नई कार खरीदना महंगा सौदा, पुरानी कारों की बढ़ी मांग; FY26 में 60 लाख से अधिक बिक्री की उम्मीद- क्रिसिल
FY25 में भारत में 56 लाख पुरानी गाड़ियां बिकीं, जबकि नई गाड़ियों की बिक्री 41 लाख यूनिट्स थी. पुरानी गाड़ियों की बिक्री FY26 में 60 लाख यूनिट्स से ज्यादा होने की उम्मीद है. यह हर साल 8-10 फीसदी की बढ़ोतरी दिखाएगी. यह जानकारी क्रिसिल रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में दी गई है. लोग कम कीमत में अच्छी गाड़ियां चाहते हैं, डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल बढ़ रहा है, और फाइनेंस आसानी से मिल रहा है.

Crisil Report: भारत में पुरानी गाड़ियों की बिक्री FY26 में 60 लाख यूनिट्स से ज्यादा होने की उम्मीद है. यह हर साल 8-10 फीसदी की बढ़ोतरी दिखाएगी. यह जानकारी क्रिसिल रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में दी गई है. लोग कम कीमत में अच्छी गाड़ियां चाहते हैं, डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल बढ़ रहा है, और फाइनेंस आसानी से मिल रहा है. यही कारण है कि इसमें बढ़ोतरी हो रही है.
नई से ज्यादा बिक रही पुरानी गाड़ी
FY25 में भारत में 56 लाख पुरानी गाड़ियां बिकीं, जबकि नई गाड़ियों की बिक्री 41 लाख यूनिट्स थी. FY26 में नई गाड़ियों की बिक्री में सिर्फ 5-7 फीसदी की बढ़ोतरी होगी. पुरानी गाड़ियों की बिक्री तेजी से बढ़ रही है. इससे पुरानी और नई गाड़ियों का रेश्यो 1.4 हो गया है. यह पांच साल पहले 1 से कम था. पुरानी गाड़ियों का मार्केट कैप करीब 4 लाख करोड़ रुपये है. ये भी लगभग नई गाड़ियों के बाजार के बराबर है.
उठाना पड़ रहा है नुकसान
रिपोर्ट के मुताबिक, पुरानी गाड़ी बेचने वाली ऑर्गनाइज कंपनियों को गाड़ियों को ठीक करने, लॉजिस्टिक्स और फाइनेंसिंग में ज्यादा खर्च करना पड़ता है. इस वजह से उन्हें अभी नुकसान हो रहा है, लेकिन अगले दो साल में उनकी कमाई बढ़ने से नुकसान कम हो सकता है. कंपनियों को समय पर फंड जुटाने और नकदी बनाए रखने की जरूरत होगी.
पुरानी गाड़ियों की बिक्री का रेश्यो बढ़ना है, एक बड़ा बदलाव
क्रिसिल रेटिंग्स के सीनियर डायरेक्टर अनुज सेठी ने कहा कि पुरानी गाड़ियों की बिक्री का रेश्यो बढ़ना एक बड़ा बदलाव है. लोग डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भरोसा कर रहे हैं. पुरानी गाड़ियों की औसत उम्र अब 3.7 साल तक पहुंच रही है. यह पहले से कम है.
लोग तेजी से नई गाड़ियों की तरह यूटिलिटी व्हीकल्स (UVs) को पसंद कर रहे हैं. भारत में पुरानी और नई गाड़ियों का रेशियो 1.4 है. अमेरिका (2.5), यूके (4), जर्मनी (2.6), और फ्रांस (3) से कम है. FY19 से अब तक ऑर्गनाइज कंपनियों ने 14,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की फंडिंग जुटाई है.
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