नहीं मिल रही DAP तो गेहूं बुवाई में करें इस खाद का इस्तेमाल, कम लागत में होगी बंपर पैदावार
कई राज्यों में डीएपी की किल्लत हो गई है. ऐसे में किसानों की चिंता बढ़ गई है. लेकिन वैज्ञानिकों ने डीएपी की जगह विकल्प के रूप में अन्य खाद का इस्तेमाल करने की सलाह दी है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे पैदावार में कोई कमी नहीं आएगी.

पंजाब सहित कई राज्यों में डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) की किल्लत हो गई है. किसानों को प्रयाप्त मात्रा में डीएपी नहीं मिल पा रही है. किसानों को एक बोरी खाद के लिए घंटों लाइन में खड़े होकर इंतजार करना पड़ रहा है. इसके बावजूद भी कई किसान खाली हाथ ही घर जा रहे हैं. ऐसे में गेहूं उत्पादक किसानों की चिंता बढ़ गई है. उन्हें लग रहा है कि अगर गेहूं बुवाई के समय प्रयाप्त मात्रा में डीएपी नहीं मिली, तो उत्पादन पर भी असर पड़ सकता है. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के वैज्ञानिकों ने किसानों को चिंता न करने की सलाह दी है. वैज्ञानिकों ने कहा है कि किसान डीएपी की जगह विकल्प के रूप में दूसरी खाद का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे फसल की पैदावर पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
वैज्ञानिकों ने कहा है कि किसान गेहूं की खेती के लिए डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) के विकल्प के रूप में दूसरे उर्वरकों का उपयोग कर सकते हैं. केवीके पटियाला में सहायक प्रोफेसर (कृषि विज्ञान) गुरप्रीत सिंह सिद्धू ने बताया कि डीएपी का उपयोग मुख्य रूप से गेहूं की खेती में फास्फोरस की आपूर्ति के लिए किया जाता है. जिसमें 46 फीसदी फास्फोरस और 18 फीसदी नाइट्रोजन होता है. उन्होंने कहा कि दूसरे उर्वरक प्रभावी रूप से डीएपी की जगह ले सकते हैं. उनकी एप्लीकेशन दर में अंतर हो सकती है.
वैज्ञानिकों का क्या है कहना
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों का कहना है कि वैकल्पिक एनपीके की मात्रा (12:32:16) है, जिसमें 32 प्रतिशत फास्फोरस, 12 प्रतिशत नाइट्रोजन और 16 प्रतिशत पोटेशियम होता है. उन्होंने कहा कि किसान डीएपी के एक बैग के बदले एनपीके (12:32:16) के 1.5 बैग का उपयोग कर सकते हैं. इसके अलावा सिद्धू ने सुझाव दिया कि सिंगल सुपरफॉस्फेट के तीन बैग या ट्रिपल सुपरफॉस्फेट का एक बैग भी डीएपी के एक बैग की जगह ले सकता है.
पौधों के विकास के लिए जरूरी हैं ये तत्व
केवीके पटियाला के उप निदेशक (प्रशिक्षण) हरदीप सिंह सभिखी ने इस बात पर जोर दिया कि उर्वरक का प्रयोग मिट्टी परीक्षण के परिणामों के आधार पर किया जाना चाहिए, ताकि पोषक तत्वों की ज़रूरतों को सही ढंग से पूरा किया जा सके. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि एनपीके (12:32:16) डीएपी के लिए एक बहुत अधिक प्रभावी विकल्प हो सकता है. क्योंकि एनपीके के 1.5 बैग में डीएपी के समान ही फास्फोरस और नाइट्रोजन की मात्रा होती है. साथ ही 23 किलोग्राम पोटेशियम भी होता है. जानकारी के लिए बता दें कि एनपीके हम उस उर्वरक को कहते हैं, जिसमें नाइट्रोजन, फ़ॉस्फ़ोरस और पोटैशियम जैसे पोषक मौजूद होते हैं. ये तीनों पोषक तत्व पौधों के स्वस्थ विकास के लिए ज़रूरी होते हैं.
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