अमेरिका पर भारी पड़ा ट्रंप का टैरिफ, इकोनॉमी सिकुड़ी; 162 अरब डॉलर के साथ ऑल टाइम हाई पर व्यापार घाटा
ट्रंप का टैरिफ वार अमेरिकी लोगों पर भारी पड़ता दिख रहा है. तीन साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि अमेरिकी इकोनॉमी साल की पहली तिमाही में ही सिकुड़ गई है. ट्रंप जिस टैरिफ के जरिये अमेरिकी लोगों को अमीर बनाने का सपना दिखा रहे ट्रंप थे, उसकी वजह से अमेरिका के व्यापार घाटे में भी बढ़ोतरी हुई है.

US Economy में इस साल की पहली तिमाही में 0.3% की गिरावट देखी है. यह गिरावट मोटे तौर पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ लागू की गई नई टैरिफ नीति की वजह से आई है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप के टैरिफ की वजह से आयात महंगा हो गया है और व्यापार घाटे में भारी वृद्धि हुई है. वहीं, उपभोक्ता खर्च में वृद्धि हुई है. रॉयटर्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि टैरिफ प्लान की वजह से व्यापार घाटा ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया है.
बुधवार को अमेरिका के वाणिज्य विभाग के आर्थिक विश्लेषण ब्यूरो ने पहली तिमाही के GDP डाटा के अग्रिम अनुमान जारी करते हुए कहा कि साल की पहली तिमाही में अमेरिका की जीडीपी में 0.3% फीसदी का संकुचन हुआ है. रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा गया कि पहली तिमाही में अमेरिकी अर्थव्यवस्था सिकुड़ गई, जिसका कारण उच्च लागत से बचने के लिए व्यवसायों की तरफ से आयातित वस्तुओं की बाढ़ थी, जो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अव्यवस्थित टैरिफ नीति की विघटनकारी नतीजा है.
अर्थशास्त्रियों ने किया था आगाह
ट्रंप की टैरिफ नीति को लेकर जेपी मोर्गन और गोल्डमैन सैक्स जैसी दिग्गज इन्वेस्टर और रिसर्च फर्म के साथ ही आईएमएफ के तमाम अर्थशास्त्रियों ने आगाह किया था कि टैरिफ की वजह से अमेरिकी इकोनॉमी को झटका लगेगा. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि व्यापार घाटे में वृद्धि ने इकोनॉमी की गिरावट में बड़ा योगदान दिया है. वहीं, उपभोक्ता खर्च में हुई वृद्धि भी इसका ही नतीजा है.
ऑल टाइम हाई पर व्यापार घाटा
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के दावों के विपरीत रिकॉर्ड आयात के बीच मार्च में व्यापार घाटा अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. मार्च में अमेरिका का व्यापार घाटा बढ़कर रिकॉर्ड 162 अरब डॉलर पर पहुंच गया. इसके साथ ही कुल आयात बढ़कर 342.746 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है. ट्रंप ने अपने टैरिफ प्लान का ऐलान करते हुए था कि इससे अमेरिका का व्यापार घाटा कम होगा और लोगों को महंगाई से राहत मिलेगी. इसके अलावा अमेरिका पर कर्ज कम होगा.
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