजी मस्जिदें, सुंदर महल और रंगीन कालीनें दी जो आज भी दुनिया के म्यूजियम और घरों की शान हैं. ईरानी कालीनें हाथ से बुनी जाती थी और उसपर बनी हर डिजाइन के पीछे एक कहानी होती थी.
संगीत और यंत्रों का जखीरा
संगीत में भी ईरानी विरासत भरा हुआ रहा है. लोग कहते हैं कि संतूर, टार और सेतर जैसे वाद्य यंत्रों की धुनों को एक बार इंसान सुन ले तो मन काफी शांत हो जाया करता है. यहां कविता को गाकर सुनाने की परंपरा रही है.
विज्ञान का गढ़ था
ईरान ने विज्ञान और ज्ञान में भी बड़ी भूमिका अदा की है. अल-ख्वारिज्मी ने बीजगणित (अलजेबरा) की शुरुआत की — वही ‘Algebra’ जिसकी आज कंप्यूटर और तकनीक की दुनिया में बड़ी जरूरत है. ‘Algorithm’ शब्द भी उन्हीं के नाम से आया. इब्न सीना, जिन्हें पश्चिम Avicenna के नाम से जानता है, उन्होंने 1000 साल पहले चिकित्सा पर एक ऐसी किताब लिखी जो सदियों तक यूरोप की यूनिवर्सिटियों में पढ़ाई गई. ईरानी खगोलविदों ने तारे, ग्रह और समय के कैलकुलेशन में भी अहम खोजें की हैं.
सूफी सोच और आत्मा का दर्शन
ईरानी विचारकों ने दुनिया को यह समझाया कि भगवान सिर्फ मंदिर या मस्जिद में नहीं, हर चीज में होता है. दरअसल यह एक इस्लामी दार्शनिक विचार है जिसे ‘वहदत-उल-वुजूद’ कहा जाता है. इसका मतलब ‘अस्तित्व की एकता’ या ‘एकता का अस्तित्व’ होता है. इस सिद्धांत का कहना है कि सारी चीजें एक ही आत्मा से जुड़ी है. यह भारतीय अद्वैत वेदांत से बहुत हद तक मिलती-जुलती है.
खाने का जायका जिसे मुगल ने भारत लाया
ईरानी खाना, स्वाद और खुशबू का संगम है. यहीं से पुलाव, कबाब, यखनी, फिरनी जैसे खाने भारत पहुंचे थे. मुगलई खाना ईरान से आया एक स्वाद भरा तोहफा है. पिस्ता, गुलाब जल और केसर जैसे स्वाद आज भी इन खानों के अलावा कई दूसरे व्यंजनों में जिंदा है.
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लेकिन ऐसा क्या हुआ कि यह देश पीछे छूट गया?
इतनी समृद्ध विरासत के बावजूद, ईरान धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग पड़ गया. इसकी एक बड़ी वजह थी 1953 में हुआ तख्तापलट. उस समय प्रधानमंत्री डॉ. मोहम्मद मोसद्दिक ने विदेशी तेल कंपनियों से तेल छीनकर देश के हक में किया. अमेरिका और ब्रिटेन को यह बात मंजूर नहीं हुई. CIA और MI6 ने मिलकर मोसद्दिक की सरकार गिरा दी और शाह मोहम्मद रजा पहलवी को सत्ता में वापस लाया गया. शाह ने आधुनिकता की नीतियां लागू की, लेकिन इससे समाज में गहरी खाई बन गई. गरीबों और धार्मिक तबकों को लगने लगा कि सरकार पश्चिम के इशारे पर नाच रही है. हालांकि ईरान के राह में बड़ी रुकावट की वजह 1953 का तख्तापलट नहीं बल्कि एक दूसरा विद्रोह था जो 1979 में हुआ.
1979 की इस्लामी क्रांति
1979 में देश में इस्लामी क्रांति हुई. आयतुल्लाह खुमैनी के नेतृत्व में शाह को देश छोड़ना पड़ा और एक इस्लामी गणराज्य बना. अब कानून कुरान के हिसाब से चलने लगे. हालांकि कुछ लोगों को यह बदलाव सही लगा, लेकिन महिलाओं की आजादी, बोलने और लिखने की स्वतंत्रता और सांस्कृतिक खुलापन धीरे-धीरे घटने लगा. हिजाब अनिवार्य कर दिया गया, विरोधियों को दबाया जाने लगा और मीडिया पर सखती बढ़ती गई. इन्हीं तमाम बंदिशों ने ईरान की तेजी से चलती गाड़ी पर जोर का ब्रेक लगाया. इस देश के इतिहास में गिरावट के दौर के रूप में इस घटनाक्रम को काफी बड़ा माना जाता है. इसके बाद से ही ईरान और वहां की सभ्यता, परंपरा वाली बातें इतिहास बन गई.
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युद्ध, प्रतिबंध से जूझता समाज
1979 के बाद ईरान इराक से आठ साल तक युद्ध में उलझा रहा. इसके बाद परमाणु कार्यक्रमों को लेकर अमेरिका और यूरोपीय देशों ने ईरान पर सख्त प्रतिबंध लगा दिए. तेल से कमाई रुक गई, अर्थव्यवस्था चरमरा गई, महंगाई और बेरोजगारी बढ़ती गई. आज भी ईरान अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग है. कई बार हथियारों और मिसाइलों की खबरों में ईरान का नाम आता है, लेकिन इसके पीछे छुपी जनता की कहानी बहुत कम सामने आती है.
आज का ईरान दो विरोधी ताकतों के बीच खड़ा है – एक तरफ सख्त इस्लामी शासन और दूसरी तरफ बदलाव की चाह रखने वाली जनता. महिलाएं हिजाब के खिलाफ आवाज उठा रही हैं, छात्र सोशल मीडिया पर सरकार के फैसलों का विरोध कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर तमाम तरह के बाहरी विरोधी ताकतों से जूझ रहा देश दिखता है. मौजूदा वक्त में ईरान और इजरायल के बीच लड़ाई जारी है. दोनों ही देश एक दूसरे पर तरह तरह से हमले कर रहे हैं.
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