जिस शख्स ने लाई थी ईरान में इस्लामिक क्रांति उसका यूपी के इस गांव से है नाता

ईरान के पहले सर्वोच्च नेता और मुल्क में इस्लामिक क्रांति लाने वाले अयातुल्लाह रूहोल्लाह खुमैनी का नाता उत्तर प्रदेश के बाराबंकी से है. उन्होंने 1979 की इस्लामी क्रांति का नेतृत्व किया, पश्चिम समर्थित शाह को हटाया और ईरान की तस्वीर हमेशा के लिए बदल दी. शाह को सत्ता से हटाने के बाद खुमैनी 11 साल तक ईरान पर शासन किए और मुल्क के पहले सर्वोच्च नेता बने. चलिए जानते हैं कि क्या है खुमैनी का यूपी कनेक्शन.

Ayatollah Ruhollah Khomeini Image Credit: Britannica and Al Jazeera

ईरान की मुद्रा से लेकर सरकारी इमारतों तक यानी हर जगह एक व्यक्ति की तस्वीर दिखाई देती है. क्या आप जानते हैं कि यह कौन हैं? यह हैं अयातुल्लाह रूहोल्लाह खुमैनी. ईरान के सर्वोच्च नेता खुमैनी का नाता भारत से भी रही है. अयातुल्लाह खुमैनी ने न केवल 1979 की ईरान में हुई इस्लामिक क्रांति का नेतृत्व किया, बल्कि मुल्क पर 12 साल तक शासन भी किया. उन्होंने ईरान से उस समय के शाह की सत्ता से उखाड़ फेंका था. अयातुल्लाह के पूर्वज उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के थे. आइए जानें कि उत्तर प्रदेश का यह शख्स कैसे ईरानी राजनीति और सत्ता में रसूखदार बना, और उनके सिद्धांत आज भी वहां कैसे प्रासंगिक हैं.

ईरान का अगला नेता कौन?

ईजराइल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष से न केवल पश्चिम एशिया प्रभावित हो रहा है, बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बन चुका है. हाल ही में एक खबर आई थी कि ईजराइल ने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई की हत्या की योजना बनाई थी, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस योजना को रद्द कर दिया . यदि ईजराइल इस योजना में कामयाब हो जाता, तो ईरान के सामने नेतृत्व संकट उत्पन्न हो सकता था. ईरान के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल यह है कि खामेनेई के बाद सत्ता किसके हाथों में होगी. कुछ विद्वानों का मानना है कि अयातुल्लाह अली खामेनेई के बेटे ही उनका उत्तराधिकारी हो सकते हैं, लेकिन ईरान की जटिल राजनीतिक परंपरा इसे असंभव मानती है. इस स्थिति के पीछे रूहोल्लाह खुमैनी के विचार प्रमुख हैं.
रूहोल्लाह खुमैनी का मानना था कि पारिवारिक सत्ता राजतंत्र के समान है, और वे पारिवारिक शासन के खिलाफ थे. यही वजह है कि खामेनेई के दूसरे बेटे, मोजतबा, को उनके उत्तराधिकारी के रूप में नहीं देखा जा रहा है.

कौन हैं अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी?


ईरान में अयातुल्लाह रूहोल्लाह खुमैनी की तस्वीर हर जगह है—करेंसी नोटों पर, कक्षाओं में और सार्वजनिक इमारतों में. उन्होंने 1979 की इस्लामी क्रांति का नेतृत्व किया, पश्चिम समर्थित शाह को हटाया और ईरान की तस्वीर हमेशा के लिए बदल दी. शाह को सत्ता से हटाने के बाद खुमैनी 11 साल तक ईरान पर शासन किए और ईरान के पहले सर्वोच्च नेता बने. वे शिया धर्म को मानते थे. उनके दादा, सैय्यद अहमद मुसावी हिंदी, हिंदी भाषा और संस्कृति से गहराई से प्रभावित थे. इसलिए उन्होंने अपने नाम में भी ‘हिंदी’ उपनाम जोड़ा था. वे उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के किंतूर क्षेत्र में मूल रूप से रहने वाले थे.

उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी?

ईरान की 1979 की इस्लामी क्रांति का नेतृत्व करने वाले रुहोल्लाह खुमैनी के दादा, सैय्यद अहमद मुसावी हिंदी, वास्तव में हिंदी भाषा और संस्कृति से गहराई से प्रभावित थे. वे उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के करीब स्थित किंतूर गांव के निवासी थे. बीबीसी पत्रकार बाकर मोइन के अनुसार, अहमद ने अपनी भारतीय जड़ों को दर्शाने के लिए अपने सरनेम में ‘हिंदी’ जोड़ रखा था. अहमद ने लगभग 1830 में बाराबंकी छोड़कर धार्मिक तीर्थयात्रा के सिलसिले में इराक के नजफ गए और फिर 1834 में ईरान के खोमेन शहर में बस गए. वहां उन्होंने तीन शादियां कीं और पांच संतानें हुईं, उनमें से एक मुस्तफा थे, जो बाद में रुहोल्लाह खुमैनी के पिता बने. अहमद के पिता, दीन अली शाह, 18वीं सदी की शुरुआत में मध्य ईरान से भारत आए थे. अहमद हिंदी का जन्म लगभग 1800 के आसपास बाराबंकी के पास हुआ था, उस समय भारत में मुगल साम्राज्य का पतन हो रहा था और ब्रिटिश नियंत्रण बढ़ रहा था. उनके बेटे मुस्तफा हिंदी का जन्म ईरान में हुआ, और रुहोल्लाह खुमैनी का जन्म 1900–1902 के बीच खोमेन में हुआ था.

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