केले की फसल के लिए बहुत खतरनाक हैं ये रोग, तुरंत करें उपचार नहीं तो सूख जाएगा पूरा बाग

कृषि एक्सपर्ट की माने तो पीला सिगाटोका रोग केले की फसल के लिए बहुत ही खतरनाक है. इस रोग के लगने पर फसल का विकास रूक जाता है. कई बार तो रोग के चलते केले के पेड़ में फल तक नहीं आते हैं. इस रोग से संक्रमित केले के पत्ते पर पीला दाग आ जाता है. इससे पत्तों पर धारीदार लाइनें बन जाती हैं.

केले की फसल के लिए बहुत खतरनाक हैं ये रोग, तुरंत करें उपचार नहीं तो सूख जाएगा पूरा बाग Image Credit: tv9

आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और बिहार सहित लगभग पूरे देश में किसान केले की खेती कर रहे हैं. इससे किसानों की बंपर कमाई हो रही है. लेकिन इन दिनों केले की फसल में पीला सिगाटोका, काला सिगाटोका और पनामा बिल्ट रोग का प्रकोप कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रहा है. इससे फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंच रहा है. कई बार तो उत्पादन बहुत अधिक प्रभावित हो जाता है. कई बार तो बाग में लगे केले के पेड़ तक सूख जाते हैं. ऐसे में किसानों के लिए लागत निकालना मुश्किल हो जाता है. लेकिन अब किसानों की चिंता करने की जरूरत नहीं है. वे नीचे बताए गए लक्षणों के आधार पर रोगों की पहचान आसानी से कर सकते हैं. साथ ही उसका उपचार भी समय रहते हो जाएगा.

पीला सिगाटोका रोग: कृषि एक्सपर्ट की माने तो पीला सिगाटोका रोग केले की फसल के लिए बहुत ही खतरनाक है. इस रोग के लगने पर फसल का विकास रूक जाता है. कई बार तो रोग के चलते केले के पेड़ में फल तक नहीं आते हैं. इस रोग से संक्रमित केले के पत्ते पर पीला दाग आ जाता है. इससे पत्तों पर धारीदार लाइनें बन जाती हैं. बाद में धीरे-धीरे संक्रमित पत्तों का रंग भूरा और हल्का कथई हो जाता है. इससे केले का उत्पादन प्रभावित होता है. अगर आप पीला सिगाटोका रोग से केले के बाग को बचाना चाहते हैं, तो खेत से अधिक पानी की निकासी कर लें. साथ ही एक किलो ट्राईकोडरमा विरिट को 25 किलो गोबर खाद के साथ प्रति एकड़ की दर से मिट्टी का उपचार करें. इससे रोग का असर खत्म हो जाएगा.

काला सिगाटोका: काला सिगाटोका को भी केले की फसल के लिए बहुत ही खतरनाक माना गया है. बारिश के मौसम में इस रोग का असर केले के बाग पर सबसे ज्यादा देखने को मिलता है. बारिश होने के बाद तापमान बढ़ने के चलते केले के पत्ते पर काले धब्बे बन जाते हैं. साथ ही धारीदार लाइनें भी दिखने लगती हैं. इस रोग के चलते केले के फल समय से पहले ही पक जाते हैं. वहीं, काला सिगाटोका रोग से फसल को बचाने के लिए रासायनिक फफूंदनाशी कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत घु.चु. का 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल कर केले के ऊपर छिड़काव करें. इससे केले की फसल को बहुत फायदा होगा.

पनामा बिल्ट: पनामा बिल्ट रोग को भी केले की फसल के लिए घातक माना गया है. इस रोग से संक्रमित केले के पत्ते सूख जाते हैं. कई बार तो अचानक पूरा पौधा भी सूख जाता हैं. वहीं, तने के अंदर से सड़ी हुई मछली की तरह दुर्धंत आती है. इस रोग से बचाव के लिए किसान सकर को 10 मिनट तक कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत डब्लूपी का 1 ग्राम/लीटर पानी के घोल में डुबाने के बाद रोपनी करें. साथ ही केले के बाग में कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत घु.चू. का 1 ग्राम/लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें.