समय से पहले बारिश हमेशा अच्छी नहीं- प्याज, टमाटर, आम की फसलें बर्बाद; बढ़ेगी महंगाई

Inflation: मानसून ने तय समय से पहले ही दस्तक दे दी है, जिससे गर्मी से राहत तो मिली है, लेकिन इसके साथ ही महंगाई की चिंता भी बढ़ गई है. मानसून के जल्दी आने से कई जगहों पर फसलें बर्बाद हुई है. महाराष्ट्र में भारी बारिश के चलते प्याज जैसी अहम फसलों को नुकसान पहुंचा है.

मानसून का जल्दी आना क्या नुकसान करेगा Image Credit: Getty Image

Early Monsoon Impact on Agriculture: लंबे समय बाद ऐसा हुआ है कि मानसून ने तय समय से पहले ही दस्तक दे दी. मानसून आने की लोग खुशी मना रहे हैं क्योंकि इसने गर्मी से तुरंत राहत दे दी है लेकिन गर्मी से राहत देने वाला और जल्दी आने वाला मानसून आम लोगों की जेब पर भी असर डालने लगा है, क्योंकि इसका असर कृषि पर दिखने लगा है और महंगाई को ये आमंत्रण दे चुका है.

सामान्य से अधिक बारिश

भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने जून से सितंबर तक चलने वाले मानसून के लिए अपने पूर्वानुमान में बदलाव किया है. अब अनुमान है कि इस बार बारिश सामान्य से अधिक यानी औसतन 106% होगी, जो पहले 105% अनुमानित की गई थी. जून महीने में यह आंकड़ा और भी ऊपर जाकर 108% तक पहुंच सकता है.

फसलें हो रही बर्बाद

प्याज के लिए ज्यादा कीमत देने के लिए तैयार हो जाइए क्योंकि महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में भारी बारिश के चलते प्याज जैसी अहम फसलों को नुकसान पहुंचा है. अब एक बार फिर सब्जियों की कीमतों में उछाल की आशंका है साथ ही जहां महंगाई काबू हो रही थी उसे भी झटका लग सकता है.

ET रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र में भारी नुकसान की खबर है. अमरावती, जलगांव, बुलढाणा और अहिल्यानगर जैसे जिलों में लगातार बारिश से अब तक 34,842 हेक्टेयर फसल बर्बाद हो चुकी है. सिर्फ नासिक में ही 3,230 हेक्टेयर की फसल को नुकसान हुआ है. सोलापुर और पुणे भी पीछे नहीं हैं, यहां 1,252 और 676 हेक्टेयर फसल खराब हो गई है.

केले, आम, प्याज, नींबू और सब्जियों की फसलें सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं.

महंगी सब्जियां

रिपोर्ट के मुताबिक, थाली की लागत का 37% हिस्सा प्याज, टमाटर और आलू जैसी सब्जियों पर आता है. अप्रैल 2025 में एक वेज थाली का औसत दाम 26.3 रुपये था, जो पिछले साल की तुलना में 4% कम था. लेकिन सप्लाई बाधित हुई तो यही कीमतें फिर ऊपर जा सकती हैं. पिछले साल अक्टूबर में प्याज के दाम 46%, आलू के 51% और टमाटर के दाम दोगुने हो गए थे. इस कारण थाली की लागत 20% बढ़ गई थी.

रिपोर्ट के मुताबिक, 20 मई 2025 तक लासलगांव मंडी में प्याज की कीमत 1,150 रुपये प्रति क्विंटल हो चुकी थी. बारिश से ट्रांसपोर्ट और स्टोरेज प्रभावित है, जिससे और बढ़त की आशंका है. पुणे में टमाटर के दाम कुछ दिन पहले जहां 5 रुपये प्रति किलो थे, वहीं अब 20–25 रुपये तक पहुंच चुके हैं. APMC अधिकारियों के मुताबिक, सब्जियों की आवक 50% तक घट गई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में पिछले हफ्ते टमाटर के दाम 10% से 25% तक बढ़े हैं. हरी सब्जियां जैसे पालक, मेथी और धनिया 12% से 16% महंगी हो चुकी हैं.

महंगाई को लेकर RBI के सामने चुनौती

2024 में भी मानसून के चलते फसलें प्रभावित हुई थी, जिससे अक्टूबर में खाद्य महंगाई 57 महीनों के उच्चतम स्तर 10.87% तक पहुंच गई थी. केवल सब्जियों के दाम में 28% की बढ़ोतरी हुई थी, जबकि अनाज और दालें 8% से 17% तक महंगी हुई थी. रिटेल महंगाई भी बढ़कर 6.21% हो गया था.

अगर सब्जियों की कीमतों में फिर तेजी आती है, तो यह RBI के वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 4% रिटेल टारगेट को मुश्किल में डाल सकता है.

RBI की MPC की बैठक 4 जून से 6 जून को होगी. उम्मीद थी कि ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए 25 बेसिस पॉइंट की एक और कटौती हो सकती है, लेकिन अब बढ़ती महंगाई के संकेत से ये संभावना खत्म हो गई है.