देशभर में आज हड़ताल पर 25 करोड़ कामगार, जानें क्या खुला क्या बंद?

10 से ज्यादा ट्रेड यूनियन देशभर में हड़ताल का ऐलान करते हुए कहा है कि इसमें 25 करोड़ से ज्यादा कामगार शामिल हो रहे हैं. यह हड़ताल नए श्रम कानूनों और निजीकरण के विरोध की जा रही है. इस हड़ताल को किसान संगठनों ने भी समर्थन दिया है.

हड़ताल पर 25 करोड़ कर्मचारी. Image Credit: AI

केंद्र सरकार की तरफ से लाए गए 4 नए लेबर कोड्स के विरोध में देशभर में 10 से ज्यादा ट्रेड यूनियनों मिलकर हड़ताल का ऐलान किया है. यूनियन नेताओं का दावा है कि केंद्र सरकार की नीतियां श्रमिक विरोधी हैं. इनकी वजह से असंगठित क्षेत्र के श्रमिक और किसानों को भारी नुकसान होगा. इसके साथ ही इन संगठनों का आरोप है कि सरकार ने ये बदलाव बड़े कॉर्पोरेट का सपोर्ट करने के लिए किए हैं. वहीं, हड़ताल में किसानों के मुद्दे उठाए जाने की वजह से संयुक्त किसान मोर्चा और नरेगा संघर्ष मोर्चा जैसे क्षेत्रीय संगठनों ने भी इसका समर्थन किया है.

क्या-क्या हो सकता है बंद?

ट्रेड यूनियनों की इस हड़ताल में हालांकि देश के तमाम बढ़े श्रमिक और पेशेवर समूहों के संगठन शामिल नहीं हुए हैं. लेकिन, आशंका जताई जा रही है कि खासतौर पर रोड ट्रांसपोर्टेशन बाधित हो सकता है. PTI की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक श्रमिक संगठन के पदाधिकारी का कहना है कि हड़ताल की वजह से बैंकिंग, बीमा, डाक, कोयला खनन, राजमार्ग और निर्माण जैसे क्षेत्रों में सेवाएं बाधित हो सकती हैं. पदाधिकारी का कहना है कि हड़ताल के दौरान देशभर में चक्काजाम किया जाएगा. इसके लिए सड़कों पर आवाजाही को रोका जाएगा. इसके साथ ही रेल भी रोकी जाएंगी.

क्या हैं इन संगठनों की मांगें?

हड़ताल करने वाले संगठनों की मुख्य मांगों में 26,000 रुपये न्यूनतम वेतन, पुरानी पेंशन योजना की बहाली और किसानों के लिए MSP और ऋण माफी का विस्तार करना शामिल है. सीटू, इंटक और एटक जैसे केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने 4 लेबर कोड को हटाने, PSU के निजीकरण को रोकने, कॉन्ट्रैक्चुअल एम्प्लोयमेंट को बंद करने और न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाकर 26,000 रुपये प्रति माह करने की मांग रखी है.

ये बड़े संगठन शामिल नहीं

देश के सबसे बड़े श्रमिक संगठनों में से एक भारतीय मजदूर संघ ने इस हड़ताल को राजनीति से प्रेरित बताते हुए इससे दूर रहने का ऐलान किया है. वहीं, सीटू यानी सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस के राष्ट्रीय सचिव एआर सिंधु ने कहा कि संगठित और असंगठित क्षेत्रों के श्रमिकों सहित लगभग 25 करोड़ श्रमिक हड़ताल में शामिल हैं.