अडानी पर लगे आरोपों के खिलाफ अमेरिकी सांसदों ने उठाई आवाज, कहा- बाइडन राज में जो हुआ उसकी होनी चाहिए जांच
अमेरिकी सांसदों ने बाइडन प्रशासन के न्याय विभाग के फैसलों पर सवाल उठाए हैं, जिसमें अडानी ग्रुप पर लगे आरोप शामिल हैं. उनका कहना है कि इससे अमेरिका और भारत के रिश्तों पर असर पड़ सकता है. सांसदों ने आरोप लगाया है कि बाइडन प्रशासन के फैसले से अमेरिकी हितों को नुकसान हो सकता है और भारत-अमेरिका संबंधों पर असर पड़ सकता है.
अमेरिका के छह सांसदों ने हाल में नियुक्त हुए अमेरिकी अटॉर्नी जनरल पामेला बॉन्डी को पत्र लिखकर बाइडन प्रशासन के न्याय विभाग (DoJ) के कुछ “संदिग्ध” फैसलों पर सवाल उठाए हैं. इनमें अडानी ग्रुप पर लगाए गए रिश्वतखोरी के आरोपों से जुड़े मामले भी शामिल हैं. उनका कहना है कि इसके कारण अमेरिका और भारत के रिश्तों पर असर पड़ सकता है.
ये छह अमेरिकी सांसद – लांस गुडेन, पैट फॉलन, माइक हरिडोपोलोस, ब्रैंडन गिल, विलियम आर टिमोंस और ब्रायन बैबिन – ने 10 फरवरी को अटॉर्नी जनरल को पत्र लिखकर DoJ के फैसलों पर अपनी चिंता जाहिर की है.
अडानी ग्रुप पर लगे आरोप
दरअसल अडानी ग्रुप पर आरोप है कि भारतीय अधिकारियों को लगभग ₹2,100 करोड़ की रिश्वत देने की साजिश रची गई, ताकि उन्हें सोलर पावर प्रोजेक्ट्स के लिए उनके मुताबिक शर्तें मिल सकें. आरोप लगा कि यह घोटाला अमेरिकी बैंकों और निवेशकों से छुपाया गया, जिनसे अडानी ग्रुप ने इस प्रोजेक्ट के लिए अरबों डॉलर जुटाए हैं.
हालांकि, अडानी ग्रुप ने इन सभी आरोपों को खारिज किया है.
सांसदों का DoJ पर सवाल
अमेरिकी सांसदों ने अपने पत्र में लिखा, “बाइडन प्रशासन की न्याय विभाग की कुछ कार्रवाइयां अमेरिका के घरेलू और विदेशी हितों के खिलाफ जा रही हैं और इससे भारत जैसे करीबी सहयोगियों के साथ रिश्तों को नुकसान हो सकता है.”
उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका दशकों से करीबी साझेदार रहे हैं, और यह रिश्ता केवल राजनीति, व्यापार और अर्थव्यवस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि दोनों देशों के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध भी लगातार मजबूत हुए हैं.
अडानी ग्रुप के खिलाफ केस को लेकर आपत्ति
सांसदों ने पत्र में लिखा, “अडानी ग्रुप भारतीय कंपनी है, जिसके अधिकारी भारत में स्थित हैं. यह मामला भारत के अंदर की घटनाओं पर आधारित है, जहां भारतीय अधिकारी और भारतीय संस्थाएं शामिल हैं.”
उन्होंने लिखा कि, “इसके बावजूद, बाइडन प्रशासन के DoJ ने भारतीय अधिकारियों को मामला सौंपने की बजाय सीधे कंपनी के अधिकारियों पर आरोप तय कर दिए, जबकि इससे अमेरिकी हितों को कोई सीधा नुकसान नहीं हुआ.” उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इस केस को आगे बढ़ाने के पीछे कुछ बाहरी फैक्टर्स काम कर रहे हैं.
भारत-अमेरिका संबंधों पर असर
सांसदों ने यह भी कहा कि “यह गलत कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब डोनाल्ड ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति बनने की तैयारी कर रहे हैं.”
उन्होंने लिखा, “बिना ठोस वजह के उठाए गए ऐसे कदम अमेरिका और भारत के बीच लंबे समय से बने भरोसे को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
बाइडन प्रशासन पर राजनीतिक एजेंडा चलाने का आरोप
पत्र में सांसदों ने आरोप लगाया कि बाइडेन प्रशासन के कुछ एजेंसियों पर लेफ्ट-विंग डोनर्स का प्रभाव है, जो राजनीतिक एजेंडा चला रहे हैं. उन्होंने लिखा कि, “राजनीति से प्रेरित ऐसे फैसले उन निवेशकों को हतोत्साहित कर सकते हैं, जिन्होंने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में अरबों डॉलर का योगदान दिया है और हजारों नौकरियां बनाई हैं. ऐसे मामलों की अनावश्यक जांच अमेरिकी हितों को फायदा पहुंचाने के बजाय नुकसान ही पहुंचाएगी.”
सांसदों ने अटॉर्नी जनरल से बाइडन प्रशासन के न्याय विभाग की जांच करने और इस मामले से संबंधित सभी दस्तावेज साझा करने की मांग की है. उन्होंने पत्र में लिखा, “हमें उम्मीद है कि आप DoJ की कार्यवाही की समीक्षा करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई राजनीतिक हस्तक्षेप न हो.”
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