WeWork India IPO: फुस्स साबित हुआ, रिटेल और NII कोटा रह गया खाली, GMP भी हुआ जीरो, आगे क्या?
WeWork India IPO को लेकर निवेशकों की बेरुखी आखिरी दिन तक जारी रही. तीन दिन में भी इसका रिटेल और NII कोटा पूरी तरह सब्सक्राइब नहीं हो पाया. हालांकि, आखिरी दिन QIB निवेशकों के सपोर्ट से इश्यू 1.15x के कुल सब्सक्रिप्शन के साथ बंद हुआ है.

भारतीय शेयर बाजार में लिस्टिंग के लिए कंपनियों का रेला लगा है. ज्यादातर कंपनियों के इश्यू लिस्टिंग गेन के साथ निवेशकों को भी लाभ पहुंचा रहे हैं. लेकिन, को-वर्किंग स्पेस कंपनी WeWork India इस बहती गंगा में अपेक्षित सफाई के साथ हाथ नहीं धो पाई. तीन दिन में जैसे-तैसे कंपनी का इश्यू 100 फीसदी तो भर गया, लेकिन रिटेल और नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII) के लिए रिजर्व कोटा खाली ही रह गया है. इसके अलावा ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) भी शून्य हो चुका है.
कमजोर सब्सक्रिप्शन ने तोड़ी उम्मीदें
तीन दिन चले इस IPO को कुल मिलाकर 1.15 गुना सब्सक्रिप्शन ही मिल पाया. इसमें क्यूआईबी (Qualified Institutional Buyers) से कुछ सहारा जरूर मिला, जिन्होंने कोटा लगभग 1.79 गुना भरा. लेकिन रिटेल इन्वेस्टर्स ने महज 61% तक ही बोली लगाई, जबकि NII कोटा तो केवल 23% तक ही भरा है. शुरुआती दो दिन तो सब्सक्रिप्शन 8% से आगे ही नहीं बढ़ पाया.
Investor Category | Subscription (times) | Shares Offered | Shares Bid For |
---|---|---|---|
क्यूआईबी | 1.79 | 1,38,71,031 | 2,47,66,584 |
एनआईआई | 0.23 | 69,35,516 | 15,68,117 |
रिटेल | 0.62 | 46,23,677 | 28,75,161 |
एम्प्लोयी | 1.87 | 59,524 | 1,11,481 |
कुल | 1.15 | 2,54,89,748 | 2,93,21,343 |
ग्रे मार्केट से गायब हुआ जोश
IPO में रिटेल कैटेगरी के ज्यादातर निवेशकों को उम्मीद रहती है कि उन्हें लिस्टिंग गेन मिलेगा. लिस्टिंग गेन की संभावना दिखाने वाले GMP के मोर्चे पर भी WeWork India का जोश गाया दिखा. सब्सक्रिप्शन के आखिरी दिन GMP जीरो तक सिमट गया. निवेशकों ने अनिश्चित बिजनेस मॉडल और कमजोर लिस्टिंग गेन की संभावना देखते हुए दूरी बना ली. मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि इतनी कमजोर ग्रे मार्केट एक्टिविटी लिस्टिंग डे पर दबाव का संकेत दे रही है.
वित्तीय सेहत पर उठे सवाल
कंपनी के फाइनेंशियल्स भी निवेशकों का भरोसा नहीं जीत पाए. जून 2025 तिमाही में WeWork India ने 535 करोड़ रुपये का रेवेन्यू रिपोर्ट किया, लेकिन इस दौरान कंपनी को 14.14 करोड़ रुपये का घाटा भी हुआ. बढ़ती ऑपरेटिंग कॉस्ट और रेंटल खर्च कंपनी की बैलेंस शीट पर भारी पड़ रहे हैं. वहीं यह इश्यू पूरी तरह Offer for Sale (OFS) था, यानी कंपनी को इस लिस्टिंग से नया कैपिटल नहीं मिलने वाला.
InGovern ने बढ़ाई मुश्किलें
IPO से ठीक दो दिन पहले गवर्नेंस एडवाइजरी फर्म InGovern ने कंपनी के डिस्क्लोजर और वित्तीय पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाए. रिपोर्ट में कहा गया कि WeWork India के RHP में कुछ डाटा असंगत हैं, जिससे निवेशकों का भरोसा और कमजोर पड़ा.
आगे क्या होगा?
लिस्टिंग के दिन कंपनी के शेयर पर दबाव रह सकता है. रिटेल और NII की कमजोर भागीदारी और जीरो GMP संकेत देते हैं कि स्टॉक डिस्काउंट पर खुल सकता है. हालांकि, QIB इन्वेस्टर्स का मजबूत सपोर्ट लिस्टिंग प्राइस को संभाल सकता है. लेकिन लंबे समय के लिए कंपनी को अपने बिजनेस मॉडल और वित्तीय प्रदर्शन में भरोसा लौटाना होगा.
डिसक्लेमर: इस खबर में GMP से संबंधित जानकारी दी गई है. मनी9लाइव का GMP तय करने से कोई संबंध नहीं है. मनी9लाइव निवेशकों को यह भी सचेत करता है कि केवल जीएमपी के आधार पर निवेश पर फैसला नहीं करें. निवेश से पहले कंपनी के फंडामेंटल जरूर देखें और एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.
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