सरकार के इस फैसले से किसानों की हो गई मौज लेकिन आपकी थाली पर बढ़ेगा बोझ
सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है जिसके बाद एग्रीकल्चर सेक्टर में हलचल मच गई है. जानें क्या है सरकार का यह फैसला और आप कैसे हो सकते हैं इससे प्रभावित
केंद्र सरकार ने बुधवार को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 490 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) हटा दिया. इस कदम से इस जिंस के चावल के निर्यात में तेजी आने की संभावना है.इससे पहले सरकार ने 20 जुलाई 2023 को गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था. 28 सितंबर को सरकार ने इस प्रतिबंध को हटा दिया और निर्यात पर न्यूनतम कीमत तय कर दी थी. लेकिन अब विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने एक अधिसूचना जारी कर जानकारी दी है कि गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात के लिए एमईपी की आवश्यकता को तुरंत प्रभाव से हटा दिया गया है.
निर्यात कर में कटौती का ऐलान
सरकार ने हाल ही में परबॉयल्ड चावल पर निर्यात कर को 10% से घटाकर शून्य कर दिया है. सरकार ने यह फैसला तब लिया जब सरकारी गोदामों में चावल का पर्याप्त स्टॉक है और खुदरा कीमतें भी नियंत्रण में हैं. एक्सपर्टस् का मानना है कि भारत से चावल के बड़े निर्यात से वैश्विक आपूर्ति बढ़ेगी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में कमी आएगी. इससे पाकिस्तान, थाईलैंड और वियतनाम जैसे बड़े निर्यातक देशों को भी अपनी दरों में कटौती करने का दबाव पड़ेगा.
निर्यात में सुधार की उम्मीद
इससे पहले सरकार ने बासमती चावल के निर्यात पर एमईपी हटाकर किसानों की आय बढ़ाने की कोशिश की थी. अप्रैल से अगस्त तक इस वित्तीय वर्ष में गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात 201 मिलियन डॉलर का रहा. पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में यह आंकड़ा 852.52 मिलियन डॉलर था.
हालांकि प्रतिबंध लागू होने के बावजूद सरकार ने मालदीव, मॉरीशस, यूएई और कुछ अफ्रीकी देशों जैसे मित्र देशों को चावल भेजने की मंजूरी दी थी.
गैर-बासमती सफेद चावल भारत में बड़े पैमाने पर खाया जाता है और इसकी मांग वैश्विक बाजारों में भी है. खासकर उन देशों में जहां भारतीय मूल की बड़ी आबादी रहती है.