CETA समझौते से भारत में सस्ती होंगी ब्रिटिश लग्जरी कारें, Aston Martin- Mini Cooper पर 40% मिल सकती है छूट
भारत-यूके व्यापार समझौते (CETA) के तहत Aston Martin और Mini Cooper जैसी ब्रिटिश लग्जरी कारें भारत में 25 से 40 फीसदी तक सस्ती हो सकती हैं. ICE वाहनों पर आयात शुल्क पहले साल 30 से 50 फीसदी तक घटेगा, जो 15 वर्षों में 10 फीसदी तक आ जाएगा.
India UK Trade Deal: भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच हुए नए व्यापार समझौते CETA से ब्रिटेन में बनी लग्जरी कारें भारत में काफी सस्ती हो सकती हैं. Aston Martin और Mini Cooper जैसी गाड़ियों की कीमत में 25 से 40 फीसदी तक की कमी आने की संभावना है. इस समझौते के तहत इंपोर्ट ड्यूटी को स्टेपवाइज तरीके से घटाया जाएगा. शुरुआत में सीमित कोटा के साथ कम रेट पर कारों का आयात संभव होगा.
17 लाख रुपये तक सस्ती हो सकती है Mini Cooper
अभी भारत में Mini Cooper की बेस मॉडल की कीमत लगभग 45 लाख रुपये है, जिसमें लगभग 70 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी शामिल है. CETA लागू होने के बाद यदि ड्यूटी घटकर 30 फीसदी हो जाती है, तो कार की कीमत लगभग 27 लाख रुपये रह सकती है. 50 फीसदी ड्यूटी पर भी कार करीब 31.5 लाख रुपये में उपलब्ध हो सकती है, जिससे कंज्यूमर को 30 से 40 फीसदी तक की बचत मिलेगी.
Aston Martin पर भी मिल सकता है भारी फायदा
Aston Martin Vanquish जैसी सुपर लग्जरी कारें भारत में अभी करीब 8.85 करोड़ रुपये में बिकती हैं, जिसमें करीब 100 फीसदी कस्टम ड्यूटी शामिल होती है. अगर ड्यूटी घटाकर 50 फीसदी कर दी जाती है, तो यह कार लगभग 6.7 करोड़ रुपये में उपलब्ध हो सकती है. इससे लगभग 2 करोड़ रुपये तक की बचत हो सकती है.
ये भी पढ़ें- Nissan Magnite को ग्लोबल एनकैप में 5 स्टार सेफ्टी रेटिंग, टाटा और हुंडई को देती है टक्कर
इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड कारों पर शून्य या कम शुल्क
नए समझौते के तहत 40 हजार पाउंड से कम CIF प्राइस वाली इलेक्ट्रिक, हाइब्रिड और हाइड्रोजन फ्यूल बेस्ड कारों पर पूरी तरह से इंपोर्ट ड्यूटी हटा दिया गया है. 40 हजार से 80 हजार पाउंड की कीमत वाली जीरो एमिशन कारों पर 50 फीसदी शुल्क लगेगा, जो 15वें साल में घटकर 10 फीसदी हो जाएगा.
ऑटो इंडस्ट्री के लिए लागू होगा कोटा सिस्टम
सरकार ने एक कोटा सिस्ट लागू की है ताकि आयात में अचानक बढ़ोतरी से घरेलू ऑटो उद्योग को नुकसान न हो. ICE कारों के लिए पहले साल 20 हजार कारों के कोटे की अनुमति है, जो 15 साल बाद 15 हजार यूनिट रहेगा. इसी तरह बड़े इंजन वाली कारों पर भी धीरे-धीरे शुल्क घटाने की योजना है.