ओवरटेक करने से पहले याद रखें ये जरूरी बातें, ब्लाइंड स्पॉट बन सकता है जानलेवा; ऐसे करें बचाव

ओवरटेक करते समय 'ब्लाइंड स्पॉट' की अनदेखी बड़ी दुर्घटनाओं का कारण बन सकती है. सबसे पहले जानें कि ब्लाइंड स्पॉट क्या होता है, क्यों खतरनाक है और इससे कैसे बचा जा सकता है. मिरर एडजस्टमेंट और Blind Spot Monitoring सिस्टम जैसी तकनीकों का इस्तेमाल करके सड़क पर खुद को और दूसरों को सुरक्षित कैसे रखें, इसकी पूरी जानकारी दी गई है.

ओवरटेकिंग सावधानियां Image Credit: AI/canva

Overtaking Precautions: सड़क पर गाड़ी चलाते समय ओवरटेकिंग एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन इसे सावधानीपूर्वक न करने पर यह गंभीर दुर्घटनाओं का कारण बन सकती है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, ओवरटेक करते वक्त ड्राइवर्स को कई बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण “ब्लाइंड स्पॉट” है. ये वह जोन होता है जो गाड़ी के शीशों में नजर नहीं आता, लेकिन इसकी अनदेखी करने से बड़े हादसे हो सकते हैं. तो चलिए आपको बताते हैं कि अगर आप ओवरटेक करना चाहते हैं तो किन-किन बातों की सावधानी रखनी चाहिए.

ब्लाइंड स्पॉट क्या है और यह क्यों खतरनाक है

जब कोई ड्राइवर वाहन चला रहा होता है, तो उसके वाहन के आसपास कुछ ऐसे क्षेत्र होते हैं जो साइड मिरर या रियर व्यू मिरर में दिखाई नहीं देते. इन्हें ही ब्लाइंड स्पॉट कहा जाता है. अक्सर, ओवरटेक करते समय या लेन बदलते वक्त कोई दूसरा वाहन इसी ब्लाइंड स्पॉट में आ जाता है, जिससे ड्राइवर को उसका पता नहीं चल पाता और दुर्घटना होने की आशंका बढ़ जाती है.

भारत में सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में गलत तरीके से ओवरटेक करना शामिल है. कई बार लोग सोचते हैं कि ओवरटेक करना कोई गलत बात नहीं है, लेकिन यदि इसे सही तरीके से न किया जाए, तो यह जानलेवा साबित हो सकता है. इसलिए, ओवरटेक करने से पहले ब्लाइंड स्पॉट की जांच करना अत्यंत आवश्यक है.

ब्लाइंड स्पॉट से कैसे बचें

इस खतरे को कम करने के लिए ड्राइवर्स को अपने वाहन के मिरर को सही ढंग से एडजस्ट करना चाहिए.

रियर व्यू मिरर को सही तरह से सेट करें

वाहन के अंदर लगे रियर व्यू मिरर को इस प्रकार एडजस्ट करें कि पिछली विंडशील्ड का पूरा दृश्य स्पष्ट दिखाई दे. इसमें वाहन का कोई हिस्सा या सीट का किनारा नजर नहीं आना चाहिए. इससे पीछे से आने वाले वाहनों की गति और दूरी का सही अनुमान लगाया जा सकता है.

साइड मिरर का सही इस्तेमाल

साइड मिरर को इस तरह से एडजस्ट करें कि वे वाहन के पीछे के हिस्से को थोड़ा-सा दिखाएं, साथ ही सड़क के बगल के ट्रैफिक का भी पूरा विजन दें. इससे ब्लाइंड स्पॉट कम होगा.

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सिर घुमाकर जांच करें

केवल मिरर पर भरोसा न करें. लेन बदलने या ओवरटेक करने से पहले सिर घुमाकर पीछे और बगल की ओर देख लें, ताकि कोई वाहन ब्लाइंड स्पॉट में तो नहीं है.

टेक्नोलॉजी का सहारा लें

आजकल वाहनों में ब्लाइंड स्पॉट मॉनिटरिंग सिस्टम (BSM) उपलब्ध होता है, जो इस खतरे को कम करने में मदद करता है. यदि आपके वाहन में यह सुविधा है, तो इसका इस्तेमाल अवश्य करें.